देश की सर्वोतम अदालत ने ऑनर किलिंग पर आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने ऑनर किलिंग पर बेहद कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अगर दो बालिग शादी करते हैं तो कोई भी तीसरा पक्ष उसमें दखल देने वाला कौन होता है.
ऑनर किलिंग और खाप पंचायत पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख दिखाते हुए कहा कि अगर दो वयस्क शादी करना चाहते हैं, तो कोई तीसरा व्यक्ति दखल नहीं दे सकता. अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि शादी में न मां-बाप, परिवार, समाज और इसके अलावा कोई भी दखल नहीं दे सकता.
ऑनर किलिंग और खाप पंचायत के खिलाफ शक्तिवाहिनी संगठन (NGO) की एक याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी की है. इस याचिका में ऑनर किंलिंग जैसे मामलों पर रोक लगाने के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई दो बालिग शादी कर भी लेते हैं जो की रिश्तों की कसौटी से परे है तो उसे अमान्य घोषित करने का हक सिर्फ कानून को है. खाप पंचायत या पैरेंट्स ऐसे जोड़े के खिलाफ हिंसा नहीं कर सकते.
सरकार ने खाप पंचायतों को बैन नहीं किया तो कोर्ट एक्शन लेगी सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने इस पिटीशन पर सुनवाई के दौरान कहा था कि कोई पंचायत खाप पंचायत पैरेंट्स सोसायटी या कोई शख्स इस पर सवाल नहीं कर सकता।कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार खाप पंचायतों पर बैन नहीं लगाती तो कोर्ट एक्शन लेगा.
NGO ने 2010 में याचिका दायर कर मांग की थी कि राज्य और केंद्र सरकार ऑनर किलिंग को रोकने का काम करें. याचिका में कहा गया था कि खाप अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह के विरोधी हैं और इसके चलते कई लोगों की हत्या भी हुई है.
ये थी पूरी सुनवाई –
NGO की पिटीशन पर सुनवाई कर रहा था SC
सुप्रीम कोर्ट एक गैरसरकारी संगठन (NGO) शक्ति वाहिनी की पिटीशन पर सुनवाई कर रहा था, पिटीशन में मांग की गई थी कि इस तरह के अपराधों पर रोक लगनी चाहिए.
उत्तर भारत खासतौर पर हरियाणा में कानून की तरह काम कर रही खाप पंचायतें या गांव की अदालतें परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी करने वालों को सजा देती हैं.
खाप पंचायत
सुप्रीम कोर्ट में खाप पंचायतों की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि वे ऑनर किलिंग के खिलाफ हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हमें खाप पंचायतों की चिंता नहीं है, हमें सिर्फ शादी करने वाले जोड़ों की चिंता है। यह सही है या नहीं है हम इससे दूर रहें.
कोर्ट ने मांगे उपाय
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और पिटीशनर्स से ऐसे उपाय मांगे हैं जिनसे शादी करने वाले जोड़ों की हिफाजत की जा सके. इस मामले की अगली सुनवाई 16 फरवरी को होगी.