0

बाबरी विवाद – एक मुसलमान का मौलाना सलमान नदवी के नाम ख़त

Share

मोहतरम जनाब सलमान नदवी साहब, अस्सलामुअलैकुम वारहमतुल्लाह वबराकतुहू

आप से ज़ाती तौर पर कभी मुलाक़ात नहीं हुई, लेकिन आप के मदरसे के बहुत से फ़ारेगीन मेरे दोस्त हैं. उन लोगों के ज़रिए आपका तार्रुफ़ हुआ था और आप की विडियोज़ को भी देखा है. माशाल्लाह, अल्लाह ने आप को बहुत बड़ी सलाहियतों से नवाज़ा है. और आप दीन की खिदमत उन सलाहियतों से बखूबी अंजाम दे रहे हैं. आप बहुत ही बेबाक मुक़र्रीर हैं. और ज़ुल्म के खिलाफ आप को हमेशा बोलते देखा है.

आप के मुअक्किफ्फ़ पर सहीह या ग़लत की बहस किए बगैर कहूँ तो आप ने सऊदी और दीगर अरब हुक्काम की बखूबी मज़म्मत की, खासतौर पर मिस्र के मसले पर मोहम्मद मोरसी की हिमायत की है . जिस की वजह से आप को अरब के कई मुल्कों से बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा. लेकिन आप की जुर्रत को दाद देना है, कि आप ने ऐसे तनाव भरे माहौल में भी आपने अपने बयानात वापस न लिए. लेकिन पिछले दिनों से जो कुछ देख रहा हूँ उससे मैं काफी बेचेन हूँ. ऐसा लगता हे जैसे किसी ने बहुत मेहनत के बाद आप को अपने जुर्रतमंदाना मुअक्किफ से फेर दिया हे.

ये गंगा जमुना तहज़ीब के नाम पर ढोंग रचा कर आप से वो काम करा रहे हैं, जिसका आप को एहसास नहीं हो रहा है. जिस तरह आप ने इमामे हरम शेख सुदैश को ख़त लिख कर पूछा था के “क्या मोहम्मद मोरसी आतंकवादी हैं?” में चाहता हूँ कि जिस डबल श्री के साथ बैठ कर आप आज “कौमी भाईचारा” और हिन्दू मुस्लिम में “एकता” की बात कर रहे हैं, जिस के लिए आप बाबरी मस्जिद की भी कुर्बानी देने को तैयार हो गए हैं. इस डबल श्री से पूछिए “ क्या जाकिर नायक आतंकवादी था? क्या उसने आतंकी बनाने में लोगों की मदद की थी? बिलकुल भी नहीं, तो फिर क्यूँ डबल श्री ने जाकिर नायक से डिबेट में हारने के बाद ज़ाकिर नायक से बदला लेने के लिए एक साज़िश के तहत ज़ाकिर नायक को मुल्क से बाहर रहने पर मजबूर कर दिया है.”

जिस डबल श्री से आप हिंदुस्तान में अमन और शांति लाने के लिए समझौते कर रहे हैं, ये उस मासूम मुसलमानों के कातिलों को समर्थन करता है. जो आज मुल्क की हुकूमत में बने हुए हैं, इस डबल श्री ने आज तक मुसलमानों पर हो रहे ज़ुल्म के खिलाफ अपना मुंह नही खोला, जो कि अपने आप में बहुत कुछ बोल जाता है.

ये बजाहिर आप को एक विद्वान साधू नज़र आता होगा, लेकिन ऐसा नहीं है, ये उन तंजीम (संगठनों) का एजेंट है, जो मुल्क में फितना-फसाद और मुसलमानों की नस्लकशी करना चाहते हैं. ऐसी बहुत सी बातें मैं इस आदमी के ताल्लुक से आप को बता सकता हूँ, अगर आप चाहेंगे तो आज भी इस के ट्वीट मिल जायेंगे कम्युनल पार्टी के समर्थन में.
नदवी साहेब, मुल्क और दुनिया में अमन सिर्फ और सिर्फ इन्साफ देने से ही आ सकता है. अगर इन्साफ नहीं दिया जायेगा तो मुल्क में अमन और चैन बिलकुल भी नहीं आ सकता. आप क्यूँ इतनी जल्दी मचा रहे हैं बाबरी मस्जिद के मसले पर. करने दीजिये अदालत को फैसला. डबल श्री के लोगों के पास सुबूत नहीं है कुछ भी, वो अच्छी तरह से जान रहे हैं,कि वो सुप्रीम कोर्ट में केस हार रहे हैं. इसलिए ये आप जैसे लोगों तक पहुँच कर बात करने की बात कर रहे हैं.

