आखिर रेप के आरोपी आसाराम को कोर्ट ने आरोप साबित होने के बाद सज़ा सुना ही दी. कोर्ट के फ़ैसले के मुताबिक़ बलात्कारी बाबा अब मरते दम तक जेल में रहेगा. आसाराम उस समय चर्चा में आया था, जब मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के आश्रम में एक छात्रा ने आसाराम पर रेप का आरोप लगाया था.
अपनी नाबालिग शिष्या से दुष्कर्म के मामले में आसाराम (77) को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. यानी बाकी बची जिंदगी उसे जेल में ही काटनी होगी. उसके दो सहयोगियों शिल्पी और शरतचंद्र को भी 20-20 साज जेल की सजा हुई है.
जज मधुसूदन शर्मा ने यह फैसला 453 पन्नों में दिया.
जज ने कहा- “जिस आश्रम में दुष्कर्म हुआ, वहां पीड़िता आसाराम के कब्जे में थी. वहां उस पर यौन हमला हुआ, वह चक्कर खाकर गिर गई. फिर भी उसे इलाज मुहैया नहीं कराया गया. बाकी दोनों दोषी भी आसाराम के साथ इस साजिश में शामिल थे कि पीड़िता को किसी तरह आसाराम के पास भेज दिया जाए ताकि वह अनुष्ठान के नाम पर उसे माता-पिता से अलग कर दुष्कर्म कर सके.
कोर्ट के इस फैसले के बाद अब जेल में बंद आसाराम के दिन और रात भी अलग तरह से गुज़ारने होंगे. वैसे तो आसाराम पिछले करीबन साढ़े चार साल से जोधपुर सेंट्रल जेल में एक आरोपी के तौर पर रह रहा था लेकिन अदालत के फैसले के बाद अब आसाराम आरोपी नहीं बल्कि यौन शोषण का दोषी है.
- आसाराम को IPC की धारा 342 में एक साल की सज़ा हुई.
- वहीं, IPC की धारा 376/4 में 10 साल की सज़ा सुनाई गई.
- इसके अलावा धारा 376 D के तहत उम्रक़ैद की सजा हुई.वहीं, धारा 376/2F में उम्रक़ैद.
- साथ ही जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के तहत 6 महीने की सजा सुनाई गई.
पीड़िता के पिता ने कहा कि मैं अदालत के फैसले से खुश हूं. उन्होंने कहा कि बता नहीं सकता कि इस दौरान मैं किस तकलीफों से गुजरा हूं.
- दुष्कर्म की शिकार लड़की उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली है. आसाराम के समर्थकों ने उसे और उसके परिवार को बयान बदलने के लिए बार-बार धमकाया.
- उत्तर प्रदेश से बार-बार जोधपुर आकर केस लड़ने के लिए उसके पिता को ट्रक तक बेचने पड़े
- आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले नौ लोगों पर हमला हुआ
- तीन गवाहों की हत्या तक हुई। जान गंवाने वालों में लड़की के परिवार के करीबी दोस्त भी थे।
–कोर्ट को भी गुमराह करने की कोशिशें हुईं - जांच अधिकारी को बचाव पक्ष के वकीलों ने बार-बार कोर्ट में बुलवाया। एक गवाह को 104 बार बुलाया गया
- आसाराम की तरफ से लड़की पर अपमानजनक आरोप लगाए गए। ये तक कहा गया कि मानसिक बीमारी के चलते लड़की की पुरुषों से अकेले मिलने की इच्छा होती है
- फिर भी 27 दिन की लगातार जिरह के दौरान पीड़ित लड़की अपने बयान पर कायम रही। उसने 94 पन्नों में अपना बयान दर्ज कराया
- आसाराम के वकीलों ने पीड़िता को बालिग साबित करने की हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन उम्र पर संदेह की कोई जायज वजह नहीं मिली
- जांच अधिकारी ने भी 60 दिन तक हर धारा पर ठोस जवाब दिए। 204 पन्नों में बयान दर्ज हुए