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दिग्विजय सिंह ने CAA को बताया गुमराह करने की साज़िश

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Rohit Shivhare

भोपाल के इकबाल मैदान में चल रहे सत्याग्रह में 22 जनवरी को सत्याग्रह स्थल पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पहुंचकर सत्याग्रह का समर्थन किया। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ भोपाल के इकबाल मैदान में 1 जनवरी से अनिश्चितकालीन सत्याग्रह जारी है। 1 जनवरी से ही लगातार भिन्न-भिन्न कार्यक्रमों के जरिए सत्याग्रह स्थल पर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। 22 जनवरी को सत्याग्रह का आज 22 वां दिन था।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि ‘जरूरत नहीं थी इस क़ानून की, उन्होंने नए कानून को गैर जरूरी बताते हुए इसको देश के नागरिकों को गुमराह करने की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि जो कानून देश के संविधान के मुताबिक पहले से लागू था, उसमें छेड़छाड़ करने की क्या जरूरत पड़ गई। नागरिकता के लिए पहले से लागू 14 बरस की बाध्यता को हटाकर 5 साल कर दिया जाना महज देश को धर्म और जाति के नाम पर बांटने की साजिश है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के नागरिकों के लिए लागू किया जाना और उसमें भी एक धर्म के लोगों के लिए अलग व्यवस्था बताना किसी स्वस्थ सरकार का नजरिया नहीं कहा जा सकता।’
वे आगे कहते हैं कि हम इस कानून को मानने को राजी नहीं हैं। इस काले कानून के खिलाफ हम और हमारे साथी हमेशा खड़े रहेंगे। प्रजातन्त्र में एक तरफा बात होने से इसकी आत्मा खत्म हो जाएगी। हम मोदी को चाय पर चर्चा के लिए आमंत्रित करते हैं, वे आएं और हमारे मन की बात सुनें। यह मामला हिन्दू और मुसलमान का नहीं है। इस काले कानून के घेरे में देश का हर नागरिक आने वाला है। इसलिए उन लोगों से सतर्क रहें जो घर घर जाकर एनआरसी और सीएए को बेहतर बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की मूल ताकत यहां की एकता में अनेकता ही है, इसको बिखेरने की कोशिश की गई तो देश की आत्मा नष्ट हो जाएगी।
अब्दुल हक बताते हैं 10 दिसंबर से हम पहले कानून के विरोध में सड़कों पर उतरे, लेकिन हमारे साथ ज्यादा से ज्यादा संख्या में भोपाल का जुड़ रहा तो हमें लगा की हमे थोड़ा व्यवस्थित तरीके से करना चाहिए। जिससे किसी भी प्रकार के टकराव के कारण हिंसा का माहौल न बने, इसीलिए हमने 1 जनवरी से अनिश्चितकालीन सत्याग्रह इकबाल मैदान पर चालू किया। इसके पहले हमें किसी अन्दोलन का अनुभव नहीं था, इसलिए हमने धीरे-धीरे प्रारूप बनाना चालू किया। शाम 7:00 बजे से 9:00 बजे तक अलग-अलग विषयों पर युवाओ के साथ चर्चा करते हैं, कल शाम क्लाइमेट चेंज विषय पर चर्चा हुई। इसके अलावा हर 2 दिन के बाद एक सांस्कृतिक प्रतिरोध का कार्यक्रम रखते हैं। जिसमें गजल कव्वाली गीत कविता पेंटिंग आदि माध्यमों से कलाकार और युवा साथी अपना प्रतिरोध प्रदर्शित करते हैं। शाम 7:00 बजे से 9:00 बजे तक शहर के या बाहर विशिष्ट व्यक्तित्व युवा साथी अपने विचार सकते हैं। यह सत्याग्रही प्रतिरोध हमारा यूही अनवरत चलता रहेगा, जब तक कि हमारी मांगे नहीं मान ली जाएंगी।
देश भर की विख्यात प्रतिरोधी स्वर के लोग इकबाल मैदान पर आकर सत्याग्रह के प्रति अपना समर्थन जाहिर कर चुके हैं। सत्याग्रह स्थल पर अब तक मुख्य रूप से पूर्व आईएएस कनन गोपीनाथन, मेधा पाटकर, राजेश जोशी,पूर्व आईएएस शशिकांत और शिक्षाविद डॉ अनिल सदगोपाल शामिल है।
आयोजन समिति का हिस्सा आशा मिश्रा बताती हैं, कि यह कानून संविधान विरोधी है और हम इसके खिलाफ की लड़ाई लड़ते रहेंगे। सरकार अपनी मनमानी करना चाहती है, यह सरकार गरीबों और मुसलमानों की विरोधी सरकार है। इस सरकार के किसी भी तानाशाही भरे कानून को स्वीकार नहीं करेंगे। इसीलिए हम अनिश्चितकालीन शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने हैं और अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक गुलजार सिंह मरकाम कहते हैं कि

“अभी नहीं जागे,तो गुलामी खड़ी है आगे” NCR,CAAअब NPR भारत के करोड़ों लोगों को नागरिकता की “संदेह सूची” में डालकर २०२४ के आम चुनाव में वोट देने से वंचित करने का षड्यंत्र है। ताकि एक बार पुनः सत्ता हासिल करके संविधान को पूरी तरह बदलकर नया संविधान, जो कि “फासिस्टवादी” तानाशाही विचारों से तैयार किया गया है लागू कर दिया जायेगा। प्रजातांत्रिक तरीके चुनी गयी राज्य सरकारें यदि बगावत करती हैं तब राज्यों की शक्तियों को शून्य घोषित कर दिया जायेगा या बरखास्त कर दिया जायेगा।
भारत तानाशाही शासन वाले राष्ट्र के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने में जुट जायेगा, आम जनता आर्थिक रूप से कमजोर और लाचार होकर सत्ता का विरोध करने लायक नहीं बचेगी। तब संसाधन और सत्ता का सुख चंद मुट्ठी भर लोग लेंगे । यही आने वाले भविष्य की सच्चाई है। इसीलिए हम सभी को इसका विरोध करना चाहिए।