नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ( Irom sharmila on Mnaipur Violence ) ने दो आदिवासी महिलाओं के कपड़े उतारकर परेड कराने की घटना को ‘अमानवीय’ और ‘बहुत परेशान करने वाला’ करार दिया है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) से उनके गृह राज्य में स्थिति से निपटने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। उन्होंने यह बयान PTI भाषा से बातचीत के दौरान दिया है।
उन्होंने यह भी मांग की कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ( N Biren Singh ) अपनी विफलता स्वीकार करें और मणिपुर के लोगों से माफी मांगें। 51 वर्षीय एक्टिविस्ट Irom Sharmila ने कहा कि वह उस वीडियो क्लिप को देखने के बाद अपने आंसू नहीं रोक पाईं, जिसमें चार मई को पूर्वोत्तर राज्य के कांगपोकपी जिले में पुरुषों के एक समूह द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाते हुए और छेड़छाड़ करते हुए दिखाया गया है। 19 जुलाई को सामने आए इस वीडियो की देशभर में निंदा हुई थी। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया है।
मणिपुर की रहने वाली शर्मिला सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून ( AFSPA ) हटाने की मांग को लेकर 16 साल से भूख हड़ताल पर थीं। उस अवधि के दौरान उन्हे खाद्य नलियों द्वारा जबरन खाना खिलाया गया था।
उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि मणिपुर में राज्य सरकार पूरी तरह से विफल रही है और जब एक राज्य स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सकता है, तो प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? उन्हें मणिपुर के लोगों की रक्षा करनी चाहिए। अगर वह मणिपुर के लोगों की पीड़ा के बारे में चिंतित हैं, तो उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए… गुजरात के लोगों की तरह मनिपुरियों को भी उनके नेतृत्व की जरूरत है। मणिपुर की ‘आयरन लेडी’ ने मांग की कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह अपनी विफलता स्वीकार करें और लोगों से माफी मांगें।
उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री को मतभेदों को दरकिनार करते हुए सभी 60 विधायकों से बात करनी चाहिए। उन्हें उनसे वन-टू-वन बात करनी चाहिए। उनकी राय पर विचार करना चाहिए और तय करना चाहिए कि दो समुदायों (मेइतेई और कुकी) के बीच नफरत की भावना को कैसे रोका जाए। यह समय की मांग है।
20 जुलाई को स्ट्रिप परेड ( Strip parade in manipur ) की घटना में पहली गिरफ्तारी के बाद, मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जिसमें मौत की सजा की संभावना पर विचार करना भी शामिल है।
शर्मिला का यह भी मानना है कि जातीय हिंसा प्रभावित राज्य मणिपुर में फर्जी खबरों और वीडियो के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध से मणिपुर की स्थिति में कोई मदद नहीं मिली है।
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इंटरनेट पर इस प्रतिबंध से मणिपुर में हिंसा को नियंत्रित करने में मदद मिली है। इसके विपरीत, अगर इंटरनेट काम कर रहा होता, तो महिलाओं (स्ट्रिप परेड पीड़ितों) को न्याय मिल सकता था और अपराधी सलाखों के पीछे हो सकते थे।
प्रधानमंत्री मोदी, जिन पर विपक्ष ने मणिपुर की स्थिति पर दो महीने से अधिक समय तक चुप रहने का आरोप लगाया था, ने वीडियो सामने आने के एक दिन बाद दो महिलाओं को निर्वस्त्र करने की घटना की निंदा की। शर्मिला ने मांग की कि दोषियों को कठोर श्रम और बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए।
राज्य में तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और कई घायल हुए हैं, यह हिंसा मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद भड़की थी।
मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी करीब 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।