चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के भारत के नाम पर दावे पर अपना नजरिया प्रकट करते हुए कहा कि इस मामले में उनके मत में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. चीन का कहा है कि एनएसजी के मौजूदा सदस्य इस ग्रुप में नए सदस्यों को जोड़ने के बारे में आम सहमति बनाने का प्रयत्न किया जा रहा है. इस समूह में 45 देशो का नाम दर्ज है, जिनके लिए परस्पर परमाणु समझोते करना और कोई भी व्यापर करना आसन है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस विषय में चीन का दृष्टिकोण अपरिवर्तित है प्रवक्ता से रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव की इस कमेंट के बारे में पूछा गया तो बताया की उनका देश NCG में भारत का नाम शामिल करने पर बात कर रहा है.
गेंग ने कहा कि,चीन इस बात के पक्ष में है कि इस मामले में सरकारों के बीच पारदर्शी और निष्पक्ष बातचीत के जरिये आम सहमति के सिद्धांत का पालन किया जाए, चीन एनएसजी का सदस्य है. वह भारत की सदस्यता का विरोध करने वाले प्रमुख देशो में से एक है. उसका कहना है कि भारत परमाणु अप्रसार संधि(एनपीटी) का पालन नहीं करता. उस पर विरोध प्रकट करने के कारण भारत को सदस्यता मिलने में बाधा हो रही है, क्योंकि यह समूह सभी की आम सहमति से ही चलता है. उन्होंने आगे कहा कि उनका ध्यान उन देशों पर केन्द्रित है जो एनपीटी से बहार कुछ देश परमाणु हथियारों से मुक्त देश इस समूह में समिलित होना चाहते है.
हालाँकि रूस ने भारत ने नाम का फिर से समर्थन किया है लेकिन चाइना ने हमेशा की तरह अपना नजरिया नहीं बदलते हुए भारत का नाम फिर से दरकिनार किया है . फ़िलहाल भारत की सदस्यता का रास्ता साफ़ नहीं दिख रहा है.