धारणाएं बहुत शक्तिशाली होती हैं। किसी के खिलाफ धारणा बनवाकर आप उसके खिलाफ कोई भी सच्चे झूठे इलज़ाम लगाइये, लोग फौरन उसे सच मान लेंगे। मैंने अपने बचपन में देखा है कि, पास के एक गांव की एक जाति विशेष के लोग वहां चोरी के लिए कुख्यात थे। एक बार एक व्यक्ति के खेत पर चोरी हुई जिसमें उसकी पानी की मोटर और पाइप्स चुरा लिए गए। सबने कहा कि वो जाति विशेष के लोग चुरा ले गए होंगे। खेत के मालिक ने यह थोड़ी ही देर में मान भी लिया। लेकिन एक दिन जब खेत मालिक एक थोड़ी दूर के पड़ोस के कुएं पर किसी काम से गया तो पता चला कि मोटर और पाइप तो वहां हैं। जबकि वही व्यक्ति इसबात पर ज़्यादा ज़ोर दे रहा था कि, चोर तो उस गांव में रहने वाले उस जाति के लोग है।
अधिकांश लोगों ने डर के मारे कभी उस गांव में जाकर नहीं देखा था कि, वे लोग क्या वाकई चोर हैं, क्रूर हैं और क्या दानवों की तरह दिखते हैं जैसा कि उनके बारे में कहा जाता था? धरणाओं का निर्माण किया गया था और किस किस ने लाभ उठाया होगा इनका कोई नहीं जानता।
धारणाएं बहुत शक्तिशाली होती हैं। इसके ज़रिए अक़्सर धूर्त लोग, नेता और संगठन भोले भाले लोगों का लाभ उठाते हैं। धारणाओं के ज़रिए लोगों में फुट डाली जाती है, उन्हें आपस में लड़वाया जाता है, उन्हें बिना एक दूसरे को जाने समझे ही एक दूसरे के खून का प्यासा तक बना दिया जाता है। यह धारणाओं की शक्ति के बल पर किया जाता है। धारणाएं दिखती नहीं है लेकिन यह अदृश्य गुरुत्वाकर्षण बल के जितनी ही शक्तिशाली होती हैं।
गुरुत्वाकर्षण की ही तरह धारणाओं को भी फर्क नहीं पड़ता कि आप इनपर विश्वास करते हैं या नहीं लेकिन ये दोनों आपको ज़रा सी लापरवाही पर अर्श से सीधे फर्श पर पटक सकते हैं। किसी धारणा की परिधि एक घर तक भी सीमित हो सकती है या एक शहर तक या एक देश तक या फिर यह वैश्विक स्तर तक पहुंच रख सकती है।
धारणाओं को तोड़ना मुश्किल होता है और इसके लिए हर एक व्यक्ति तैयार भी नहीं होता। हम मनुष्यों का पहला कर्तव्य यही है कि गलत धारणाओं को कुचलते चलें… जीवन भर।