कोरोना ने एक अजीब सा भय फैला दिया है लोगों के बीच, जिसका अभी तक कोई इलाज भी नहीं है। पहले घोषित कर्फ्यू के बाद भी लोग घर से निकला करते थे । (इस कारण फिर पुलिस के डंडे भी पड़ते थे। मेरे दोस्त के एक लगा था तो उसने बिस्तर पकड़ लिया था।)
अब सब बिना कर्फ्यू के ही घरों में कैद हैं। यह सब से बेहतर उपाय भी है यदि कर पा रहे हैं तो।क्योंकि यह सम्पर्क से ही फैलता है।
मैंने अपनी जिंदगी में कर्फ़्यू देखा है। दंगे वाला। मेरे शहर में दंगे फैल गए थे और प्रशासन ने स्थिति को समझते हुए पहले 144 धारा लगाई फिर कर्फ्यू लगा दिया। उस दौरान ऐसी स्थिति नहीं थी कि डर लगे। हमारा घर उस जगह है जहाँ हम सुरक्षित थे। इस दौरान भी आप घर में ही रहेंगे तो ज्यादा सुरक्षित रहेंगे।
दंगों के दौरान यह होता है कि मारने वाला इंसान ही होता है और यह बहुत भयानक और घिनोनी घटना होती है। लेकिन यह वायरस वाला सिस्टम बहुत अलग है, इसमें इंसान ही हैं जो दूसरों की जिंदगी बचा सकता है। हो सकता है इस वायरस का यह परिणाम निकले कि लोग एक दूसरे के ओर करीब आ जाएं और ये दुनिया ज्यादा सुखद बने।
युवाल नोहा हरारी ने कहा है कि यह 100 सालों में सबसे बड़ी महामारी है लेकिन उससे पहले उन्होंने यह भी कहा कि आज हमारे पास इससे निपटने के भी उपाय हैं। वैक्सीन बनने का काम भी शुरू हो गया है। शायद जल्दी बन भी जाए।
जरूरी यह भी है : कोरोना वायरस सामान्य नहीं है, लेकिन वो जिस तरह से सामने आया है। वो रूप ज्यादा भयानक है। इस घड़ी में कोरोना को कलंक मत मानिए ताकि पीड़ितों का हौसला बना रहे।
सावधानी बरतिए इसे मजाक में तो बिल्कुल भी मत लीजिये। आज हैप्पीनेस डे है।यह मजाक करने का समय नहीं है लेकिन खुश रहिए, फूफा मत बनिये। नहीं तो ज्यादा सीरियस होकर अवसाद में आ जाएंगे।
नोट : पैनिक मत होइए !