अफगानिस्तान के हालात देखकर रोया ब्रिटिश सैनिक, कहा यह मानवीय त्रासदी है 

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अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद एक बड़ी आबादी देश छोड़ देना चाहती है। चाहें तरीका कोई भी हो, कैसे भी,  अपने बच्चों और महिलाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए लोग हर तरह का खतरा उठा कर अफगानिस्तान से बाहर चले जाना चाहते हैं। अपने बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए लोग उनके आज को भी खतरे में डालने से नहीं कतरा रहे। 

इस कदर मजबूर लोगों को देखकर विदेशी सैनिकों का दिल भी पसीज गया है। ऐसे खौफनाक मंजर देखकर उनके आंखों में भी आंसू आ गए। दरअसल, तालिबान के पिछले शासन की अत्याचारों को ध्यान में रखकर कई महिलाएं देश छोड़ देना चाहती हैं। जिसके लिए अधिकतर महिलाएं और उनका परिवार काबूल एयरपोर्ट पर इक्ट्ठा हो रहे हैं। लेकिन, इस स्तिथि से निपटने के लिए एयरपोर्ट पर कटीली तारें लगा दी गईं हैं। ताकि भीड़ को काबू किया जा सके। पर स्तिथियाँ बद से बदतर होती जा रही हैं। यह महिलाएं अपने बच्चों की जान को खतरे में डाल पर इन कटीली तारों के बीच में से दूसरी तरफ उछाल रही हैं। 

ब्रिटिश सैनिकों का भी पसीजा दिल 

जब वहां तैनात ब्रिटिश सैनिकों ने डर और मजबूरी का यह मंजर देखा, तो उन्हें दूसरी तरफ उछाले गए बच्चों को कैच करना पड़ा। इस घटना के बाद ब्रिटिश सैनिक मानसिक तौर पर परेशान हो गए।  यही नहीं, इस घटना के बाद वहां पहरा दे रहे कुछ सैनिकों काउंसलिंग भी कराने की बात भी चल रही है। लोगों की मजबूरी और भयनाक माहौल देखकर ब्रिटिश सैनिकों की आंखों में भी पानी आ गया।

तारों की बाड़ लगाने का क्या था मकसद

जब एयरपोर्ट पर नुकीले तारों की बाड़ लगाने का मकसद अनचाही भीड़ को विमान तक जाने से रोकना था। लेकिन स्तिथि इतनी गंभीर हो जाएगी, इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था। गौरतलब है कि फेंसिंग के एक तरफ भीड़ और दूसरी तरफ अमेरिकी और ब्रिटिश सैनिक थे। कुछ महिलाएं यहां पहुंचीं। इनकी गोद में मासूम बच्चे थे। महिलाओं ने सोचा कि अगर बच्चों को फेंसिंग के दूसरी तरफ पहुंचा देंगे, तो उन्हें सैनिक एयरक्राफ्ट में मजबूरन बिठा लिया जाएगा। यही वजह है कि उन्होंने बच्चों को उठाया और फेंसिंग की तरफ उछाल दिया। लेकिन सैनिकों ने इन्हें थाम लिया। इस दौरान सैनिकों की आंखें भी नम हो गईं।

बच्चे कंटीली तारों में फंस गए 

एक ब्रिटिश अफसर ने पूरे घटनाक्रम पर बात करते हुए कहा- ये लोग आजाद रहने के लिए बच्चों को ढाल बना रहे हैं। ये तालिबान के अत्याचारों से बचना चाहते हैं। कुछ बच्चे तो कंटीले तारों में फंसने के कारण दर्द से कराहने लगे। मुझे अपने सैनिकों की भी फिक्र है। वे हालात देखकर रोने लगे। उनकी काउंसलिंग की जा रही है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेहतर जिंदगी पाने के लिए लोग दूसरे देश भाग जाना चाहते हैं। इसके लिए वे लगातार काबुल एयरपोर्ट पहुंच रहे हैं। रास्ते में फायरिंग हो रही है, लेकिन वे खतरा मोल लेने में घबरा नहीं रहे हैं।  यही नहीं, रास्ते में तालिबान के लोग उनसे मारपीट भी कर रहे हैं।

एक तरफ मानवीय त्रासदी, दूसरी तरफ फर्ज 

‘स्काय न्यूज’ से बातचीत में एक ब्रिटिश सैनिक ने अपनी दुविधा ज़ाहिर करते हिए कहा- तालिबान हमसे एक मीटर ही दूर हैं। यह एयरपोर्ट नहीं बल्कि जंग का मैदान है। हमारे लिए यह मानवता का मिशन है। पर सैनिक भी बेबस हैं। एक तरफ छलछलाई आंखों से गुहार लगाते लोग हैं, दूसरी तरफ उन्हें रोकने का फर्ज। करें तो क्या करें। तालिबान दुनिया में यह दावा कर रहा हैं कि सब ठीक है, लेकिन विश्व सब देख रहा है। यह सही मायनों में मानवीय त्रासदी है।

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