तमिल फिल्म (tamil film) “जय भीम” (jai bhim) को दर्शकों और आलोचकों ने खूब सराहा है। दर्शको के फीडबैक के मुताबिक फ़िल्म की कहानी, एक्टिंग, डायलॉग और प्रजेंटेशन हर एक चीज़ पर काफ़ी काम किया गया। बता दें कि, फ़िल्म 2 नवबंर को ऐमज़ॉन प्राइम पर रिलीज की गई थी। 10 करोड़ के बजट में बनी जय भीम अब तक 100 करोड़ से ज़्यादा का बिजनेस कर चुकी है, वहीं IMDB ने जय भीम को 9.6 रेटिंग देकर बेहतरीन फ़िल्म की श्रेणी में शामिल किया है।
स्टार कास्ट (star cast) की बात करें तो, जय भीम को टॉलीवुड एक्टर सूर्या (Surya) ने प्रड्यूस (produce) किया है। फ़िल्म में प्रकाश राज (prakash raj), लीजोमोल जोज़ (lijomol Jose), राजिशा विजयन (rajisha vijyan), के. मनिकन्दन (k. Manikandan), राओ रमेश (rao ramesh) और सूर्या ने मुख्य भूमिका निभाई है। फ़िल्म का निर्देशन T. J. गननवेल ने किया है।
फ़िल्म का प्लॉट (कहानी) क्या है :
फ़िल्म की कहानी 1994 के मद्रास हाईकोर्ट (Madras high Court) के एक प्रसिद्ध केस पर आधिरत है, जो प्रमुखता से तमिलनाडु (tamilanadu) में रहने वाली इरुलर जनजाति (erular trips) की बात करती है। फ़िल्म में इरुलर जनजाति के लोग गांव से बाहर रहते हैं और अपनी जीविका के लिए साँप और चूहें पकड़ने का काम करते हैं। प्रधान के घर चोरी हो जाती है जिसका शक इसी जाती के एक आदमी राजकन्नू पर जाता है। पुलिस राजकन्नू को गिरफ्तार कर लेती है। राजकन्नू के कहने पर, की उसने चोरी नहीं कि है पुलिस कसडी में उसे बेरहमी से मारा जाता है।
राजकन्नू की पत्नी संगिनी से कहा जाता है कि वो अपने दोनों साथियों के साथ पुलिस कसडी से भाग गया है। इसके बाद शुरू होती है फ़िल्म की असली कहानी जहां संगिनी, गांव की टीचर के साथ मिलकर अपने पति को ढूंढती है। इसी बीच वो चंद्रु नाम के वकील से मिलती है जो मानवाधिकार से जुड़े केस पर काम करता है और इसके लिए कोई फीस भी नहीं लेता। गांव में फैली जातिवाद की बीमारी और असमानता की खाई से होते हुए फ़िल्म के आखिर में पता चलता है कि पुलिस कसडी में राजकन्नू की मौत हो गयी थी। जिसे छिपाने के लिए पुलिस कोर्ट को गुमराह कर रही थी।
फ़िल्म में देखने लायक क्या है :
फ़िल्म दिखाती है कि कैसे आज़ादी (freedom) के बाद भी गांव और देहात में जातिवाद, ऊच नीच और छुआ छूत जैसी बीमारी पनप रही हैं। फ़िल्म में कई ऐसे सीन है जो आपको सोचने पर मजबूर कर सकते हैं। यहाँ सालों से एक विशेष जाती के लिए एक सोच बनी है कि अगर कही चोरी होती हैं तो वो तथा कथित नीची जाति वाले ने ही कि होगी। क्योंकि इनका तो काम ही यही है।
रही बात ऊची जाती वालो की तो वो ऐसी हरकत कभी कर ही नहीं सकते। फ़िल्म में कोई गाना नहीं है और न ही कोई रोमांस या लव ट्राइंगल है, लेकिन फिर भी ये फ़िल्म बिना किसी बोरियत के देखी जा सकती है। जय भीम में उस वर्ग के अधिकारों की बात की गई, उस वर्ग को मुख्य धारा से जोड़ने की बात की गई है जिसके पास न तो ज़मीन है, न जायदात, और न शिक्षा।
कुछ सीन आपको रोने पर मजबूर कर सकते हैं :
फ़िल्म में कई ऐसे सीन है जिन्हें देख कर आप रो सकते है, या सोच में पढ़ सकते हैं। इन सीन को आलोचकों ने हर एक सीन को बारीकी से नोटिस किया है। फ़िल्म के एक सीन में कुछ कैदी जेल से बाहर आते हैं जिन्हें जेलर उनकी जाति पूछकर दो अलग खेमो में बाट देता है। नीची जाति वालो को अलग लाइन में लगाकर उन पर झूठे केस लगाने की बात की जाती है। दूसरे सीन में प्रधान के घर से साँप पकड़ने के लिए राजकन्नू को बुलाने आए एक आदमी के कंधे पर जब राजकन्नू हाथ रखता है, तो वो आदमी उसे झटक देता है।
इस सीन पर हो सकता है आम दर्शक की नज़र न गयी हो। वहीं एक सीन है जिसमे राजकन्नू की बहन को जेल में अपने भाई और देवर के सामने एक पुलिस वाला नंगा कर देता है। यहां पता चलता है कि पुलिस अपनी पुलिसिया ताकत किस हद तक दिखती है। वहीं ऊची जाती और सीनियर के दबाव में पुलिस द्वारा राजकन्नू को इस हद तक मारना की उसकी जांच चली जाए, पुलिस की ताकत या काम को नहीं बल्कि दरिंदगी को दिखाती है।
जय भीम पर क्यों हैं विवाद :
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दलित चिंतन पर बनी जय भीम अब विवादों में आ गयी है। फ़िल्म के कुछ सीन्स को लेकर लोगो में थोड़ा गुस्सा देखा जा रहा है। फ़िल्म में प्रकाश राज के एक सीन पर विवाद ये है कि फ़िल्म में हिंदी भाषा का अपमान किया गया है। सीन ये है कि, प्रकाश राज एक व्यक्ति से पूछताछ कर रहे है जो हिंदी में जवाब देता है, प्रकाश राज उसे थप्पड़ मारते है और तमिल भाषा मे बोलने की बात करते हैं।
दूसरी और तमिलनाडु के वन्नियार समुदाय ने जय भीम की टीम पर समुदाय की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही टीम से 5 करोड़ के मुआवजे की मांग और समुदाय से मांफी मांगने की बात की है। हालांकि, तमिलनाडु के CM, M. K. स्टालिन और नए नए राजनीति में आए कमल हासन ने फ़िल्म की तारीफ़ की है।