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राजस्थान घटना, "जानवर भी इंसानों से बेहतर हैं"

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ऐसी तस्वीर जो इंसान की चींखों पर गौर न करें,रोती बिलखती,आवाज़ों पर गौर न करें,रहम न करें नज़र भी घुमाएं,न उसकी तरफ देखें जिसके लिए उसके दिल मे नफरत भरी है,इतनी नफ़रत की की लोहे का औज़ार से सिर पर वार करते हुए अपमी आप को शांति दे? क्यों वो ये भूल रहा है कि वो एक 50 साल का आदमी है ऐसा आदमी जो गरीब है किसान है,कमज़ोर है,और उस पर वो हमले क्यों कर रहा है? बस वो एक ही काम करता है और उस शख्स के टुकड़े टुकड़े कर देता,और उसे आग लगा देता है? क्या कुछ देर रुक कर सोचना नही चाहिए इस बात पर की ये क्या हुआ?
क्या एक इंसान की जान नही चली गयी,क्या मारने वाले के अंदर “आत्मा” बची नही? शायद नही क्योंकि इंसानी जिस्म ये “हैवानी” काम कर ही नही सकता है,लेकिन ऐसा काम हुआ है वो भी बुद्ध और गांधी की ज़मीन पर मर्यादा पुरूषोत्तम की ज़मीन पर “वी दा पीपल्स ऑफ इंडिया” कहने वाले संविधान की ज़मीन पर, की एक इंसान को काट दिया गया।
राजस्थान के राजसमन्द जिले में बुधवार को एक व्यक्ति की हत्या कर वीडियो वायरल किया गया और बताया गया कि “ऐसा ही होगा” क्या ये सोचने का विषय नही है कि ऐसा क्यों हुआ? कितनी नफ़रतें हो सकती है दिलों में,कितनी बढ सकती है नफरतें ? और इस नफरत का ज़हर कहाँ तक पहुंच गया है, क्यों पहुंच गया है और वो भी कानून राज में जहां कानून है,वहां पर इंसान को मारा जाता है काटा जाता और उसे आग में झोंक दिया जाता है,ये “हिम्मत” कहाँ से आयी?
इस आरोपी को गिरफ्तारी हो गयी लेकिन कई सवाल पीछे छोड़ गई और जिनके सवाल हमे अंदर तक झंकझोर देने के लिए काफी है। इस कृत्य पर मानवाधिकार आयोग ने बिल्कुल सही कहा है कि “इंसान को रचयिता की श्रेष्ट कृति माना जाता है,मगर इस घटना पर पशु भी कह रहे होंगे कि इंसान से तो वो भी बेहतर है” क्योंकी जो कृत्य और जो हैवानियत इस वायरल हो रही वीडियो में है जानवरों को भी शर्मसार कर दें और उन्हें खुद ही से ये पूछने पर मजबूर कर दें। मगर कानूनी प्रणाली के तहत चलने वाले देश के लिए ये भयानक है बहुत भयानक की ऐसी तस्वीर “भारत” मे नज़र आ रही है। देश को कुछ वक़्त रुक कर थम कर सोचना चाहिए कि ये क्या है? क्या ये इंसानियत की तस्वीर को शर्मसार करने वाली तस्वीर नही है? और एक सवाल है कि इतना ज़हर कैसे भर गया है “इंसानों” के दिलों में…. #वंदे_ईश्वरम

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