( नोट : हमने यह लेख NDTV के सुशील महापात्रा की फ़ेसबुक पोस्ट से लिया है, उनकी फ़ेसबुक पोस्ट पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें )
प्रशांत भूषण के मामले में कई दिनों के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक जबरदस्त बहस देखने को मिला। एक तरफ bar दूसरी तरफ bench यानी एक तरफ वकील दूसरी तरफ जज। सुबह से ही प्रशांत भूषण केस पर नज़र थी। एक तो एक बड़े वकील को सजा होने वाली थी दूसरी तरफ न्यूज़ के हिसाब से खबर पर नज़र भी रखना था। जैसे ही हमारी सहयोगी आशीष भार्गव ग्रुप में एक्टिव दिखे,मैं भी एक्टिव हो गया। जब आशीष जी किसी बड़े केस की डिटेल भेजते तो नजर सिर्फ उसी पर रहता है किसी दूसरी न्यूज़ पर ध्यान नहीं जाता है। आशीष जी बहुत शानदार तरीके से सुनवाई की डिटेल सब भेजते रहते हैं। उनकी डिटेल सब पढ़ने के बाद ऐसा लगता है जैसे आप खुद कोर्ट में हैं और कोर्ट की करवाई की प्रोसिडिंग देख रहे हैं।
आशीष जी का पहला संदेश आया कि कोर्ट में केस की सुनवाई शुरू। फिर नज़र सिर्फ व्हाट्सएप्प पर थी। ऊपर बार बार नज़र जा रही थी कि आशीष कुछ टाइप कर रहे हैं या नहीं। जब आशीष टाइप करते हुए दिखाई देते थे तब पता चल जाता था कि बहुत जल्दी कुछ अपडेट आने वाली है। सबसे पहले प्रशांत भूषण के तरफ से वकील दुष्वन्त दवे अपना पक्ष रखते हैं। पहले सुनवाई प्रशांत भूषण की अर्जी पर होती है ।प्रशांत भूषण कोर्ट में यह अर्जी डाले हैं कि सजा की सुनवाई तब तक न हो जब तक पुर्नविचार याचिका का सुनवाई न हो जाए।दवे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के लिए प्रशांत भूषण के पास 30 दिनों का समय है। इसीलिए सजा न सुनाया जाए लेकिन जस्टिस मिश्रा काउंटर करते हैं, जस्टिस मिश्रा कहते हैं कि कोर्ट का फैसला तब पूरा होगी जब कोर्ट सजा सुना देगा।जस्टिस मिश्रा यह समझाने की कोशिश करते हैं कि अभी तक कोर्ट का फैसला पूरा नहीं हुआ है। जब सजा होगा तब पूरा होगी और उसके बाद प्रशांत पुर्नविचार याचिका दायर कर सकते हैं।
वकील दवे और जस्टिस मिश्रा के बीच बहस चलती रहती है। दवे का यही आर्गुमेंट रहता है कि अभी सजा न सुनाया जाए लेकिन जस्टिस मिश्रा उंन्हे समझने की कोशिश करते हैं कि सजा अगर हो भी जाये तो प्रशांत के पास पुर्नविचार याचिका दायर करने के लिए मौका है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को भरोसा दिलाता कि अगर सजा दी भी जाती है यह तो यह पुनर्विचार याचिका के फैसले तक लागू नहीं होगी यानी जबतक पुर्नविचार याचिका की फैसला नहीं आ जाती है तब तक प्रशांत सजा की हकदार नहीं होंगे। इस बीच जस्टिस अरुण मिश्रा समझाने लगते हैं वो प्रशांत भूषण को कहते हैं कि हम आपने साफ फेयर रहेंगे। फिर कोर्ट सजा की सुनवाई को टालने से इनकार कर देती है। यहां प्रशांत भूषण की याचिका खारिज हो जाती है।
अब सजा पर सुनवाई शुरू होती है।अब प्रशांत भूषण का स्टेटमेंट कोर्ट को दिया जाता है।अपने स्टेटमेंट में प्रशांत भूषण कहते हैं ‘मैं दुखी हूं और मुझे पीड़ा भी हुई कि अदालत ने मुझे वह शिकायत नहीं प्रदान की जिसके आधार पर अवमानना की गई थी. मैं इस बात से निराश हूं कि कोर्ट ने मेरे हलफनामे पर विचार नहीं किया. मेरा मानना है कि संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए किसी भी लोकतंत्र में खुली आलोचना होनी चाहिए इसी के तहत मैने अपनी बात रखी थी. मुझे यह सुनकर दुःख हुआ है कि मुझे अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है।मुझे दुख इस बात का नही है की मुझको सजा सुनाई जाएगी, लेकिन मुझे पूरी तरह से गलत समझा जा रहा है।मैंने जो कुछ कहा वो अपने कर्तव्य के तहत किया
