क्या पंजाब में दिल्ली की तरह फ्रीबीज़ का जादू चल पायेगा ?

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आप पार्टी के सबसे बड़े नेताओं का पंजाब में जमा होना और ये ऐलान करना कि “हम अगर सत्ता में आते हैं तो 300 यूनिट तक बिजली फ्री देंगे” के नारे ने ये सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या दिल्ली की तरह ये फ्रीबीज़ का जादू पंजाब में चल पाएगा? ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है कि 2017 में पंजाब में मुख्य विपक्षी पार्टी रही “आप” वहां अपनी ग़लतियाँ सुधार रही है।

दिल्ली से बाहर केजरीवाल नाकाम?

“आप” ने 2017 में दिल्ली के अलावा कहीं और अगर पूरी मज़बूती से चुनाव लड़ा था वो जगह पंजाब ही थी,क्योंकि 2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद यहां पार्टी 4 लोकसभा सीट जीत कर आई थी,13 में से 4 चार लोकसभा सीट जीत लेना मामूली नहीं था,बस इसलिए पार्टी ने वहां चुनाव लड़ने का मन बना लिया।

2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी वहां की 117 सीटों में से 112 पर चुनाव लड़ी थी,केजरीवाल से लेकर मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, दिलीप पांडे जैसे नेताओं ने वहां डेरा डाला था,और तो और राजौरी गार्डन(दिल्ली) के विधायक जरनैल सिंह को तो केजरीवाल ने “लाम्बी” विधानसभा से तत्कालीन मुख्यमंत्री के खिलाफ ही चुनाव लड़ा दिया था।

लेकिन हुआ क्या? पार्टी सिर्फ 20 सीट जीत पाई,अरविंद केजरीवाल जैसे बड़े बड़े नेताओं के सारे दावे फुस्स हो गए,जहां एक तरफ “आप” सरकार बनाने के दावे कर रही थी दूसरी तरफ वो बुरी तरह परास्त हो गयी,हालांकि खुद को सम्भाल लेने के लिए केजरीवाल और उनके योद्धाओं ने इस पर सब्र कर लिया की पहले चुनाव ही में मुख्य विपक्षी दल बन कर सामने आना कोई मामूली बात तो नही है।

पंजाब में करी बड़ी गलतियां

केजरीवाल शायद उस वक़्त पंजाब में बड़ी गलती कर गए,वो ये भूल गए कि हर राज्य और क्षेत्र के मुद्दे अलग होते हैं और वहां के लोग भी,केजरीवाल के नाम पर वहां से वोट ले लेना आसान नही था,वहां कोई मुख्यमंत्री का चेहरा होना बहुत ज़रूरी है,इसलिए केजरीवाल इस बार ऐसी गलतियां नहीं करेंगे,खबर ये है कि बहुत जल्द उनकी पार्टी किसी सिख को अपना मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने वाली है।

“आप” ने पहले चुनाव में वहां नशाखोरी को मुद्दा बनाया था,जो बहुत बड़ा मुद्दा होते हुए भी ज़न जन से नहीं जुड़ पाया था और पार्टी को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ा था,इसलिए इस बार केजरीवाल की पार्टी पंजाब के लोगों पर फ्री बिजली का वादा कर आये हैं,जो एक शानदार मुद्दा है।

क्या बिजली का मुद्दा चलेगा पंजाब मे?

राष्ट्रीय राजनीति के जानकारों का कहना है कि देश की मौजूदा स्थिति के मुताबिक फ्री बिजली जैसा 100 प्रतिशत कामयाब साबित हो सकता है क्योंकि देश के किसी भी हिस्से में,मिडल क्लास और लोवर मिडल क्लास की आबादी ज़्यादा है,और ऐसा चाहने वाला शायद ही कोई हो जिसे फ्री बिजली वो भी 300 यूनिट मिलने से समस्या होने लगे।

दरअसल केजरीवाल दिल्ली में जनता की वो रग जान पाए हैं जो उनसे जुड़ी है और इसलिए वो अपने इस एक्सपेरिमेंट को पंजाब में भी इस्तेमाल करना चाहते हैं क्योंकि वहां सरकार 5 साल से कांग्रेस की है तो हो सकता है कि हालात बदल जाये और केजरीवाल की पार्टी पंजाब फतह कर ले,लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें फिर से कुछ ही सीटों पर फिर से सब्र करना पड़ जाये।

बहरहाल अभी इतना जान लेना बहुत ज़रूरी है कि केजरीवाल का मिशन पंजाब वहां के कांग्रेसी “कैप्टन” के लिए खतरे की घण्टी है,क्योंकि जनता में उनसे नाराज़गी होना लाज़मी है…

बाकी देखते हैं…