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नज़रिया – फ्रांस की जीत पर खुश क्यों हैं दुनिया भर के मुस्लिम?

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मुहम्मद इक़बाल
फ़्रांस की टीम में सात मुसलमानों की मौजुदगी पर जब मुसलमानों ने ख़ुशी का इज़हार किया तो कुछ लोगो से मुसलमानों की ये ख़ुशी देखी नहीं गयी और इसकी भी आलोचना करने लगे मेरी नज़र से एक आध पोस्ट ऐसा गुज़रा है जिसमे मुसलमानों द्वारा ख़ुशी के इज़हार पर भी घुमा फिरा कर आलोचना कर दी गयी है.
मुसलमानों का तो बस यही तर्क था के फ़्रांस की टीम में बहुसंख्यक ब्लैक और मुसलमान थे इसलिए मुसलमानों का ख़ुशी का इज़हार करना स्वाभाविक बात थी दुनिया में जब कोई मुस्लमान अच्छा काम करता है तो मुस्लमान होने के नाते दुनिया भर के मुसलमानों का खुश होना और उसका इज़हार करना स्वाभाविक है लेकिन कुछ सेल्फ हैट्रेड मुसलमानों और कुछ कुंठित और साम्प्रदायिक लोगो को मुसलमानों का खुश होना पसंद नहीं आया और वो इसपर भी नुक्ताचीनी करने लगे.
जबकि विदेश में जब भारतीय मूल का कोई व्यक्ति कामयाबी हासिल करता है तो यही लोग उस व्यक्ति को खूब सर आँखों पर बिठा लेते है और तारीफ से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लबालब भर जाता है जोकि स्वाभाविक भी है, भारत सरकार तो हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाती है ये उन लोगो के लिए आयोजित किया जाता है जो भारतीय मूल के लोग होते है जो खुद या जिनके पूर्वज कभी भारतीय हुआ करते थे पिछले साल के प्रवासी भारतीय दिवस में पुर्तगाल के प्राइम मिनिस्टर अंटोनी डी कोस्टा को मुख्य अतिथि बनाया गया था.
इसी साल जनवरी में भारत सरकार ने दुनिया भर के सांसदों को आमंत्रित किया जो भारतीय मूल के हैं और उनका दिल्ली में एक अधिवेशन आयोजित किया गया जिसे World Parliament of People of Indian origin तक कहा गया, दुनिया भर में भारतीय मूल के सांसदों के इस आयोजन में लगभग डेढ़ सौ भारतीय मूल के सांसद सम्मिलित हुए, वो या उनके पूर्वज कभी भारतीय नागरिक हुआ करते थे.
जब बॉबी जिंदल, लक्ष्मी निवास मित्तल, सबीर भाटिया, इंदिरा नूयी, कल्पना चावला, वी एस नायपाल जैसे भारतीय मूल के लोग कोई कामयाबी हासिल करते है तो जोकि भारतीय नागरिक नहीं होते है मगर भारतीय मूल के होते है तो इन लोगो को खूब ख़ुशी होती है प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इन्हें सर आँखों पर बिठा लेता है, चारो ओर चर्चा होने लगती है जोकि स्वाभाविक भी है लेकिन जब फ़्रांस की टीम में सात मुस्लिम शामिल थे इस बात को लेकर दुनिया भर के मुस्लमान ख़ुशी का इज़हार कर रहे हैं तो कुछ कुंठित और इस्लामोफोबिक लोगो से मुसलमानों की ख़ुशी देखी नहीं जा रही है उन्हें मुसलमानों को खुश होता देखकर दुख हो रहा है और कुछ मुस्लिम सेल्फ हैट्रेड लोग भी मुसलमानों द्वारा ख़ुशी का इज़हार किए जाने पर नुक्ताचीनी कर रहे है.
ऐसे कुंठित और सेल्फ हैट्रेड लोगो को चाहिए के वो अपनी कुंठा और सेल्फ हैट्रेड का समय रहते इलाज करा लें कहीं उनकी ये बीमारी लाइलाज न हो जाए.

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