अगर माफि मांगूंगा तो कर्तव्य से मूंह मोड़ना होगा।मेरे ट्वीट एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए थे।ये अवमानना के दायरे से बाहर हैं ।अगर मैं इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्य में असफल होता। मैं किसी भी सजा को भोगने के लिए तैयार हूं जो अदालत देगी ।माफी मांगना मेरी ओर से अवमानना के समान होगा। मेरे ट्विट सद्भावनापूर्ण विश्वास के साथ थे ।मैं कोई दया नहीं मांग रहा । ना उदारता दिखाने को कह रहा हूं ।जो भी सजा मिलेगी वो सहज स्वीकार होगी”. यहां पर यह साफ हो जाता है कि प्रशांत भूषण अपने ट्वीट के लिए माफी मांगने के लिए तैयार नहीं है।
इन बीच प्रशांत भूषण के लिए वरिष्ठ वकील राजीव धवन बहस शुरू करते हैं। कोर्ट के सामने प्रशांत भूषण की योगदान के बारे में बताते हैं। धवन कहते हैं कि भूषण अब तक कई महत्वपूर्ण मामलों जैसे 2G, कॉल ब्लॉक घोटाला,गोवा माइनिंग, CVC नियुक्ति सभी मामलों में कोर्ट के सामने आये थे। इस बीच जस्टिस मिश्रा कहते हैं कि “मैंने अपने पूरे करियर में एक भी व्यक्ति को अदालत की अवमानना का दोषी नहीं ठहराया है। यदि आप अपनी टिप्पणियों को संतुलित नहीं करते हैं, तो आप संस्थान को नष्ट कर देंगे। हम इतनी आसानी से अवमानना की सजा नहीं देते हैं। संतुलन तो होना ही है, संयम तो होना ही है। हर चीज के लिए एक लक्ष्मण रेखा होती है। आपको रेखा को क्यों पार करनी चाहिए?फिर सुप्रीम कोर्ट प्रशांत भूषण को अपने बयान पर पुर्नविचार करने के लिए कहती है। प्रशांत भूषण कहते हैं कि वो इस पर पुर्नविचार कर सकते हैं लेकिन इस मे कोई ज्यादा बदलाव नहीं होगा यानी प्रशांत यह संदेश देना चाहते थे कि वो जो भी ट्वीट किए हैं उस मे कोई गलती नहीं है। प्रशांत भूषण ने कहा कि वो अपने वकीलों की सलाह लेंगे और इस पर विचार करेंगे।
पूरी बहस के बीच AG कहीं गायब थे अब अचानक AG कहते हैं कि प्रशांत भूषण को उनके स्टेटमेंट पर फिर से सोचने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। AG ने यह भी कहा कि प्रशांत भूषण ने अदालत में बहुत काम किया है। AG के तरफ से यह बहुत बड़ी बयान थी। AG केके वेणुगोपाल जी का बात सुनकर महात्मा गांधी जी के एक कोट याद आता है “Lawyers are also men, and there is something good in every man. Whenever instances of lawyers having done good can be brought forward, it will be found that the good is due to them as men rather than as lawyers”.ऐसे देखा जाए तो AG सरकार के तरफ से हैं तो उनका आर्गुमेंट प्रशांत भूषण के खिलाफ होना चाहिए था लेकिन AG ने जो स्टैंड लिया हो सकता है सरकार उन्हें ये स्टैंड लेने के लिए कहा हो या फिर AG सरकार के खिलाफ जाकर यह स्टैंड लिया हो। AG वेणुगोपाल जी के एंट्री के बाद बहस और दिलचप्श होते चला गया। AG भी प्रशांत भूषण के लिए बैटिंग करने लगे।
जस्टिस मिश्रा AG को जवाब देते हुए कहते हैं कि “बोलने की स्वतंत्रता किसी के लिए भी, मेरे लिए, प्रेस के लिए संपूर्ण नहीं है। हमें सभी को यह बताना होगा कि यह रेखा है। एक एक्टिविस्ट होने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन हमें यह कहना होगा कि यह लाइन है।सही या गलत हमने अब उसे दोषी पाया है”। AG वेणुगोपाल सुप्रीम कोर्ट से कहते हैं कि “आप प्रशांत को अवमानना का दोषी माना है, लेकिन उन्हें सजा मत दीजिए” इस बीच राजीव धवन कहते हैं कि कोर्ट के लिए पिछले 6 साल बहुत मुश्किल रहे, वकीलों के लिए बहुत मुश्किल। एक दिन इतिहास इन वर्षों को बार-बार देखेगा जस्टिस मिश्रा कहते हैं कि “हम ज्योतिषी नहीं हैं।