मणिपुर हिंसा ( Manipur Violence ) के बारे में वो सब जो आप जानना चाहते हैं

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मणिपुर ( Manipur ) में जातीय संघर्ष के दौरान यौन उत्पीड़न के एक मामले को लेकर महिला समूहों ने शुक्रवार को दूसरे दिन भी संसद की कार्यवाही बाधित की और महिला समूहों ने देश भर में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई। मणिपुर में तीन मई को भड़की हिंसा ( Violence in Manipur ) में कम से कम 130 लोगों की मौत हो चुकी है और 60,000 से अधिक लोग अपने घरों को छोड़कर जा चुके हैं।

म्यांमार की सीमा से सटे हुए राज्य मणिपुर में संघर्ष तब शुरू हुआ जब कुकी आदिवासी समूह और एक गैर-आदिवासी समूह मएतेई (जोकि जातीय बहुमत रखता है) के साथ आर्थिक लाभ और जनजातियों (आदिवासियों) को दिए गए कोटा को साझा करने पर भिड़ंत शुरू हुई।

यह समस्या उस वक़्त तब शांत हुई जब अर्धसैनिक बलों और सेना के हजारों जवानों को 3 लाख की आबादी वाले मणिपुर में भेजा गया। लेकिन कुछ ही समय बाद हिंसा और हत्याएं जल्द ही फिर से शुरू हो गईं और तब से राज्य में तनाव बना हुआ है। मई में कुकी आदिवासी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और न्यूड परेड के वीडियो इस हफ्ते सामने आए, जिसके बाद पूरे देश में गुस्सा और आक्रोश फैल गया।

मणिपुर में कैसे शुरू हुई हिंसा ?

मणिपुर की पहाड़ियों में रहने वाले नागा और कुकी आदिवासियों ( Kuki and Naga tribals ) ने 3 मई को एक विरोध प्रदर्शन किया। यह विरोध मएतेई जाति के लोगों को दिए जाने वाले उस संभावित लाभ के विरोध में था, जो उन्हे संभवतः कुकी और नागा आदिवासियों को दिए जाने वाले कोटे में से मिलता।

मेइतेई एक दशक से अधिक समय से विशेष लाभ की मांग कर रहे हैं। लेकिन अप्रैल में मणिपुर उच्च न्यायालय की सिफारिश के बाद उन्हे और बल मिला । जब न्यायालय ने कहा मई के मध्य तक का समय सीमा निर्धारित करके कहा कि सरकार को इस मांग पर विचार करना चाहिए।

  • मणिपुर की आधी आबादी मइतेई समुदाय (  Meitei ) की है और उन्हें आदिवासी कोटा देने का मतलब होगा कि उन्हें कुकी और नगाओं के लिए आरक्षित शिक्षा और सरकारी नौकरियों में हिस्सा मिलेगा।
  • मेइती पारंपरिक रूप से मणिपुर के अधिक समृद्ध घाटी क्षेत्र में रहते हैं जो राज्य के क्षेत्र का 10% हिस्सा बनाता है।
  • उन्हें रोजगार और आर्थिक अवसरों तक भी बेहतर पहुंच मिली हुई है।
  • नागा और कुकी खराब विकसित पहाड़ियों में रहते हैं।
  • पहाड़ियों पर घाटी के पक्ष में विकास असंतुलन आदिवासियों और मएतेई जातीय समूहों के बीच विवाद और प्रतिद्वंद्विता का एक बिंदु रहा है।

समस्या कैसे बढ़ी ?

हाल के महीनों में हुई हिंसात्मक घटनाओं से पुरानी दरारों के उजागर होने के पहले तक सभी जातीय समूह शांतिपूर्ण रूप से एक साथ मिलजुलकर रह रहे थे। मणिपुर म्यांमार के साथ लगभग 400 किलोमीटर (250 मील) की सीमा साझा करता है और 2021 में हुए तख्तापलट ने हजारों शरणार्थियों को भारतीय राज्य मणिपुर में धकेल दिया।

कुकी म्यांमार की चिन जनजाति के साथ जातीय वंश साझा करते हैं और मेइती को डर था कि शरणार्थियों के आगमन से उनकी संख्या अधिक हो जाएगी। फ़िलहाल मणिपुर के बिज़नेस , खेती, राजनीति और नौकरियों में मएतेई समुदाय का वर्चस्व है। उन्हे लगा कि अगर कुकी समुदाय की आबादी बढ़ी तो ये हमारे लिए राजनीतिक रूप से खतरा हो सकता है।

इससे अलग, राज्य की भाजपा सरकार ने फरवरी में पहाड़ी क्षेत्र के जंगलों से आदिवासी समुदायों कुकी एवं नागा समुदाय को बेदखल करने के लिए एक अभियान शुरू किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया है, जिससे आदिवासी लोगों में गुस्सा है कि उन्हें उनके घरों से बाहर निकाला जा रहा है।

इंफाल रिव्यू ऑफ आर्ट्स एंड पॉलिटिक्स के संपादक प्रदीप फंजौबम ने कहा, “यह लंबे समय से बन रहा है, कुछ मायनों में अनदेखी और कुछ मायनों में काफी खुले तौर पर, लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही थी।

अभी तक शांति क्यों नहीं लौट पाई है?

  • हालांकि हिंसा का पहला प्रकोप मई के मध्य तक कम हो गया था, लेकिन छिटपुट प्रतिशोध के हमले कुछ दिनों के भीतर फिर से शुरू हो गए।
  • मइतेई और कुकी दोनों को हथियारों से भरा माना जाता है, जिसमें स्वचालित हथियार शामिल हैं जो या तो राज्य पुलिस से चुराए गए हैं या म्यांमार में सीमा पार से मंगाए गए हैं।
  • सरकार ने सीमा पार से संचालित होने वाले सशस्त्र समूहों को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए म्यांमार के वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत की है, लेकिन इसका अभी तक कोई परिणाम नहीं निकला है।
  • कुकी और मेइतेई समूहों ने भी पैनल में शामिल नामों पर मतभेदों के कारण केंद्र सरकार द्वारा गठित शांति पैनल में शामिल होने से इनकार कर दिया।
  • राज्य में भारतीय सेना और केन्द्रीय अर्धसैनिक बल स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकते हैं और कानूनी रूप से राज्य पुलिस और अधिकारियों के साथ काम करने के लिए बाध्य हैं। विश्लेषकों का कहना है कि राज्य पुलिस और अधिकारी भी जातीय आधार पर भी विभाजित हैं।
  • इसके अलावा, कुकी आदिवासियों ने भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य सरकार के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर मिलीभगत और निष्क्रियता का आरोप लगाया है, और उन्हें हटाने की मांग की है। वहीं मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने आरोपों से इंकार किया है।
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