हमें तकलीफ इस बात पर नहीं है,कि आप हिन्दू मुस्लिम की “एकता” के लिए काम कर रहे हैं. तकलीफ उस बात पर है,कि आप इन्साफ के खिलाफ बात कर रहे हो. यहाँ तो आप उनके सामने उनके मकसद के सामने सरेंडर होते नज़र आ रहे हैं. ये जो डबल श्री आप से एकता की बात कर रहे हैं, उनसे कहिये कि अगर आपको एकता और भाईचारा की इतनी ही फ़िक्र है, तो मुसलमानों की जो जगह हे उनको दिला दीजिये. और जो लोग ज़ुल्म कर रहे है, उन्हें समझाएं कि मुसलमानों पर ज़ुल्म करना बंद करें.

आज तक डबल श्री ने बाबरी मस्जिद की शहादत पर अपना मुंह नहीं खोला, और ना ही उन लोगों को सजा देने की मांग की के जिन लोगों ने शहीद किया मस्जिद को, उनको सजा हो. अब बताईये ये किस किस्म के आदमी से आप बात कर रहे हैं?
सलमान साहेब, इस वक़्त मुल्क में मुस्लिमों के हालात बहुत नाज़ुक है. उम्मत एक यतीम जैसी होती नज़र आ रही है. सियासी महाज़ पर हम ज़ीरो होते चले जा रहे हैं. ऐसे माहौल में अगर आप मिल्लत के “इज्मा” से अलग हट कर कुछ करेंगे तो ये सिर्फ कौम में इंतेशार ही फैलाएगा और हासिल कुछ नहीं होने का. आप को बताना चाहूँगा के अभी जो कुछ भी हो रहा हे बिलकुल इसी प्रोग्राम के तहत डबल श्री काम करना चाह रहे थे. मुसलमानों में आपस में इख्तेलाफात बढ़ जाएँ और कौम बाबरी मस्जिद के मसले पर बिखर जाये. और आज वही हो रहा हे.

नदवी साहेब, जिन लोगों की ख़ुशी के लिए आप बाबरी मस्जिद की जगह की क़ुरबानी देने को राज़ी हो गए हैं, ये सिलसिला यही तक ख़तम नहीं होने वाला. क्या गुजरात में दंगा बाबरी ,मस्जिद और राम मंदिर के नाम पर हुआ था? क्या मुज़फ्फरनगर में रहने वाली मुस्लिम ख्वातीन का रेप इसलिए हुआ था कि मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद की जगह पर मंदिर बनाने नहीं दिया था? क्या हाफ़िज़ जुनेद को चलती ट्रेन में चाकू के ५० से ज्यादा वार कर के शहीद कर दिया गया था क्यूँ की राम मंदिर नहीं बना है, अब तक? क्या मेवात में गौरक्षकों ने मुस्लिम बहनों का रेप इसलिए किया क्यूँ की मुसलमानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, बाबरी मस्जिद की ज़मीन के लिए? बिलकुल नहीं. दरअसल एक कट्टरपंथी ताक़त जो मुसलमानों के वजूद को बर्दाश्त नहीं करना चाह रही है.

सज्जाद नौमानी साहेब के बयान पर आप बहुत भोले बन रहे हैं. मुझे नहीं पता सज्जाद नौमानी साहेब का बयान सहीह हे या ग़लत हे. लेकिन इंडिया टीवी पर जिस तरह उस बयान पर आप रद्दे अमल दे रहे हैं गोया आप को कुछ मालूम ही नहीं है, कि क्या कुछ कर रही हे हिन्दू तंजीमें. आप को क्या लगता है, ये हिन्दू तंजीमें (संगठन ) आप को रिपोर्ट कर के गुजरात २००२ में दंगे करती होंगी? या मुज़फ्फरनगर में फसाद से पहले फ़सादियों की लिस्ट आप को देंगी? नदवी साहेब, क्यूँ इतने मासूम बनते हैं?
आये दिन मुसलमानों के खिलाफ इसी मीडिया पर ज़हर उगला जा रहा हे. कुछ ही दिन पहले विनय कटियार ने कहा हे के मुसलमानों को पाकिस्तान मिल चुका हे वो यहाँ रहने के हक़दार ही नहीं हैं. आप को क्या लगता है,ये बयान यूँही दे दिया गया है?

