बहन जी का ऐलान,करेंगी भाजपा का समर्थन

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मायावती का नाम भारतीय राजनीति में नया नहीं है, बहुत प्रसिद्ध है। 4 बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही और बसपा की संस्थापक सदस्यों में से एक रहीं मायावती हमेशा अपने अलग अंदाज़ के लिए जानी जाती हैं। 1984 से अब तक के राजनीतिक सफर में दो बार भाजपा के समर्थन से सरकार बना कर सबको चौकानें वाली बसपा ने अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा बता दी थी।

लेकिन 2007 में आखिरी बार सत्ता में आई बसपा पिछले 14 सालों से राजनीतिक वनवास झेल रही है। बहुजन समाज पार्टी 2022 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करते हुए, इस सूखे को ख़त्म करना चाहती है। बस इसलिए वो अलग तरह के एक्सपेरिमेंट कर रही है, “ब्राह्मण सम्मेलन” इसी का हिस्सा है।

लेकिन अब बहन जी ने भाजपा के समर्थन का ऐलान कर दिया है, चौंकिए मत। यह साथ में मिल कर सरकार बनाने जैसा कुछ नही है, न हीं मे भाजपा और बसपा साथ में चुनाव लड़ने वाली हैं। बहन जी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि हम (बसपा) संसद के बाहर और अंदर भाजपा का इस मुद्दे पर समर्थन करने का ऐलान कर चुकी हैं। आखिर क्या है ये मुद्दा ये भी समझ लीजियगा।

अगर ओबीसी जनगणना होगी तो हम समर्थन करेंगे।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन मायावती ने शुक्रवार को कहा कि देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की अलग से जनगणना कराने की मांग पर केंद्र की मोदी सरकार अगर कोई पॉज़िटिव कदम उठाती है तो मायावती की पार्टी संसद के अन्दर व बाहर भी इसका जरूर समर्थन करेगी।

इससे पहले भी ओबीसी की अलग से जनगणना की मांग उठती रही है, जिसे देश के कई बड़े नेता उठाते रहे हैं। इन बड़े नामों में बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री और भाजपा के सहयोगी नीतीश कुमार सबसे बड़ा नाम हैं। इसके अलावा नीतीश जी के धुर विरोधी भी इस मुद्दे पर उनके साथ खड़े हैं। अब इस लिस्ट में मायावती का नाम भी जुड़ गया है।

क्या हो सकती है बसपा की रणनीति?

बसपा इस जनगणना के ज़रिए असल मे ओबीसी समाज को अपनी पार्टी की तरफ लाना चाह रही है। मायावती को यह लगता है कि ये मुद्दा उन्हें ओबीसी समाज से वोट लेने में, और बसपा के साथ जोड़ने में मददगार हो सकती है। क्योंकि इसमें कोई हैरानी की बात भी नहीं है कि इस जनगणना के बाद सबसे ज़्यादा फायदा भी ओबीसी वर्ग ही को होने के आसार हैं।

गौरतलब है कि बसपा ने भी अपनी रणनीति पहले के मुकाबले बदल दी है, वो अब ब्राह्मण और ओबीसी समाज को लेकर सावधानी बरतने वाली हैं। जिसमें टिकट वितरण से लेकर संगठन में भी पूर्ण रूप से भागीदारी दिए जाने की प्रक्रिया बसपा ने शुरू भी की है। मायावती का ये ट्वीट इसी घटनाक्रम से जोड़ कर देखा जा रहा है। जो उनका 2022 की रणनीति का हिस्सा है।

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