अयोध्या मामला – सुप्रीम कोर्ट का मध्यस्ता का फ़ैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद ( Ram janmbhumi and babri masjid ) मामले में मध्यस्थता कराने का निर्णय लिया है. सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने मध्यस्थों का एक पैनल बनाया है जिसके प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एफएम खलीलुल्लाह, होंगे और दो सदस्य, श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ एडवोकेट श्रीराम पांचू होंगे।
मध्यस्थता की कार्यवाही से सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को अलग रखा है। इससे संबंधित खबरें न तो छपेंगी और न ही प्रसारित की जाएंगी। ऐसा प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए किया गया है।
यह पंच फैज़ाबाद में ही बैठेगा और वही इसकी सुनवायी करेगा। कुल 8 हफ्ते का समय इस पंच पीठ को मध्यस्थता करके हल ढूंढने के लिये दिया गया है। पर पहली स्टेटस रिपोर्ट कि अब तक इस मामले में क्या प्रगति हुई की तथ्यात्मक आख्या पंच पीठ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चार सप्ताह में प्रस्तुत करेगा।
” अगर राम मंदिर प्रकरण हल नहीं होता है तो देश सीरिया बन जायेगा। रामजन्मभूमि हिंदुओं के लिये आस्था का विषय है , मुस्लिमों को अपना अधिकार छोड़ देना चाहिये। ”
यह बयान श्री श्री रविशंकर का है, जो अयोध्या मामले में मध्यस्थता पीठ के एक सदस्य हैं।
श्री श्री के इस विचार के आधार पर उनके इस पीठ में सम्मिलित किये जाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। यह उनकी निजी धारणा हो सकती है। उनकी इस धारणा का कोई विरोध भी नहीं है। हर व्यक्ति अपनी अपनी धारणा और विचार व्यक्त करने के लिये स्वतंत्र है । यह अधिकार रविशंकर जी को भी है। लेकिन पंचपीठ में उन्हें अपनी इस धारणा से मुक्त होकर बैठना पड़ेगा।
अब यह श्री श्री रविशंकर का दायित्व है कि वे पंच परमेश्वर की मर्यादा और परंपरा पर खरे उतरें। उन्हें एक आध्यात्मिक और धार्मिक संत  भी माना जाता है, अतः उम्मीद है कि वह अपने दायित्व का वहन पंच परमेश्वर की मर्यादा के अनुसार ही करेंगे।

© विजय शंकर सिंह
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