वो तो होना ही है, क्योंकि देश की बड़ी आबादी के मस्तिष्क में धर्म के नाम पर ज़हर भर दिया गया है। इतना कि तालिबान को भी शर्म आ जाये। हिन्दू – मुस्लिम झगड़ों के नाम पर सोशल मीडिया का कचरा भक्तों के दिमाग में भरा जा चुका है। यह कचरा दरअसल साम्प्रदायिकता का बीज है, जो सिर्फ और सिर्फ वोट की फ़सल के लिए लगाया गया है।
योगी सरकार का यह इकलौता कृत्य नही है, ऐसे कृत्यों की भरमार है। नाम बदलने से लेकर भड़काऊ बयानों तक, कोई उनसे पूछे योगी जी आपने यूपी की जनता को रोजगार दिलाने के लिए क्या किया। योगी जी और मोदीभक्तों की एक सुर में आवाज़ आयेगी, हिन्दू खतरे में है। सुनिये योगी जी – हिन्दू खतरे में है, इसमे कोई शक नही पर जिनकी वजह से खतरे में है, वो है आपकी सरकार। चाहे प्रदेशों की सरकार हो या देश की।
हिंदुओं के नाम पर राजनीतिक रोटी सेकने वाले भाजपा नेता ये बताएं, कि भाजपा शासित राज्यों में कितने हिंदू बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार मिला, कितनी हिंदू बेटियां बलात्कार की शिकार हुईं। कोई मोदी जी आप ही बता दीजिए कितनी हिंदू महिलाओं को सुसराल में होने वाली प्रताड़नाओं से आपने आज़ादी दिलाई? न आप जवाब देंगे, न अजय सिंह बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ. सब खामोश हैं, क्यों भाई ? क्यों खामोश हो ? क्यों हिंदुओं के नाम पर ही तो अपनी राजनीतिक रोटियां सकते हैं न आप फिर क्यों इन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं आप?
अब आते हैं, उत्तरप्रदेश के इंस्पेक्टर सुबोध हत्याकांड पर – योगी जी क्या आपके लिए एक पुलिस अफ़सर से ज़्यादा जानवर महत्व रखता है। आखिर सुबोध कुमार सिंह के हत्यारों को पकड़ने में आपकी सरकार क्यों लचर साबित हो रही है। आखिर वो कौन सी वजह है जिसके कारण सुबोध कुमार सिंह की हत्या के आरोपियों पर बड़ी धाराएं नही लगाई गईं। योगी जी सुनिये ! सुबोध कुमार सिंह भी एक हिंदू ही था, कोई मुस्लिम या ईसाई नही!