फेसबुक की पूर्व अधिकारी का दावा : अभद्र और भय फैलाने वाली सामग्री का होता है प्रसार

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फेसबुक की एक पूर्व डेटा वैज्ञानिक फ्रांसिस हाउगेन ने मंगलवार को उपभोक्ता संरक्षण पर सीनेट वाणिज्य उपसमिति को गवाही देते हुए फेसबुक की व्यापक निंदा की। उन्होंने यूएस सिक्यॉरिटी रेग्युलेटर के सामने एक शिकायत भी दर्ज की। इस शिकायत में कहा गया कि भारत मे फेसबुक के माध्यम से मुस्लिम विरोधी बयानों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

ये बयान पहले हिंदी में पोस्ट किये गए थे और बाद में बंगाली भाषा में। फेसबुक के पास हिंदी और बंगाली क्लासिफ़ायर की कमी के कारण इन्हें अंकित नहीं किया जा सका। क्लासिफ़ायर की कमी का अर्थ है की इस प्रकार की सामग्री को न तो फ्लैग किया गया है और न ही उसके खिलाफ कोई एक्शन लिया गया है।

भय फैलाने वाले पोस्ट को बढ़ावा :

फ्रांसिस हाउगेन ने शिकायतों के 8 दस्तावेज पेश किए हैं। इनमे अपर्याप्त भाषिक क्षमताएं, एडवर्सेरियल हार्मफुल नेटवर्क्स-इंडिया केस स्टडी, राजनीतिज्ञ द्वारा सांझा किये गए गलत सूचना का प्रभाव, सिविक समिट Q1 2020 और एकल उपयोगकर्ता एकाधिक कहते या एसयूएमए या डुप्लिकेट उपयोगकर्ता है।
भय फैलाने वाले पोस्ट के संदर्भ में हाउगेन ने बताया कि भारत में आरएसएस उपयोगकर्ता, समूह और पेज ऐसे बयानों को बढ़ावा देते हैं जो मुस्लिम विरोधी है और भय फैलाते हैं। हालांकि इस समूह के लिए राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए कोई नामांकन नहीं किया गया है। हाउगेन ने शिकायत में कहा कि फेसबुक की भाषिक क्षमताएं अपर्याप्त है और वैश्विक स्तर पर ये गलत सूचना और जातीय हिंसा का प्रसार करती हैं।

भारत मे गलत पोस्ट शेयर की जा रही है :

हाउगेन ने राजनीतिज्ञ द्वारा गलत पोस्ट शेयर करने के मामले में कहा कि, ये नोटिस किया गया है कि राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा गलत पोस्ट शेयर करने वाले देशों में भारत भी शामिल है। जिसके कारण ऐसी वीडियो का सामाजिक प्रभाव देखा गया है जो सन्दर्भ से बाहर हैं। इन वीडियो में पाकिस्तान विरोधी और मुस्लिम विरोधी भावनाए शामिल हैं।

एकल उपयोगकर्ता, एकाधिक खाते के संदर्भ में उन्होंने कहा कि, एक आंतरिक प्रस्तितु ने नोट किया है कि भारत मे भाजपा के एक अधिकारी ने हिंदी समर्थक संदेशों को बढ़ावा देने के लिए एसयूएमए यानी एकल उपयोगकर्ता, एकाधिक खाते का इस्तेमाल किया है।

अभद्र भाषा और भड़काऊ सामग्री पर प्रतिबंध :

दी इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक प्रश्नावली का जवाब देते हुए फेसबुक के एक प्रवक्ता ने जवाब दिया, की फेसबुक अभद्र भाषा और भड़काने वाली सामग्री के प्रसार को प्रतिबंधित करते हैं। पिछले कुछ सालों में एक ऐसी तकनीक पर निवेश किया गया है जो अभद्र भाषा का पता लगती है। कोई यूज़र रिपोर्ट करे उससे पहले ही हम विश्व की 40 भाषाओं समेत हिंदी और बंगाली भाषा की उस सामग्री का पता लगाने के लिए तकनीक का प्रयोग करते हैं जो नियमों का उल्लंघन करती है।

फेसबुक के अनुसार क्लासिफ़ायर फेसबुक के हेट स्पीच डिटेक्शन एल्गोरिदम के माध्यम से साल 2020 में अभद्र हिंदी भाषा के क्लासिफ़ायर को जोड़ा गया था। इसके बाद बंगाली भाषा के क्लासिफ़ायर को जोड़ा गया है। साल 2021 में ये दोनों ऑनलाइन हो गए थे।

अभद्र सामग्री को हटा दिया गया :

सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक का दावा है कि उसने 15 मई 2021 से ,31 अगस्त 2021 तक 8.77 लाख ऐसी पोस्ट को फेसबुक से हटा दिया है जो भाषिक रूप से अभद्र सामग्री थी। इतना ही नहीं फेसबुक ने सुरक्षा के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए काम करने वालो की संख्या को तिगुना कर दिया गया है।

ऐसे में ये संख्या अब 40 हज़ार से ऊपर जा चुकी है, जिसमे 15 हज़ार से अधिक सामग्री समीक्षक हैं। पिछड़े लोगों के लिए अभद्र भाषा की वैश्विक स्तर वृद्धि हो रही है। जिसके लिए फेसबुक नीतियो में बदलाव करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक पोस्ट में जवाब दिया :

मंगलवार को अमेरिकी सीनेट की सुनवाई के बाद फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने एक फेसबुक पोस्ट लिखते हुए कहा, हम गलत सामग्री को लाभ के लिए आगे बढ़ाते हैं। ये तर्क बिल्कुल अतार्किक है। हम विज्ञापनों से पैसा कमाते हैं और विज्ञपन देने वाली कंपनियां कभी ये नही चाहेंगी की उनके विज्ञापन हानिकारक या क्रोधित और गलत सामग्री के साथ दिए गए हो। नैतिकता, व्यापार और उत्पाद प्रोत्साहन सभी अलग अलग दिशाओं में काम करते हैं।