Masaud Akhtar

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स्मृति- जब रामायण केंद्रित अंताक्षरी में एक मुस्लिम युवक ने पढ़ा श्लोक

  • October 1, 2017

मैं मुस्कराया और उनसे कहा यही तो हमारी सांझी संस्कृति है जो कोई भी न तो हमें अलग कर सकता और न ही छीन सकता है। गंगा यमुना के संगम की तरह हम एक दूसरे में मिल महसूसते बहते जाते। इसी से शायद गंगा यमुनी तहज़ीब की बात होती है