आज़ाद भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लगभग 75 साल बाद कई सवाल और उंगलियां उठाई जा रही हैं। 14 अगस्त की आधी रात को लाल किले के प्राचीर से आज़ाद भारत के ऐतिहासिक भाषण को संबोधित किया था। “Tryst with destiny” शीर्षक वाला नेहरू का वो भाषण आज भी लोगों के दिलों – दिमाग में बसा हुआ है।
देश के स्वतंत्रता संग्राम में इतने अहम और लोकप्रिय नेता को आज के इस दौर में कई बार सवालों के कटघरे में खड़ा किया जा चुका है। खासकर भाजपा ने नेहरू के विपक्ष में होने के कारण कई प्रहार किए हैं।
हाल ही में मध्यप्रदेश के शिवराज सिंह चौहान के कैबिनेट में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने महंगाई के लिए नेहरू को ही कसूरवार ठहराया है।
उन्होंने अपने बयान में कहा है, “कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को बढ़ती महंगाई के विरोध में 10 जनपथ (कांग्रेस पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी का आवास) पर जाकर धरना – प्रदर्शन करना चाहिए।”
आज़ादी के बाद से बढ़ती महंगाई के लिए नेहरू जिम्मेदार – सारंग
भोपाल में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, “15 अगस्त 1947 में देश की आजादी के बाद से लेकर अब तक महंगाई बढ़ने का श्रेय जवाहरलाल नेहरू को जाता है। आज़ादी पर दिए अपने भाषण से नेहरू जी ने देश में अर्थव्यवस्था को बिगाड़ दिया था।”
उनके अनुसार, “महंगाई कोई एक या दो दिन में नहीं बढ़ती है। अर्थव्यवस्था की नींव रखने में सालों लग जाते है। नेहरू परिवार की बिगाड़ी गई अर्थव्यवस्था को भाजपा सरकार ने पिछले सात सालों में जगह पर लाने का काम किया है।
मौजूदा सरकार गरीबों के लिए काम करती है, वहीं नेहरू परिवार में शुरू से सिर्फ कुछ उद्योगपतियों को ही बढ़ावा दिया जाता था।”
क्या सच में थी नेहरू की गलती?
अगर बात की जाए जवाहरलाल नेहरू के उस ऐतिहासिक 15 अगस्त 1947 के भाषण की, तो उन्होंने आजादी के संबंध में देश को जागरूक और प्रेरित करने का काम किया था।
लाल किले की प्राचीर से उन्होंने ही आजाद भारत में एक प्रधानमंत्री के रूप में सबसे पहले संबोधन किया था।
WATCH: Nehru is responsible for dipping economy and inflation: Madhya Pradesh Minister Vishwas Sarang. 🌻 pic.twitter.com/6HfKqjycuy
— Prashant Kumar (@scribe_prashant) July 31, 2021
अगर बात की जाए नेहरू परिवार की, तो 1990 में राजीव गांधी की सरकार ने उदारवादी नीतियों को लागू किया था जिससे देश की अर्थव्यवस्था में कुछ फेर बदल हुए थे।
इससे शुरू – शुरू में देश की अर्थव्यवस्था जरूर लड़खड़ाई थी, मगर बाद में इससे देश को काफी फायदा हुआ था।
1947 में सारंग का जन्म भी नहीं हुआ था – केके मिश्रा
सारंग के इस बयान पर कांग्रेस ने भी चुप्पी तोड़ते हुए उनका काफी मजाक उड़ाया और तंज कसा। मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा ने बयान देते हुए कहा कि, “शिवराज सर्कस के योग्य मंत्री सारंग जी ने जिस दौर की बात कही है, उस वक्त उनका जन्म भी नहीं हुआ था।
विभाग मंत्री के रूप में सारंग देश की जनता को पहले यह जवाब दे कि कोरोना महामारी के दौरान बिस्तरों, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर दवाओं की कमी के कारण हुई हजारों लोगों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार हैं?”
कांग्रेस पार्टी के ही दूसरे प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने अपने बयान में कहा कि, “मध्य प्रदेश में भाजपा का मंत्रिमंडल बहुत अजीब लोगों से भरा पड़ा हैं। कहीं कोई मरम्मत के लिए बिजली के खंभे पर चढ़ जाता है।
कहीं कोई कहता है कि एक विवाहित जोड़े के कितने बच्चे होने चाहिए तो कहीं कोई कहता है कि सेल्फी लेने के लिए उसे पैसे चाहिए। और अब एक मंत्री 75 साल पहले दिए गए नेहरू जी के भाषण पर सवाल खड़े कर रहा है।”
कई बार बीजेपी ने उठाए हैं नेहरू पर सवाल
भाजपा पार्टी के कई नेताओं, कार्यकर्ताओं और मंत्रियों ने कई दफा जवाहरलाल नेहरू पर उंगली खड़ी की हैं। 12 जून 2021 को यूपी के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने बयान में कहा था, “नेहरू के कारण आज़ादी के बाद भी भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बन पाया है।”
23 जून 2021 को भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम ने बयान दिया था कि, “नेहरू जी की हठधर्मिता से धारा 370 लागू की गई थी और आधा कश्मीर भारत के हाथों से चला गया था।”
भाजपा ने यह भी सवाल कई बार उठाया है कि नेहरू जी ही भारत विभाजन के असल जिम्मेदार रहे है। उन्होंने ही मोहम्मद अली जिन्ना का समर्थन किया और विभाजन को रोकने का कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया था।