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बेरोज़गारी की स्थिति भयावह, रेलवे के 90 हज़ार पदों के लिये 2.5 करोड़ आवेदन

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भारतीय रेलवे ने हाल ही में रेलवे की 90,000 नौकरियों में भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे जिसके लिए 2.5 करोड़ अर्थात ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या से भी अधिक लोगो ने आवेदन भरे हैं. यह संख्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 के उस वादे की पोल खोल रही है जिसमे उन्होंने बेरोज़गारी मिटाने व हर साल 2 करोड़ नोकरियाँ देने को कहा था।
2014 में भारत की जनता ने नरेंद्र मोदी को एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को सुधारने और नौकरियों के अवसर पैदा करने के लिए सत्ता सौपीं थी.
प्रधानमंत्री ने अपने नारे “मेक इन इंडिया” के सहारे भारतीय अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने के व 2022 तक बेरोज़गारी का निवारण कर देने की घोषणा की थी परंतु अब इस नारे की सच्चाई रेलवे के माध्यम से ही बाहर आ चुकी है.
भारतीय रेलवे ‘जो वर्तमान समय मे 1.3 लाख को रोजगार देती है’ ने कहा है कि रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क है जिसको ओर सुरक्षित व बेहतर बनाने के लिए इंजिन ड्राइवर, टेक्नीशियन, कारपेंटर, इंस्पेक्शन क्रू जैसे रिक्त पदों की भर्ती की जा रही है.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ‘अश्विनी चौबे’ का कहना है कि “हमे और नए लोगो की आवश्यकता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से रेलवे ने नौकरियाँ नही निकाली, जिस कारण स्टाफ की कमी हो गई है।”
रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड ने पिछले महीने कुछ पदों के लिए विज्ञापन दिया था. तब से अब तक 2. 5 करोड़ से अधिक लोगो ने ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरा है, फॉर्म भरने की आखिरी तारीख शनिवार थी।
2014 में मोदी सरकार बनने के बाद यह पहली बार बड़े पैमाने पर रेलवे नोकरियाँ दे रहा है, नोकरी की इच्छा रखने वाले लगभग 1 लाख युवा हर महीने लेबर फ़ोर्स में कदम रखते हैं।
इकनोमिक थिंक टैंक CMIE के चीफ एग्जेक्युटिव महेश व्यास ने कहा कि  नोकरी के आवेदनों की इतनी बड़ी संख्या देश मे बेरोजगारी के दबाव स्तर को दिखाती है, भारत मे बेरोजगारी का आंकड़ा पिछले पंद्रह महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर फरवरी में 6.1 तक पहुँच गई।
यह भारत मे बढ़ती नोकरियों की कमी  व भारतीय लोगो का सरकारी नोकरियों के प्रति झुकाव दर्शाता है , रेलवे भारत मे सबसे अधिक सरकारी नोकरियाँ देती है व सबसे अधिक कर्मचारी रेलवे के पास ही है।
यहां भर्ती के लिए उम्मीदवारों को रिटेन टेस्ट व फिजिकल टेस्ट से होकर गुज़रना होगा इसमें महिला और पुरुषों के लिए अलग अलग मापदंड निर्धारित  किये गए है।
सिर्फ भर्ती तक ही नही रेलवे की मुश्किलें इसके बाद इतने लोगो की ट्रेनिंग और बाकी ज़रूरतें पूरी करने में भी बढ़ने वाली है 90,000 लोगो की एक साथ ट्रेनिंग करना बेहद मुश्किल कार्य होने वाला है

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