जनाब ये बयान दरअसल उस तंजीम की तर्जुमानी करता है, जिस का एजेंट डबल श्री आज कल आप को बहका रहा है. ये आप की ग़लत फ़हमी है के बाबरी मस्जिद का मसला हल हो जायेगा तो मुल्क में कभी दंगा नहीं होगा. जनाब इस देश का इतिहास गवाह है, कि आजादी में सब से ज्यादा मुसलमानों ने क़ुरबानी दी. लेकिन इतनी सब क़ुरबानी को इतिहास की किताबों से छुपाया जा रहा है. आप बखूबी जानते हैं,जो ताक़तें इस वक़्त हुकूमत कर रही हैं, उनकी मंशा क्या है.

आप लाख क़ुरबानी दे दो, इनका मुंह आप से कभी ठीक होने का नहीं. जैसा के अल्लाह ने कुर’आन में यहूदी और इसाईओं के बारे में कहा “ये यहूदी और नसरानी तुमसे उस वक़्त तक राज़ी न होंगे जब तक तुम उनके मजहब की पैरवी न करने लगो” (सुरह बकरह २:१२०)  जनाब, वक़्त बहुत नाजुक हैं, आप जैसे बुर्जुगों की रहनुमाई की कौम के नौजवानों को सख्त ज़रूरत है. आप हमें ये मत सिखाइए के हम्बली फिकह मस्जिद की जगह तब्दील करने की इजाज़त देता है. ज़रूरत है, कि आप मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ जुड़े रहे.
हमें भी लाख शिकायत है बोर्ड से. लेकिन जैसा भी है कौम का एक मजबूत इदारा है. तमाम फिरकों की उस में नुमाईंदगी है. खुदारा इसको तोड़ने की कोशिश न करें. ऐसे सख्त तरीन वक़्त में अगर आप कौम के इज्मा से कट कर रहेगें तो देश के मुसलमानों को सिर्फ नुकसान उठाना होगा और हासिल कुछ नहीं होगा. और नदवी साहेब, ये झूट फेलाना तो बंद ही कर दीजिये के उम्मत के उलेमा आप के मौकूफ के साथ हैं.

पूरी मिल्लत और कौम और उसके उलेमा यही चाहते हैं के इन्साफ हो. हमें खैरात नहीं चाहिए. हमारा हक चाहिए. और उस हक को सुप्रीम कोर्ट के फेसले से ज़रूर कौम हासिल करेगी इंशाल्लाह. आखिर में एक और बात दिल में आ रही है, जिसको लिखने से अपने आप को रोक नहीं पा रहा हूँ, जनाब क्या आप को योगी सरकार या मोदी सरकार ब्लैकमेल तो नहीं कर रही हे? वही उस खत की पादाश में जो आप ने अबू बकर अलबगदादी को लिखा था? उम्मीद करता हूँ के ऐसा नहीं होगा.

अगर है भी तो खुदारा जाती सेफ्टी के लिए मिल्लत के इत्तेहाद को टूटने मत दीजिए. उम्मीद करता हूँ के आप अपने फैसले पर दोबारा से गौर करेंगे. और  आप अपने मुअक़्क़ीफ़ से रुजू करेंगे. इंशाअल्लाह इस खत में अगर कुछ अलफ़ाज़ से दिलाजारी हुई है, तो उसके लिए माजरत चाहता हूँ .

मोईनुद्दीन इब्ने नसरुल्लाह एक सोशल एक्टिविस्ट हैं, मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों पर कार्य करते हैं. साथ ही एक पब्लिक ओरेटर भी हैं. इस लेख में उनके निजी विचार व्यक्त किये गए हैं

Exit mobile version