1988 में वार्ड सभासद बने,1993 में मुजफ्फरनगर शहर विधानसभा से मुलायम सिंह यादव ने प्रत्याशी बनाया लेकिन हार हुई,1998 में सपा द्वारा विधान परिषद गये। 2004 में मुजफ्फरनगर लोकसभा में उम्मीदवार बनते बनते टिकट मुनव्वर हसन को मिला तो सपा छोड़ रालोद का दामन थाम लिया और 2007 में मोरना (अब मीरापुर) विधानसभा से रालोद के प्रत्याशी बनें और विधायक बन गए।
2009 में रालोद से बसपा में चले गए और मुजफ्फरनगर लोकसभा से सांसद चुने गए और 2014 में फिर से बसपा के मुजफ्फरनगर लोकसभा से प्रत्याशी बनाये गए लेकिन चुनाव हार गए। अब 2022 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए पूर्व सांसद और पूर्व विधायक क़ादिर राणा अब लखनऊ मे समाजवादी पार्टी जॉइन करने जा रहे हैं।
यूपी के बदलते हुए माहौल में जहां अखिलेश यादव मज़बूती विपक्षी नेता की तरह अपनी पहचान बनाते हुए नज़र आ रहे हैं तो बसपा के बड़े और पुराने नेताओं से लेकर कांग्रेस के नेता भी समाजवादी पार्टी का दामन थाम रहे हैं। इनमें अब एक और नाम क़ादिर राणा का भी जुड़ गया है। क़ादिर राणा क्यों सपा में जा रहे हैं क्या उनकी राजनीतिक पसंद है आइये उस पर ध्यान देते हैं।
क्यों जा रहे हैं समाजवादी पार्टी में?
क़ादिर राणा पश्चिमी यूपी के एक बड़े राजनीतिक परिवार राणा परिवार से ताल्लुक रखते हैं। जहां सांसद, विधायक और विधान परिषद तक के के लिए चुने जाने वाले नेता रहे हैं। क़ादिर राणा बुढ़ाना विधानसभा के सुजडू गांव से ताल्लुक रखते हैं। 2019 में उन्होंने मुजफ्फरनगर लोकसभा से अजीत सिंह को चुनाव लड़ाया था।
2014 के बाद से अब तक बदले हालात के बाद क़ादिर राणा और उनके परिवार के लिए हालात बदल गए हैं। मौजूदा वक्त में उनके घर से कोई भी विधायक या सांसद नही हैं। क़ादिर राणा खुद भी 2019 में बिजनोर लोकसभा से बसपा के टिकट दावेदारों में थे लेकिन मलूक नागर के वहां आने के बाद वो खाली हाथ ही रहें थे।
अब जब 2022 का यूपी में विधानसभा का चुनाव करीब आया है,तो पूर्व सांसद आपने लिए नए रास्ते तलाश रहे हैं। दरअसल पिछले 6 महीने से बसपा से मीरापुर विधानसभा से बसपा प्रत्याशी के तौर पर खुद को पेश कर रहे थे। लेकिन उन्हें बदलते हुए माहौल का अंदाज़ा हो गया है इसलिए वो अब अखिलेश यादव के साथ जा रहे हैं।
कहाँ से लड़ सकते हैं चुनाव?
क़ादिर राणा फिलहाल समाजवादी पार्टी जॉइन करने जा रहे हैं और हो सकता है 59 वर्षीय पूर्व विधायक और पूर्व सांसद क़ादिर राणा फिर के एक बार सपा से उम्मीदवार बनते हुए नज़र आये। लेकिन ये बड़ा सवाल है कि कौनसी सीट से? सूत्रों के मुताबिक क़रीबन 6 महीनों पहले भी वो सपा जॉइन करने वाले थे और उन्होंने उसकी शर्त में मीरापुर विधानसभा से टिकट मांगा था।
लेकिन अखिलेश यादव ने कोई भी आश्वासन नही दिया तो उन्होंने अपने पैर पीछे खींच लिए, अब फिर से समाजवादी पार्टी का दामन थामने जा रहे हैं। इस बार उनके कॉन्फिडेंस और कई सारे और नेताओं को अपने साथ मे पार्टी जॉइन कराने के फैसले के बाद ये लग रहा है कि क़ादिर राणा को टिकट दिए जाने को लेकर भरोसा दिया गया है।
प्रदेश के बदलते हुए माहौल में कादिर राणा का ये फैसला राजनीतिक तौर पर फिलहाल फायदेमंद नज़र आ रहा है,उनके भाई नूर सलीम राणा ने भी कुछ दिनों पहले रालोद जॉइन की थी अब वो सपा में गए हैं और ये तय है कि दोनों ही नेता चुनाव लड़ना चाहते हैं। अब देखना ये है कि आगे क्या होता है।