कोरोना का डर अब लगभग हर एक के दिल में थोड़ा या ज़्यादा है। बुज़ुर्गों में ज़्यादा है और युवाओं में कम। वजह है मृत्यु का आंकड़ा। लोग कह रहें हैं केवल 1 से 3 प्रतिशत ही तो है। और वह भी अधिकतर मरने वाले बुज़ुर्ग हैं या फिर किसी जीर्ण रोग से शीर्ण हो चुके रोगी। हम युवा क्यों डरें?
क्या इस महामारी को ही प्राथमिकता दे देकर हम लोगों को दूसरे रोगों से मरने के लिए बेबस नहीं छोड़ देंगे? शायद हाँ। क्या उस हाहाकार की आप कल्पना कर सकते हैं? शायद नहीं। क्या इस स्थिति से उत्पन्न भुखमरी और लूटपाट के नज़ारों की आप कल्पना कर सकते हैं? शायद नहीं। यह बेहद डरावना है। आप कह रहें होंगे कि प्लीज् हमें डराना बन्द कीजिए। तो लीजिए कर दिया मैंने आपको डराना बन्द। अब आप भी मेरी एक विनती मानिए कि आप लापरवाही करना बंद कर देंगे। डरिए कम से कम और सावधानियां रखिए ज़्यादा से ज़्यादा।
फ़िलहाल तो हम अच्छी स्थिति में हैं। अभी हमारे देश में यह प्रति 10 लाख पर 5 लोगों में फैला है। लेकिन यह पिछले एक दिन में 3.8 से 5 पर पहुंचा है। कम्युनिटी स्प्रेड के मामले अभी तक बड़े स्तर पर सामने नहीं आए हैं। कुछ मुख्यमंत्री लेकिन इस बात को कह रहें हैं कि कम्युनिटी स्प्रेड होने लगा है। जो चिंतनीय है। हम भारतीय ही दूसरे भारतीयों को बचा सकते हैं। हम ही एक दूसरे की ढाल हैं। आओ हम प्रेम के एक सूत्र में बन्ध कर इस महामारी से सबको बचा लें