भाजपा का अगला प्रधानमंत्री उम्मीदवार कौन: योगी बनाम मोदी

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Heena Sen

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कौन नहीं जानता, राजनीति में चर्चित रहने वाले नेताओं में से एक बड़ा नाम है योगी आदित्य नाथ, यूपी के मुख्यमंत्री आज अपने आप में एक ब्रैंड हैं, देश के दक्षिण पंथी और हिंदुत्ववादी सोच वाले युवाओं के आदर्श बनकर उभरने वाले योगी आदित्यनाथ का जीवन विवाद से भरा हुआ है। आज ही के दिन योगी आदित्यनाथ का जन्म 1972 में हुआ था, उत्तराखंड के ठाकुर परिवार से आकर यूपी के पूर्वांचल में अपना वर्चस्व स्थापित करने और मुख्य्मंत्री बनाने ने की कहानी आपको जरूर जाननी चाहिए।

पौढ़ी गढ़वाल के पिचूर गांव में हुआ जन्म

उत्तराखंड के तहसील पौढ़ी गढ़वाल में पिचूर नाम जा गांव है, इसी गांव में यूपी के मुख्यमंत्री का जन्म 5 जून 1972 को हुआ था। योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय मोहन सिंह बिष्ट है। इसके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट और माता का नाम सावित्री देवी था। योगी आदित्यनाथ ने आपने प्राथमिक शिक्षा टिहरी गढ़वाल के गजा स्कूल से पूरी की थी। इसके बाद 1989 में। ऋषिकेश इंटर कॉलेज से इंटर पास की, जिसके बाद 1992 में हेमवती नन्दन बहुगुणा गडवाल विश्वविद्यालय से योगी ने स्नातक ( बैचलर्स) और स्नातकोत्तर (मास्टर्स) की पढ़ाई पूरी की थी।

अजय मोहन सिंह से योगी आदित्यनाथ बनने का सफर

अपनी पढ़ाई खत्म करके योगी जी गोरखपुर आए और यहां आकर उनकी मुलाकात गोरखपुर मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से हुई, जिसके बाद योगी ने अवैद्यनाथ से दीक्षा लेकर सन्यासी बन का फैसला लिया, इसी के बाद योगी जी का नाम अजय सिंह बिष्ट से बदल कर योगी आदित्यनाथ रख दिया गया था। योगी जी के गुरु के निधन के बाद उन्हें ही गोरखनाथ मंदिर का महंत बना दिया गया।

औपचारिक रूप से राजनीतिक जीवन की शुरुआत

यूं तो योगी आदित्यनाथ छात्र जीवन से ही राजनितिक जीवन की शुरूआत कर चुके थे, लेकिन अपने औपचारिक राजनीति कैरियर के शुरआत योगी ने 1998 में की थी। 1998 के लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की, 1998 में वह संसद में सबसे युवा सांसद थे। यह जीत का सिलसिला 2014 तक नॉन स्टॉप चला। 2017 विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, तब उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया।

कट्टर हिंदूवादी छवि

योगी आदित्यनाथ हमेशा अपनी हिंदूवादी राजनीति और कट्टर हिंदू के छवि से जाने जाते रहे हैं, हालांकि मुख्य्मंत्री बनने के बाद उन्होंने इस छवि को कम करने का प्रयास तो किया, लेकिन, जाने-अनजाने योगी जी कुछ ऐसा काम के देते हैं जिससे यूपी का मुस्लिम समुदाय उन पर भरोसा नहीं कर पाता। द वायर के हवाले से यूपी के मुस्लिम समुदाय के लोग कहते हैं कि मुख्यमंत्री के लिए योगी बिल्कुल फिट नहीं बैठते, आज़मगढ़ में अंडे की दुकान चलाने वाले मुद्दसिर ख़ान का कहना है, ‘यह दुखद है। किसी भेड़िये से मासूम जानवर की रक्षा की उम्मीद नहीं की जा सकती है। भाजपा को यह जनादेश विकास करने के लिए मिला था। विनाश करने के लिए नहीं।’ इसके अलावा सुल्तानपुर में पोल्ट्री फार्म चलाने वाले वसीम खान ने कहा, ‘योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की थी। उन पर गोरखपुर, देवरिया, मऊ, आज़मगढ़ समेत पूरे पूर्वांचल में मुसलमानों पर हमले और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के दर्जनों मामले दर्ज़ हैं। ऐसे व्यक्ति से आप किस बात की उम्मीद करते सकते हैं।’

हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना

कट्टर हिंदूवादी की छवि के साथ योगी जी ने कट्टर हिंदूवादी संगठन “हिंदू युवा वाहिनी” की भी स्थापना की है। यह संगठन अस्तित्व में आने के बाद से ही विवादों में रहा हैं। वैसे तो “हिंदू युवा वाहिनी” हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है, लेकिन इस संगठन का नाम 2005 में मऊ के दंगों के दौरान भी सामने आया था। दरअसल, इस संगठन पर आरोप लगा था कि भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक की हत्या के आरोपी मुख्तार अंसारी को लेकर भड़के इस दंगे में हिन्दू युवा वाहिनी की भी सक्रिय भूमिका थी।

ऐसे बढ़ा योगी का कद

अपने कट्टर हिंदूवादी व्यक्त्तिव और विवादित बयानों से योगी आदित्यनाथ का कद पार्टी और देश के राजनीति में घटने की बजाए, हर दिन बढ़ता गया, देश का एक बड़ा वर्ग योगी जी के कहे हुए को पत्थर की लकीर मानने लगा। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री बनने से पहले भी योगी जहां खड़े हो जाते थे, सभा वहीं शुरू हो जाती थी। उनके समर्थक के लिए योगी जी की कही हुई बात कानून से कम नहीं थी। इतना ही नहीं होली और दीवाली जैसे बड़े त्योहार कब मानने हैं, इनका ऐलान खुद योगी आदित्यनाथ गोरखपुर मंदिर से किया करते थे। गोरखपुर में हिंदुओं के त्योहार एक दिन बड़ा ही मनाए जाते थे। इस क्षेत्र में बीजेपी से ज्यादा योगी जी के नाम की धाक थी।

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी जी के समर्थकों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। अब सिर्फ यूपी नहीं, देश के एक बड़े हिस्से में योगी के समर्थकों की संख्या बढ़ है। इस बात अंदाजा इसी बता से लगाया जा सकता है कि देश के दक्षिणपंथी लोग और इस सोच से प्रभावित लोग योगी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में देखने लगे हैं।

अचानक मुख्यमंत्री कैसे बने योगी

यूपी के चुनाव में बीजेपी ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा था, उस समय मुख्यमंत्री पद के किसी उम्मीदवार की घोषणा बीजेपी के द्वारा नहीं की गई थी, लेकिन राजनीतिक गलियारों में केशव प्रसाद मौर्य और कुछ और नामों को जबरदस्त चर्चा थे। इस लिस्ट में कहीं भी योगी आदित्यनाथ का नाम था, लिहाजा जब योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया, जनता ही नहीं, राजनीतिक विशेषज्ञ भी भौचक्के रह गए। दरअसल, योगी को मुख्यमंत्री बनाने में संघ का बोहोत बड़ा हाथ रहा है। सीएम की दौड़ में नामोनिशान ना होने के बावजूद 2017 में संघ ने पार्टी पर अपने प्रभाव के चलते योगी को मुख्यमंत्री बनाने की सलाह दी, जिसके बाद अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने ऐसा ही किया।

मोदी बनाम योगी

आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी पार्टी में काफी हलचल हो रही है। पार्टी के अंदर बैठे लोगों का कहना है की पार्टी काफी कुछ ठीक नहीं है। इस समय बीजेपी दो भागों में विभाजित नजर आ रही है। एक तरफ मोदी और अमित शाह हैं, तो दूसरी तरफ अकेले योगी। दरअसल, आज की स्तिथियों को समझने के लिए हमें चार महीने पीछे जाना होगा। गुजरात कैडर के अरविंद कुमार शर्मा ने अपनी रिटायरमेंट से कुछ ही महीने पहले इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। यह अरविंद शर्मा प्रधानमंत्री मोदी के काफी नजदीक माने जाते हैं, और इसीलिए इन्हें उल्का पिंड की तरह यूपी के सदन में परिषद के जरिए एंट्री दे दी गई, लेकिन ये बात संघ और योगी जी अच्छी नहीं लगी। बीजेपी के नेता बीबीसी हिंदी. कॉम के हवाले से कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के करीबी होने के कारण अनुमान लगाए जा रहे था कि कैबिनेट का विस्तार करके उन्हें कोई महत्वपूर्ण विभाग दिया जायेगा, पर सीएम योगी ने साफ कर दिया है कि अरविंद शर्मा को राज्यमंत्री से ज्यादा कुछ नहीं बनाया जाएगा। योगी के इस बात की मोदी की अवेहलना के तौर पर देखा जाने लगा है। कई मौकों पर मोदी और अमित शाह योगी को ये याद दिला देते हैं कि वह मुख्यमंत्री किस की वजह से बनें हैं, वहीं योगी जी भी ये बताने में कोई कसर नहीं छोड़ते की बीजेपी में अगले प्रधानमंत्री के रूप में एकमात्र विकल्प वही हैं।

