2 अप्रैल का दिन भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के लिए बेहद खास है. आज से सात साल पहले वर्ष 2011 में भारत ने श्रीलंका को हराकर दूसरी बार एकदिवसीय क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था. धोनी ने शानदार छक्के भारत को वर्ल्ड कप विजेता बनाया था. इससे पहले कपिल देव की कप्तानी में भारत ने 25 जून 1983 को पहला विश्व कप देश के नाम किया था.
टीम इंडिया ने जिस अंदाज में जीत हासिल की थी वो बेहद रोमांचक थी.कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बल्ले से निकला विजयी छक्का आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देता है. 1983 में विश्वकप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे गावस्कर ने कहा था अगर मेरी जिंदगी के 15 सेकंड बचे हों तो मैं धोनी का वर्ल्डकप फाइनल में जड़ा आखिरी छक्का देखकर खुशी-खुशी मरना चाहूंगा.
टॉस में हुआ था कन्फ्यूजन
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में हुए इस फाइनल मुकाबले में दो बार टॉस हुआ.टॉस के लिए भारतीय कप्तान धौनी, श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा, कॉमेंटेटर रवि शास्त्री और मैच रेफरी जैफ क्रो मौजूद थे. धौनी ने टॉस के लिए सिक्के को हवा में उछाला और शास्त्री ने बताया कि ‘हेड्स’ आया है.इस पर धौनी ने मुस्कुराते हुए कहा कि भारत पहले बैटिंग करेगा.लेकिन जब सिक्का हवा में उछाला गया तो शास्त्री उसे देखते रहे और ये नहीं सुन पाए कि संगकारा ने क्या कहा था.
भारत ही टॉस जीता है, इस बात की पुष्टि करने के लिए शास्त्री ने जब मैच रेफरी से पूछा तो उन्होंने कहा, ‘मैंने नहीं सुना’.इस बात ने वहां मौजूद चारों लोगों के लिए संशय की स्थिति पैदा कर दी.जिसके बाद दोबारा टॉस हुआ और दूसरी बार संगकारा ने हेड कहा और श्रीलंका टॉस जीत गया और पहले बैटिंग चुनी.
टेलीविजन रिप्ले में दिखाया गया कि संगकारा ने पहली बार हुए टॉस में ‘हेड्स’ कहा था लेकिन धोनी को लगा था कि संगकारा ने ‘टेल्स’ कहा था इसीलिए उन्होंने टॉस जीता हुआ समझकर शास्त्री से पहले बैटिंग की बात कही थी.
इसके बाद दोबारा टॉस हुआ तो श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फैसला किया.
ऐसा हुआ था मुकाबला
पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने 274 रन बनाए. महिला जयवर्धने ने शानदार 103 रन की पारी खेली थी. वहीं कप्तान कुमारा संगाकारा ने 48 रन बनाए. जहीर और युवराज ने 2-2 विकेट लिए थे, श्रीसंत को 1 विकेट मिला.275 रन का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत कुछ खास नहीं रही.
सहवाग और सचिन के रूप में दो विकेट लिए जा चुके थे. लेकिन गौतम गंभीर ने 97 रन की पारी खेली. जिसके बाद आखिर में जिताने का काम किया धोनी ने उन्होंने शानदार 91 रन की पारी खेली. 10 बॉल रहते ही टीम इंडिया को चैम्पियन बना दिया और साथ ही उन्होंने सचिन के सपने को (टीम इंडिया को फिर चैम्पियन) भी पूरा कर दिया. जीत के बाद इंडियन फैन्स ने खूब जश्न मनाया था. ऐसा लग रहा था जैसे दीवाली हो.
बने कई रिकार्ड्स
पहली बार किसी फाइनल मुकाबले में दो बार टॉस हुआ.वहीं विश्व कप फाइनल के इतिहास में ये पहला मौका था जब किसी टीम की तरफ से शतक लगा हो और वो टीम फाइनल मुकाबले में हार गई हो. श्रीलंका की तरफ से महेला जयवर्धने के शतक के बावजूद उनकी टीम को हार का सामना करना पड़ा था.
इसके अलावा क्रिकेट विश्व कप फाइनल के इतिहास में ये पहला मौका रहा जब किसी खिलाड़ी ने अपनी टीम को छक्का लगाकर जीत दिलाई.इससे पहले खेले गए विश्व कप फाइनल में चौका लगाकर तो रणतुंगा और लेहमन जैसे खिलाड़ियों ने अपनी टीम को जीत दिलाई थी, लेकिन किसी ने छक्का नहीं मारा था.
युवराज”मैन ऑफ द टूर्नामेंट”
इस वर्ल्डकप में सबसे ज्यादा योगदान सिक्सर किंग युवराज सिंह का था. युवराज ने इस वर्ल्डकप में बल्ले के साथ-साथ गेंद से भी कमाल किया था और सचिन तेंदुलकर की ख्वाहिश पूरी की थी.
इससे पहले क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर 5 बार वर्ल्डकप खेल चुके लेकिन फिर भी टीम इंडिया विश्व विजेता नहीं बनी. हालांकि साल 2003 में टीम इंडिया सौरव गांगुली की अगुवाई में फाइनल में पहुंची लेकिन यहां भी भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा. लेकिन साल 2011 में 28 साल बाद एमएस धोनी की अगुवाई में भारत विश्व विजेता बना.
‘मैन ऑफ द मैच’ महेंद्र सिंह धोनी नाबाद 91 रन बनाए. युवराज सिंह को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब दिया गया. युवराज ने क्रिकेट विश्व कप 2011 के नौ मैचों में 362 रन बनाए जिसमें एक शतक और चार अर्धशतक भी शामिल है. इन्होंने 15 विकेट भी लिए. विश्व क्रिकेट के इतिहास में भारत और श्रीलंका दोनों के लिए यह तीसरा फ़ाइनल मैच था. इसके पहले भारत वर्ष 1983 में और वर्ष 2003 में फाइनल में पहुंचा था.