इन डॉक्टरों का कहना है कि हमें ड्यूटी के ज्यादा घंटे से कोई दिक्कत नहीं है। हम अपने काम को लेकर संवेदनशील हैं लेकिन क्या सरकार भी संवेदनशील है? पिछले 10 साल से ये स्टाइपेंड बढ़ाया नहीं गया है। द क्विंट ने खबर छापी है। डॉक्टरों को कोरोना वॉरियर्स नाम दिया गया है, लेकिन समुचित तनख्वाह नहीं दी जा रही है। समुचित उपकरण नहीं दिए जा रहे हैं।
अमर उजाला के मुताबिक, दिल्ली में अब तक 300 से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मी कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं। 400 से अधिक क्वारंटीन किए गए हैं। हालांकि, भास्कर ने स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमण का आकड़ा 235 बताया है। 28 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा, दिल्ली में 4.11% स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं।
यह खबरें पढ़ते हुए याद आया कि पिछले साल जब भारत के वैज्ञानिक चंद्रयान लॉन्च करने की तैयारी में लगे थे, उसी दौरान इसरो के वैज्ञानिकों की तनख्वाह घटा दी गई। वैज्ञानिक नाराज हुए, गुहार लगाई कि वेतन न काटा जाए, तब उनके साथ कोई नहीं आया। वैज्ञानिकों ने अपने चेयरमैन को पत्र लिखा कि हम बहुत हैरत में हैं और दुखी हैं। लेकिन कोई गर्वीला इंडियन उनके साथ नहीं खड़ा हुआ।
इसरो वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को 1996 से मिल रही दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि को बंद कर दिया गया, जो कि एक तरह की प्रोत्साहन अनुदान राशि थी। बाद में जब चंद्रयान लॉन्च हो गया तो पीएम जी मीडिया साथ लेकर आए, वैज्ञानिक से गले मिले, भावुक हुए और बोले कि हमें गर्व है। यही डॉक्टरों के साथ हो रहा है, हमारे देश में गर्व करने और कराने का तरीका अनूठा है।