0

ये है न्यू इंडिया की 'बुलडोज़र मानसिकता'

Share

दोहरे आचरण का बड़ा उदाहरण सबके सामने है, संघ पदाधिकारी और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने लेनिन की प्रतिमा गिराने की घटना पर ट्वीट कर कहा : “लोग लेनिन की मूर्ति गिराए जाने की चर्चा कर रहे हैं, रूस नहीं ये त्रिपुरा है, चलो पलटाई !” बाद में बवाल होने पर ट्वीट डिलीट कर दिया !
Image may contain: 1 person, smiling
उसके बाद तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी के सचिव एच राजा ने फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट शेयर कर कहा कि : ” त्रिपुरा में जिस तरह लेनिन की मूर्तियां तोड़ी गईं, एक दिन तमिलनाडु में उसी तरह पेरियार की मूर्तियां तोड़ी जाएंगी !”
नतीजा फौरन सामने आया और वेल्लूर ज़िले में पेरियार की मूर्ति को नुकसान पहुंचा दिया गया ! बाद में एच राजा ने फेसबुक पोस्ट डिलीट कर दी!
Image may contain: text
फिर भाजपा के एक और नेता गिरिराज सिंह जी फरमाते हैं कि भाजपा पर उंगली उठाने से पहले वामपंथी नेताओं को अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए!
Image may contain: 1 person, text
उपरोक्त तीनों बयानों ने अपना काम पूरा कर दिया, बुलडोजर मानसिकता को आॅक्सीजन मिल गई, इसके बाद मेरठ में अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ा गया!
अब इसके बाद इनका चिर परिचित सुनियोजित दूसरा चरण शुरू होता है, अब बयान आना शुरू हो रहे हैं कि “पेरियार की मूर्ति तोड़ने की घटाओं से पीएम मोदी चिंतित !”
 
फिर अगला बयान कि : अमित शाह ने कहा- “अगर कोई कार्यकर्ता दोषी हुआ तो छोड़ेंगे नहीं !”
सर जी बड़े दोषी ऊपर तीनों हैं, जो इन हरकतों के लिए उकसा रहे हैं, इन्होंने अपने ट्वीट या फेसबुक पोस्ट भले ही डिलीट कर दी हो, दीजिए सज़ा!
सियासी टूल बनी अभयदान प्राप्त आवारा भीड़ का खुला खेल शुरू हो गया है, इस आवारा भीड़ के खतरों से हरिशंकर परसाई ने काफी पहले आगाह भी किया था, वो आगाही आज साफ़ नज़र आ रही है, उन्होंने कहा था कि :-
“दिशाहीन, बेकार, हताश, नकारवादी, विध्वंसवादी बेकार युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती है. इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति और समूह कर सकते हैं. इस भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी ने किया. यह भीड़ धार्मिक उन्मादियों के पीछे चलने लगती है.
यह भीड़ किसी भी ऐसे संगठन के साथ हो सकती है जो उन्माद और तनाव पैदा कर दे. फिर इस भीड़ से विध्वंसक काम कराए जा सकते हैं. यह भीड़ फासिस्टों का हथियार बन सकती है. हमारे देश में यह भीड़ बढ़ रही है. इसका उपयोग भी हो रहा है. आगे इस भीड़ का उपयोग सारे राष्ट्रीय और मानव मूल्यों के विनाश के लिए, लोकतंत्र के नाश के लिए करवाया जा सकता है !”
समझिए इस खेल को, ओर साथ में हत्यारे गौरक्षक गुंडों को हौंसला देने और फिर इन हत्यारे गौरक्षकों की हरकतों की निंदा करने के बीच पकती सियासी खिचड़ी के खेल को भी! यही डबल गेम आगे भी जारी रहेगा, आदत डाल लीजिए !!

Exit mobile version