विश्व के 200 से अधिक देशों के डेटा का विश्लेषण किया गया और साठ देशों को अंततः रैंकिंग में शामिल किया गया। 4 विशिष्ट श्रेणियों में 24 विशिष्ट मापदंडों का उपयोग करके देशों का मूल्यांकन किया गया है कोरोटाइन करने की दक्षता, प्रबंधन दक्षता, निगरानी और जांच, और आपातकालीन उपचार की तत्परता जैसे मानकों पर 60 देशो को सेफ्टी रैंकिंग दी गई है।
रिपोर्ट कहती है जो देश इस महामारी से लड़ने में असमर्थ हैं, वे पूरे विश्व के लिए भौगोलिक और आर्थिक रुप से खतरा हो सकते है, ऐसा ही कुछ हमने सीरिया में आईएसआईएस के साथ युद्ध मे देखा था जिसके कारण यूरोप में शरणार्थियों की बाढ़ आ गई। थी इसलिए, सुरक्षा और जोखिम रैंकिंग तैयार करने में, देशों की स्थिरता,आर्थिक और जियो पोलिटक्स सुरक्षा से संबंधित मापदंडों पर विचार किया गया।
यह लिस्ट पिछले एक महीने के डाटा के बिग डाटा के विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है, इस लिस्ट में भारत का कहीं कोई जिक्र नहीं है। हमसे कई गुना छोटा देश इजरायल पहले नंम्बर पर है। जबकि मलेशिया 32वे और थाईलैंड 21 वें नंबर पर है सेफ्टी के सारे मानकों पर भारत बहुत पीछे है।
यह रिपोर्टे लगभग वो सब बातें दोहरा रही है,जो मेरे जैसे डाटा विश्लेषक 1 महीने से कह रहे है। भारत ने 15 दिन लेट लाकडाउन किया है और टेस्टिंग में हम बहुत पीछे है, यह रिपोर्ट में स्पष्ट है पर यह बात अंध भक्तों और गोदी मीडिया को समझ नही आयेंगी और कोई चैनल यह रिपोर्ट नही दिखायेगा।
मैं आपको फिर कह रहा हूँ कि भारत को केवल तापमान बचा रहा है, इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि डाटा और तर्कों पर विश्वास कीजिये। किसी मसीहा पर नही जो केवल मन की बात करता हो लेकिन विज्ञान की नही। उसे केवल उस पर भरोसा करने वाली भीड़ चाहिए और भीड़ के पास अंधविश्वास से ज्यादा शक्तिशाली और कोई लीडर नहीं होता है।