भारत में रोज़ बढ़ रहे पेट्रोल डीज़ल के रेट से आम नागरिक जहां बेहद परेशान है, वहीं विश्व बैंक की एक रिपोर्ट ने आम जनता के चहरे पर निराशा और सरकार के माथे पर बल ला दिया है. दरअसल विश्व बैंक ने सभी प्रकार के इंधन में कीमतों के भारी उछाल का अनुमान लगाया है.
विश्व बैंक ने अप्रैल की कमोडिटी मार्केट आउटलुक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है. कि इस साल पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और कोयले के दाम 20 फीसदी तक बढ़ सकते हैं. यदि ऐसा होता है तो इसका भारत पर विपरीत असर होगा. देश अपनी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए इन कमोडिटी के आयात पर ज्यादा निर्भर है.
विश्व बैंक के अनुमान को देखें तो 20 फीसदी के इजाफे के बाद मौजूदा कीमत के हिसाब से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में काफी ज्यादा इजाफा हो जाएगा. मुंबई में फिलहाल 82.48 रुपये में मिल रहे एक लीटर पेट्रोल के लिए आपको 98.2 रुपये तक चुकाने पड़ सकते हैं. वहीं, दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 88 रुपये पर पहुंच सकती है.
भारत करीब 82 फीसदी तेल आयाता करता है. इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में होने वाले छोटे से लेकर बड़े बदलाव का सीधा असर घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ता है.
अरुण जेटली ने नवंबर, 2014 से जनवरी 2016 के बीच एक्साइज ड्यूटी में 9 बार बढ़ोत्तरी की. जबकि इस दौरान ग्लोबल मार्केट में तेल कीमतों में गिरावट आई थी। इसके बाद सरकार ने अक्टूबर, 2017 में सिर्फ एक बार 2 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की.
बता दें कि भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम साउथ एशियाई देशों में सबसे ज्यादा हैं. इसकी वजह है कि भारत में सरकार इंटरनेशनल मार्केट में तेल के पंप रेट का आधा टैक्स लगा देती है
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