यह भविष्य को तय करना है.जब हम सजा के बारे में सुनवाई कर रहे हैं तो सद्भाव वाली बात नहीं होती ।व्यक्ति को महसूस करना चाहिए कि उसने कुछ गलती की है। वह बोध व्यक्ति से आना चाहिए हमें लोगों को दंडित करने में मजा नहीं आता। मेरे लिए सदा का उद्देश्य निवारक है। गलतियां किसी से भी हो सकती हैं। ऐसे मामले में, व्यक्ति को यह महसूस करना चाहिए और उसे स्वीकार करना चाहिए।धरती पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो गलती न करे व्यक्ति को अपने दिल के मूल से अपनी गलती का एहसास करने में सक्षम होना चाहिए”
फिर दोबारा AG वेणुगोपाल सुप्रीम कोर्ट को अनुरोध करते हैं और प्रशांत भूषण को सजा न देने के लिए रिक्वेस्ट करते हैं। सुप्रीम कोर्ट कहती है कि “कृपया मामले के मेरिट पर बहस न करें। .क्या हमने कभी किसी को बिना सोचे समझे सजा दी है? इस बीच धवन अदालत के कई फैसलों का हवाला देते हैं और पूछते हैं क्या रिटायर्ड जजों जो सुप्रीम कोर्ट की फैसला की आलोचना कर रहे हैं क्या वो कोर्ट की अवमानना के दायरे में नही आता। इस बीच सुप्रीम कोर्ट और राजीव धवन के बीच बहस चलती रहती है फिर AG वेणुगोपाल बोलते हैं कि “मेरे पास 5 न्यायाधीशों की सूची है, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लोकतंत्र की कमी के बारे में बात की है। मेरे पास नौ न्यायाधीशों की सूची है जिन्होंने न्यायिक भ्रष्टाचार के बारे में बात की है। कई जजों ने इसे कहा है”
AG केके वेणुगोपाल ने बहुत बड़ी बात कह दी थी। वो सुप्रीम कोर्ट में लोकतंत्र पर सवाल उठा रहे थे और न्यायिक भरष्टाचार कि बात कर रहे थे। हां यह अलग बात है कि वो डायरेक्टली नहीं इंडिरेक्टली यह बात कह रहे थे आप कह सकते हैं कि वो जजों की कंधों पर बंधूक रखकर गोली चला रहे थे” AG के सवालों पर जस्टिस मिश्रा कहते हैं ” हम कोई पुनर्विचार नहीं सुन रहे हैं। हमारी सजा का आदेश पहले से ही आ चुका है.हम मेरिट पर नहीं सुन रहे”. इस बीच सुप्रीम कोर्ट प्रशांत भूषण को दो दिन का समय देता है और कोर्ट मो दिए गए लिखित बयान पर पुर्नविचार करने के लिए कहता है। फिर सजा पर सुनवाई टल जाती है।। फिर शाम को खबर आती है कि प्रशांत भूषण मामला में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है ।अदालत का कहना है कि 24 अगस्त तक प्रशांत भूषण चाहें तो बिना शर्त माफीनामा दाखिल कर सकते हैं । अगर वो माफीनामा दाखिल करते हैं तो 25 अगस्त को इस पर विचार करेगा। अगर नहीं करते हैं तो अदालत सजा पर फैसला सुनाएगी।
कितना शानदार ही था यह बहस। जब कोर्ट की अंदर इस तरह की बहस होती है तो कानून के प्रति सन्मान बढ़ जाती है। नतीजा कुछ भी हो लेकिन लोकतंत्र इस तरह की बहस की खास जरूरत है। यह तय है कि कोर्ट अपने हिसाब से सजा सुनाएगी लेकिन जिस तरह से वकील सब बहस किये हैं वो गजब था और जिस तरह जज जवाब देते जा रहे थे वो भी तारीफ योग्य था। सब अपने ग्रोउंड में खड़े थे कोई ग्रोउंड छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। एक तरफ प्रशांत कह रहे हैं कि वो अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगेंगे,दूसरी तरफ AG कहते हैं कि प्रशांत को सजा मत दीजिए, तीसरी तरफ जज अपने बातों पर अड़े हैं और कह रहे हैं कि प्रशांत अपने बयान पर पुर्नविचार करें। मुझे लगता है अगर प्रशांत अपने बयान पर पुर्नविचार नहीं करेंगे ,माफी नहीं मांगेंगे तो SC सजा देगी चाहे एक दिन के लिए क्यों न हो ?
कोर्ट प्रोसिडिंग की सारी डिटेल आशीष जी का है। कितना शानदार है न।