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सात महीने बाद केंद्र सरकार ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के रिहाई के आदेश दिए

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Article 370: केंद्र सरकार ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के रिहाई के आदेश दिए। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यानी 5 अगस्त को उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। कुछ दिनों में एक बॉन्ड पर सिग्नेचर कराकर कई नेताओं को रिहा किया गया था । यह बॉन्ड 370 के खिलाफ प्रदर्शन न करने की गारंटी थी। इससे पहले उनके पिता फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी खत्म की गई थी।

7 महीने बाद रिहा हुए उमर अब्दुल्ला, बाकी नेताओं को रिहा करने की मांग की

श्रीनगर में रिहा होने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “मुझे एहसास है कि हम जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारे सभी लोग जिन्हें हिरासत में लिया गया है, उन्हें इस समय रिहा किया जाना चाहिए। हमें कोरोन वायरस से लड़ने के लिए सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए।”

5 अगस्त को हिरासत में लिए गए थे उमर

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हिरासत को खत्म करने का फैसला किया गया है। मंगलवार को राज्य सरकार ने उमर अब्दुल्ला की रिहाई का आदेश जारी किया है। इस मामले में उमर की बहन सारा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इससे पहले उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को रिहा किया गया था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो हिस्सों में बांटने से यानी 5 अगस्त से उमर अब्दुल्ला को हिरासत में ले लिया गया था। उन पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) भी लगाया था। उमर पर आरोप था कि उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए लोगों को भड़काने का काम किया था।

हिरासत में लिए गए थे कई नेता

जानकारी हो कि पूर्व सीएम नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, आईएएस से राजनेता बने शाह फैसल, पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी नेता सरताज मदनी पर पीएसए लगाया गया था। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यानी 5 अगस्त को उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। कुछ दिनों में एक बॉन्ड पर सिग्नेचर कराकर कई नेताओं को रिहा किया गया था । यह बॉन्ड 370 के खिलाफ प्रदर्शन न करने की गारंटी थी।

Photo Credit- STUDYIQ

हालांकि, सरकार के बॉन्ड पर सिग्नेचर करने से फारूक, उमर, महबूबा समेत 6 नेताओं ने मना कर दिया था। इसके बाद इन पर पीएसए लगाया गया था। इसके साथ ही उमर और महबूबा को उनके घर पर शिफ्ट करके नजरबंद कर दिया गया था।

कुछ दिनों पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी खत्म हुई थी । फारूक अब्दुल्ला ने नजरबंदी खत्म होने के बाद अपने घर पर लोगों को संबोधित कियाथा। उन्होंने कहा था , ‘मैं जनता और उन नेताओं का बहुत शुक्रिया करता हूं, जिन्होंने हमारी आजादी के लिए आवाज उठाई, मैं आजाद हुआ….मैं आजाद हुआ, लेकिन मेरी आजादी तब पूरी होगी, जब उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत सभी नेताओं की रिहाई होगी।मुझको उम्मीद है कि सभी नेताओं की रिहाई जल्द होगी।

प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 की धारा 19 (1) के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए नजरबंदी के आदेश को सरकार ने तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया था। इससे पहले फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को तीन-तीन महीने की अतिरिक्त अवधि के लिए बढ़ा दिया गया था।

सरकार के आदेश पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कहा कि हम उमर अब्दुल्ला को नजरबंदी से रिहा करने का स्वागत करते हैं और सरकार से महबूबा मुफ्ती और उनके अन्य सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की अपील करते हैं। बेतुके आरोपों के साथ पीएसए के तहत की गई कार्रवाई दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बुनियादी समझ का सवाल है।

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