कल ओबामा भारत दौरे पर थे. भारत में मोदी सरकार बनने के बाद से धार्मिक सहिष्णुता की बात को लेकर बड़ा बवाल मचता रहा और सरकार हमेशा से ही इस पर आरोप को ख़ारिज करती रही है और कहती रही है की ऐसा कुछ नहीं. ये तो सिर्फ जिन्न है जो सिर्फ चुनाव के समय ही बाहर निकलता, पर अब इस पर एक कदम ओर बढ़ गया, कदम बढ़ाने वाले है दुनियां के सबसे शक्तिशाली देश के पूर्व राट्रपति बराक ओबामा.
बराक ओबामा ने भारत में ‘हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ भाग लेने आये हुए थे. तब उन्होंने बताया कि 2015 में अपनी पिछली भारत यात्रा के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बंद कमरे में हुई बातचीत में उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता और अपने धर्म का पालन करने के अधिकार पर बल दिया था.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि भारत की मुसलमान आबादी संगठित है और खुद को भारतीय मानती है. इसलिए भारत को अपनी मुस्लिम आबादी को साथ लेकर चलना चाहिए और उनका बड़े दुलार से पालन-पोषण करना चाहिए. वह मानते हैं कि धार्मिक सहिष्णुता पर भी जोर दिए जाने की जरूरत है.
राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद पहली बार भारत दौरे पर आए ओबामा ने शुक्रवार को एक अंग्रेजी अखबार के सम्मेलन में कहा कि भारत को इस विचार को मजबूती से अमल में लाने की जरूरत है.
वर्ष 2009 से 2017 तक 44वें अमेरिकी राष्ट्रपति रहे ओबामा ने कहा कि हमेशा ही हर वक्त एक विरोधी बयान आ रहा है. लेकिन अब वह यूरोप, अमेरिका और कुछ दफा भारत में अधिक मुखर है. कुछ आदिवासी पुरातन विचार कुछ नेताओं की शह पर जोर पकड़ते हैं, फिर पीछे हट जाते हैं.
मनमोहन सिंह की भी की तारीफ
ओबामा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ भी की. ओबामा ने कहा कि ‘मनमोहनसिंह एक अच्छे इकोनॉमिस्ट थे और 2008 के वित्तीय संकट के दुष्परिणामों से निपटने में मनमोहन सिंह ने बड़ा सहयोग दिया था. दिल्ली में एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में ओबामा ने कहा, ‘(मनमोहन) सिंह हमारे मुख्य भागीदार थे, जब हम वित्तीय मंदी (2008) के दौरान काम कर रहे थे।’