जब अनुराग कश्यप ने बंद कर दी थी अपनी कंपनी “फ़ से फेंटम”

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तो बॉलीवुड में फिर एक बार मीटू का जिन्न लौटकर आ गया, एक एक्ट्रेस पायल घोष (Payal Ghosh) ने मशहूर फ़िल्म निर्माता अनुराग कश्यप (Anurag kashyap) पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। पायल का कहना है कि अनुराग ने उनके साथ जबरदस्ती की, अनुराग ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया उन्होंने ट्वीट कर लिखा है, ‘अभी तो बहुत आक्रमण होने वाले हैं, यह बस शुरुआत है।

https://twitter.com/anuragkashyap72/status/1307427421616967680

दरअसल इस तरह के आरोप एक टूल की तरह इस्तेमाल किये जाते हैं, 2018 का मीटू मूवमेंट (Me too movent 2018) भी कुछ ऐसा ही था । बस ऐसा होता है कि कुछ लोगो का मीटू से बड़ा नुकसान होता है और कुछ लोगो का इससे बड़ा फायदा भी होता है

अनुराग कश्यप की एक फ़िल्म कम्पनी हुआ करती थी 2018 में उसे बन्द कर दिया गया, वह थी ‘फ़ से फैंटम’ याद होगा बहुत से लोगों को, इस कम्पनी में चार पार्टनर थे, अनुराग कश्यप, विक्रमादित्य मोटवानी, विकास बहल और मधु मंतेना

इस कम्पनी को क्यों बन्द किया गया जानते है आप ? दरअसल इसके एक पार्टनर विकास बहल जिन्होंने कंगना को लेकर क्वीन जैसी फ़िल्म बनाई थी, उन पर एक लड़की ने मीटू टाइप का इल्जाम लगाया, बाद में कँगना ने भी विकास बहल पर छेड़छाड़ का इल्जाम लगाया था। अनुराग कश्यप ने बाद में अपनी ट्वीट में बताया था कि भले ही वह फैंटम में एक पार्टनर थे लेकिन उनके पास विकास को हटाने की ताकत नहीं थी।

अनुराग ने उस वक्त लिखा था कि- जब महिला क्रू मेंबर के साथ हुई घटना के बारे में उन्हें पता चला तो उन्होंने लीगल टीम को इस बारे में बताया, जिसने उन्हें कहा कि इस मामले में वह ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं। अनुराग ने कहा कि फिर भी उनसे जितना हो सका उन्होंने विकास के खिलाफ कंपनी को ऐक्शन लेने को मजबूर किया। हमने विकास को सस्पेंड किया। बाद में उन्होंने यह कम्पनी ही बन्द कर दी सब अलग अलग हो गए

विकास बहल ने उस वक्त अपने पूर्व साथियों अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवानी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कर दिया, सेक्शुअल हैरसमेंट के आरोपों के बाद विकास बहल और फैंटम फिल्म्स से अलग हो गए थे।

लेकिन जैसा कि कहा कि कुछ लोगो को मीटू से फायदा भी होता है

सुशान्त की आत्महत्या के शायद दो दिन बाद मैंने एक पोस्ट लिखी थी ‘सुशांत सिंह सुसाइड केस : द अनटोल्ड स्टोरी’ उस पोस्ट में मैंने यह लिखा था कि सुशान्त की सारी परेशानियों की शुरूआत मी टू अभियान से शुरू हुई। खुद सुशान्त भी मी में फंसे हुए थे उन पर दिल बेचारा की नवोदित हीरोइन ने भी आरोप लगाया था।

सुशान्त से 2 साल पहले अनिर्बन दास ब्लाह ने भी मी के चलते आत्महत्या की कोशिश की थी, अनिर्बन दास ब्लाह बॉलीवुड की नंबर वन सेलिब्रिटी मैनेजमेंट कम्पनी के मुख्य कर्ता धर्ता थे, उस सेलिब्रिटी मैनेजमेंट कंपनी का नाम क्वान एंटरटेनमेंट है। क्वान एंटरटेनमेंट भारत की सबसे बड़ी सेलिब्रिटी मैनेजमेंट फर्मों में शुमार की जाती है, इसके क्लाइंट की लिस्ट में रणबीर कपूर, दीपिका पादुकोण, ऋतिक रोशन, टाइगर श्रॉफ, सोनम कपूर, श्रद्धा कपूर और जैकलिन फर्नांडीज जैसे चर्चित फिल्मी सितारे शामिल हैं।

देश की सबसे बड़ी सेलिब्रिटी मैनेजमेंट कंपनी क्वान एंटरटेनमेंट लगभग सवा सौ से भी अधिक सेलेब्रिटीज़ का काम देखती है, जो टीवी और फिल्म इंडस्ट्री के सितारे है। अर्निबान ब्लाह ने मधु मोन्टेना ओर अन्य पार्टनर्स के साथ KWAN इंटरटेनमेंट की स्थापना की थी, ब्लाह और उनकी टीम ने एक ऐसे समूह में निर्माण किया, जो सालाना कारोबार में 500 मिलियन यानी लगभग 3,404 करोड़ से अधिक का बिजनेस करती है। उसकी टीम न केवल अभिनेता, बल्कि निर्देशक, लेखक और संगीत संगीतकार भी हैं, बल्कि वह ब्रांड मैनेजमेंट से भी जुड़ी है उसके अन्य वर्टिकल में टीवी और वेब कंटेंट, प्रोडक्ट प्लेसमेंट, लाइव प्रोग्रामिंग, ब्रांड पोजिशनिंग और मार्केटिंग एडवाइजरी, स्पोर्ट्स टीम फ्रैंचाइज़ी मैनेजमेंट और, हाल ही में, फैशन रिटेल भी शामिल हैं।

अर्निबान 2018 की शुरुआत तक क्वान में टॉप पर थे लेकिन उनका पराभव मीटू के कारण हुआ, जो 2018 के आखिरी महीनों में सामने आया। अर्निबान पर चार महिलाओं ने सेक्सुअल हैरसमेंट का आरोप लगाया था, इसके बाद खबर आई कि ब्‍लाह ने खुदकुशी करने की कोशिश की लेकिन पुलिस द्वारा बचा लिए गए। हालांकि, मीटू मूवमेंट में फंसने के बाद उन्हें क्वान कम्पनी से रफा दफा कर दिया गया और उन्हें इस्तीफा देकर कंपनी छोड़नी पड़ी। कंपनी की बागडोर संभाली मधु मंतेना ने, जो अनुराग कश्यप की कम्पनी फैंटम फिल्म में भी साझीदार थे हालांकि वे पहले से ही क्वान से जुड़े हुए थे, लेकिन उनके रास्ते का एक बड़ा कांटा साफ हो गया।

मीटू ने अर्निबान को तबाह कर दिया ओर मधु मंतेना का क्वान पर टोटल कंट्रोल स्थापित कर दिया, मीटू ने यही काम पत्रकारिता में भी किया बहुत से पत्रकार जो उस वक्त अच्छा काम कर रहे थे उनका कैरियर तबाह हो गया। दरअसल इस तरह के यौन शोषण के आरोप तब नही लगाए जाते जब यह घटना होती है, यह तब लगाए जाते हैं जब किसी को निपटाने की जरूरत होती है।

नोट : यह लेखक के अपने निजी विचार हैं