लॉकडाउन के बाद नए कौशल के साथ वापसी कर रहे हैं लोग

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कोरोना महामारी में उस वर्ग को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी जिसका काम रोज़ खाने-कमाने का है। लघु उद्योग से लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियों तक में तालाबंदी हुई थी। प्रवासी मंज़दूर रोज़ी रोटी छोड़ अपने शहर से रवाना हो गये थे। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने लॉकडाउन में अधिक कौशल अर्जित करके अपने क्षेत्रों में वापसी की है।

‘दी हिन्दू’ की रिपोर्ट के मुताबिक, रेस्तरां उन पहले क्षेत्रो में से था जो लॉकडाउन में सबसे पहले बन्द हुआ। ऐसे में उसमें काम करने वाले अधिकतर लोगों को या तो तालाबंदी में रहना पड़ा या अपने गांव जाकर खेतीबाड़ी करने लगे। लेकिन जो लोग यहां रह गए उन्होंने अपने समय का उपयोग करते हुए अन्य कौशल क्षेत्रो में अपना हाथ आजमाया और अब नौकरी कर रहे हैं।

गांव में जाकर की खेती 

कनॉट प्लेस के एक रेस्तरां में काम करने वाले गजेंद्र नेगी को लॉकडाउन में अपने परिवार के साथ अपने गांव टिहरी जाना पड़ा। वो बताते हैं कि तालाबंदी के चलते जहाँ रेस्तरां बन्द हो गया वहीं बच्चों के स्कूल भी बंद कर दिए गए।

ऐसे में अपने गांव में जाकर खेती की और परिवार के साथ समय बिताया। बच्चों की पढ़ाई भी ऑनलाइन क्लास में हो जाती थी। अब रेस्तरां खुल गए हैं और मालिक ने हमे वापस बुला लिया। वो कहते है कि अगर रेस्तरां बंद नहीं होता तो हम अभी अलग स्थिति में होते।

नये कौशल के साथ काम पर वापसी

दूसरी ओर क्लब में काम करने वाले विशाल ने अपने समय का भरपूर उपयोग किया है। वो कहते हैं कि अब मैं वापस अपने काम पर आ गया हूँ। लेकिन मैंने लॉक डाउन में डीजे का काम सीखा। मेरे दोस्त साउंड इक्विपमेंट्स का काम करते है जिन्होंने मुझे इसके बारे में बताया। अब मैं शादी के सीजन के इंतजार कर रहा हूँ। ताकि अपने प्राप्त कौशल का इस्तेमाल कर सकूं।

डिलीवरी राइडर बन गया हूँ

ऐसे ही खाने और दवाई की डिलीवरी करने वाले सोहम रावत ने कहा कि, मुझे परिवार की देखभाल करनी थी, एक नौकरी चाहिए थी। शुरुआती लॉकडाउन में सब बंद था, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुला मैंने आवेदन किया। क्योंकि अधिकतर लोग महामारी में शहर से जा चुके थे तो मुझे काम मिल गया। शुरुआत मुश्किल थी, लेकिन अब मैं डिलीवरी राइडर बन गया हूँ। शहर में अक्सर देखा जाता है कि खान-पान को लेकर लोगों की रुचि बदलती रहती है जिसके कारण रेस्तरां क्षेत्र अपने जोरो पर हैं।

इसी कड़ी में अलीगढ़ के हरेंद्र यादव जो कनॉट प्लेस के एक रेस्तरां में काम करते हैं। कहते है, की मैं रोज़ाना अलग-अलग लोगों से मिलता हूँ और बात करता हूं, इसलिए मुझे अपना काम पसंद है। लेकिन लॉकडाउन में घर पर बैठना बहुत उबाऊ था। हालांकि, अब मैं अपने काम पर वापस आ गया हूँ। कोरोना केस भी अभी कम है। वो कहते हैं कि मैं शुक्रगुजार हूं कि मैं ऐसे क्षेत्र में काम करता हूँ जो बहुत जल्दी अपनी राह पर वापस आ गया।

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