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दो चुनाव हारने के बाद तीसरे चुनाव में इतिहास रच दिया था "बहनजी" ने

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जिसने अपनी कौम को सर उठाकर चलना सिखाया, जिसने अपनी कौम को रुतबा दिलाया,जिसने अपनी कौम की रहनुमाई की और पुरी ईमानदारी से की,यह “मायावती” है वही मायावती जिसने “चमार” शब्द सुनकर अपने अंदर ज़ब्त कर लिया था,और उस समुदाय को इज़्ज़त दिलाने का वादा किया था।जी हां यहाँ ज़िक्र है भारतीय राजनीति की “बहन जी” का।
वही मायावती जिसने अपनी कौम की ख़िदमत के लिए सुबह नौकरी और रात को पढाई करने का फैसला किया,क्योंकि उसे आइएस बनकर आने समाज की और देश की सेवा करनी थी।जी हां यह वही मायावती है जो चार बार देश के सबसे बड़े राज्य की मुख्यमंत्री बनी,ये वही मायावती है जो अपनी कौम,समुदाय की नेता बनी,जिस नेता ने बाबा साहेब की राजनीति को कांशीराम के साथ मिलकर आगे बढ़ाया।
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जिसने अपनी कौम को सर उठा कर जीना सिखाया,सम्मान दिलाया और उनकी रहनुमाई की ,ये वही मायावती है जिन्होंने अपने समुदाय की बुराई सुन वरिष्ठ नेता को ललकार दिया था,और वो दलित पुत्री कांस्टीटूटशन क्लब में बोल रही थी और और एक नेता जन्म ले रहा था,जिन्हें कांशीराम जेसी शख़्सियत ने पहली बार मिलकर ही की कह दिया था कि वो उन्हे उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना सकता है,हाँ ये वही मायावती है जो संसद में सीना चौड़ा करके महज़ 2 सीट वाली अपनी पार्टी के दम पर भरी पूरी भाजपा को ललकार देती थी। उस शख्सियत का रौब और हिम्मत हमेशा भारत की राजनीति में रहेगी।
मायावती एक नेता थी है और रहेंगी और पूरी ईमानदारी से बनी भी क्योंकि ये बहन जी ताक़त ही थी की ब्राह्मणवाद के राज वाले उत्तर प्रदेश में “तिलक तराज़ू तलवार” का नारा बड़ी हिम्मत से देकर उन्होंने वहां राज किया,ये मायावती ही थी जिसने अपने दम पर उत्तर प्रदेश में एक पार्टी खड़ी कर दी थी.ये मायावाती ही जिसने दो चुनाव हारने के बाद भी तीसरा चुनाव जीत कर इतिहास दर्ज किया,हां इसी मायावती ने ब्रह्मवाद का किला भेद दिया।
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मायावाती नेता बनी देश की,उत्तर प्रदेश की अपनी कौम की,और आवाज़ बनी पिछड़ों की जी हां ये मायावती है,आयरन लेडी जो दलितों की मसीहा है,मायावती महज़ सिर्फ एक नेता नहीं है वो उदाहरण है लीडर बनने का,उदाहरण है कौम को सम्भालने का,उदाहरण है उन नेताओं के लिए जो सिर्फ नेता बनने के लिए अपनी कौम को भूल जाते है भूल जाते है ।
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उदाहरण है हर उस शख़्स के लिए जो लीडर बनना चाहता है,हां वक़्त के साथ मायावती बदल गयी है लेकिन वो आज भी वही खूबियों से भरी लड़की है जो हिम्मत रखती थी पूरी कौम,समुदाय और पीढ़ी का बोझ अपनी पीठ पर उठाने के लिए,माद्दा रखती है एक डरी हुई कौम को सुधार कर सर उठा कर चला कर इज़्ज़त देने के लिए… हां मायावती लीडर है और मिसाल है लीडर बनने वालों के लिए…..आप को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं..।

असद शैख़