मीटिंगों के बाद भी किसी बड़े बदलाव की आशंका नहीं

2022 का विधानसभा चुनाव नजदीक है, ऐसे में हाल के विधानसभा चुनावों से सबक लेकर बीजेपी में अंदरूनी मंथन जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, पार्टी के आलाकमान ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहते जिससे पार्टी चुनावों में कोई भी नुकसान उठाना पड़ें। दरअसल, बीते विधानसभा चुनाव कोरोना महामारी से काफी प्रभावित थे और इन चुनावों में पार्टी में 2 राज्यों में नुकसान भी उठाया और कोरोना की दूसरी लहर की बात की जाते तो सबसे डरावनी तस्वीरें उत्तर प्रदेश से ही सामने आई हैं साथ ही योगी जी का कोरोना कुप्रबंधन पूरे देश की जनता के सामने आ गया है। जिससे केंद्र काफी नाराज़ भी है। इसके बाद से ही मीटिंगों का दौर लगातार जारी है, कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी के नेतृत्व में चुनाव लड़ना बीजेपी को भरी पढ़ सकता है इसीलिए आलाकमान नेतृत्व में बदलाव भी कर सकता है। लेकिन हाल ही के घटनाक्रमों से ऐसा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। यूपी में इतनी तबाही के बावजूद केंद्र की तरफ से राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष डैमेज कंट्रोल की पूरी कोशिश कर रहे थे। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यूपी में नए दैनिक मामलों की संख्या में 93 फीसदी की कमी की हैं। योगीजी ने प्रभावी ढंग से महामारी को संभाला है और कोरोना महामारी काबू करने में बेहतर साबित हुई। यहां तक की राजनीतिक विशेषज्ञों का भी कहना है कि इतनी सारी मीटिंगों के बावजूद किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है। दरअसल इसका सीधा सा कारण संघ ही है, संघ योगी में अपना अगला प्रधानमंत्री देखता है और इसीलिए वह सीएम योगी को लगातार संरक्षण दे रहा है।

क्या अगले पीएम होंगे योगी?

यह बात किसी से नहीं छिपी है कि बीजेपी पार्टी में संघ का हस्तक्षेप किस हद तक होता है, अगर कोई व्यक्ति बीजेपी से प्रधानमंत्री बनता है तो पहले संघ उसके नाम पर मुहर लगता है, और योगी जी को भी प्रधानमन्त्री पद के लिए इसी तरह तैयार कियाबजा रहा है, जैसे मोदी को किया गया था, मसलन संघ हमेशा दूरदृष्टि से फैसले लेता है जबकि बीजेपी वर्तमान की जरूरतों के अनुसार अपने निर्णय लेती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भी संघ के एक पदाधिकारी का कहना है कि संघ योगी आदित्यनाथ को मोदी के विकल्प के रूप में खड़ा नहीं कर रहा बल्कि इस स्तिथि से बचने के लिए काम कर रहा है जिसका सामना अटल बिहारी वाजपेयी के बाद संघ और बीजेपी कर रही थी। उन्होंने आगे कहा कि जब तक नरेंद्र मोदी राजनीति में सक्रिय हैं, तब तक वही बीजेपी का नेतृत्व करेंगे। लेकिन, उनके राजनीति से सन्यास लेने के बाद नेतृत्व शून्यता नहीं आनी चाहिए। संघ कोशिश कर रहा है कि समय रहते कुछ मजबूत नेता दूसरी पंक्ति में त्यार रहें। और शायद इसी कोशिश के तहत योगी आदित्यनाथ उसी तरह स्टार प्रचारक बना कर देश में भेजा जा रहा है, जैसे कभी मोदी जी को भेजा जाता था। अब योगी जी अगले प्रधानमंत्री बनते हैं नहीं यह तो समय आने पर ही पता चलेगा, लेकिन अभी इतना तो साफ है कि योगी आदित्यनाथ के सर पर संघ का हाथ विराजमान है।

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