सामान्य इंसान के दिल की धड़कन 60 से 90 बीट प्रति मिनट होती है, पर कई बार तेज दौड़ने, चलने या किसी भारी काम को करने में हमारे दिल की धड़कन भी तेज हो जाती है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है.
पर कई बार बहुत ज्यादा खुशी, बहुत तेज डर जाने और रोने पर भी हमारे दिल की धड़कन बहुत तेज हो जाती है. बहुत तेज धड़कनों को टेककार्डिया और धीमी धड़कनों को ब्रैडीकार्डिया कहते हैं.
इंसान के दिल की धड़कन 60 बीट प्रति मिनट (बीएमपी) से कम या 90 बीट प्रति मिनट (बीएमपी) से अधिक होने पर दिल के लिए भारी ख़तरा होता है.
आईये जानते हैं, कि किस प्रकार से हार्टबीट को सामान्य रखा जा सकता है
पानी खूब पियें
जब शरीर डिहाइड्रेट (पानी की कमी ) होता है तो दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है. इसका कारण ये है कि शरीर में पानी की कमी होने के कारण, हार्ट द्वारा शरीर के सभी हिस्सों में खून पहुंचाने में अधिक ताक़त लगती है. इसलिए ऐसे समय में धड़कन सामान्य से ज्यादा बढ़ जाती है.
इस हालत से बचने के लिए कैफ़ीन और शुगर से मुक्त पेय पदार्थों का भरपूर उपयोग करना चाहिए.
एक्सरसाइज करना हेल्थ के लिए बेनिफिशियल होता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा करने से दिल की धड़कनों पर असर भी पड़ सकता है।. अपनी क्षमता से ज्यादा मेहनत करने पर भी ऐसा हो सकता है। ज्यादा चिंता और उत्तेजना की वजह से भी दिल नॉर्मल ढंग से नहीं धड़क पाता है
बंद करें नमक के पदार्थों का सेवन
नमक में मौजूद सोडियम तत्व ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है इसलिए अगर आपको दिल की बीमारियों से बचना है तो आपको नमक का प्रयोग बहुत सीमित कर देना चाहिए. नमक का ज्यादा सेवन आपका ब्लड प्रेशर बढ़ा देता है जिससे हृदय में ब्लड ज्यादा मात्रा में पहुंचने लगता है. ज्यादा मात्रा में ब्लड होने से दिल को इसे जल्दी-जल्दी पंप करना पड़ता है और इससे हृदय गति बढ़ जाती है.
वजन कंट्रोल जरूरी है
मोटापा से डायबिटीज और दिल की बीमारियों की संभावना बहुत बढ़ जाती है. हार्ट रेट को सही बनाए रखने व हृदय गति को ठीक रखने के लिए अपने वजन को नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी होता है. मोटापा दिल से संबंधित कई बीमारियों की वजह बनता है. अपनी लंबाई के हिसाब से अपना वजन नियंत्रित रखें.
तनाव से रहें दूर
तनाव भी दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह है क्योंकि इसकी वजह से भी दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है. इसलिए खुद को तनाव से दूर रखें.