इटावा का “टीपू” कैसे बना उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री

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अखिलेश यादव के जन्मदिवस पर उनके राजनीतिक जीवन पर एक नजर।

उत्तर प्रदेश में 2012 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी से मुख्यमंत्री बने। इसी के साथ उत्तर प्रदेश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री का भी खिताब उन्हीं के नाम है।

राजनैतिक परिवेश में होने के कारण अखिलेश यादव का राजनीति में आना तय था। साल 2000 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश को कन्नौज सीट से जीत मिली।

इसके बाद 14 और 15 लोकसभा चुनाव में भी अखिलेश यादव ने अपनी सीट पक्की की थी। इससे पहले अखिलेश सिविल सप्लाई, वितरण कमिटी और खाद्य के सदस्य रह चुके हैं।

2000 से 2001 के बीच उन्होंने कमेटी ऑफ एथिक्स का सदस्य बनकर काम करा था। 2002 से 2004 के बीच वह एनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट कमिटी और विज्ञान एवं तकनीकी कमेटी के सदस्य भी थे।

ग्रामीण इलाकों और गरीबों के लिए शुरू से कार्य किया –
अखिलेश यादव ने शुरू से ही ग्रामीण इलाकों, गरीबों और किसानों के लिए काम किया है।

मुख्यमंत्री बनने से पहले जब पार्टी के सदस्यों ने पार्टी की डोर अखिलेश के हाथों में दी, तो उन्होंने एक नए तरह से चुनाव प्रचार किया। अखिलेश ने पूरे प्रदेश में रैलियां की, इससे अखिलेश को न केवल सफलता मिली बल्कि प्रदेश में एक नई पहचान मिली।

अखिलेश यादव ने 2012 के विधानसभा चुनाव में न केवल पार्टी को जीत दिलाई बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों और किसानों के बीच भी पार्टी को पहचान दिलाई। अखिलेश यादव को ही पार्टी की छवि बदलने का श्रेय दिया जाता है।

अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनावों में कई साइकिल रेलिया की और एक सफल रथ यात्रा भी की। इसी के परिणाम स्वरुप 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 403 में से 224 सीटें मिली।

अखिलेश यादव को 10 मार्च 2012 को समाजवादी पार्टी के नेता के रूप में चुना गया। इसके बाद 15 मार्च को वे उत्तर प्रदेश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।

2017 में हुए विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन करा। परंतु यह गठबंधन सफल नहीं हो पाया। इस चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी।

अखिलेश यादव से जुड़े कुछ रोचक बातें

-अखिलेश यादव अपने भाषणों के द्वारा युवाओं को अपनी और आकर्षित करते हैं अपने भाषणों में वह रोजगार जैसे मुद्दों को जोड़ते हैं, जिससे युवा बड़ी संख्या में उनकी तरफ आकर्षित होते हैं।

अखिलेश यादव की भाषा पर अच्छी पकड़ है। इसी के साथ अखिलेश यादव लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि वह उन्हीं में से एक है। एक कैंपेन के दौरान अखिलेश यादव ने 6 महीने में 800 रैलियां की थी और 10,000 किलोमीटर की यात्रा की थी।