Mob lynching पर पीएम को चिट्ठी लिखने वालों पर इसलिए FIR हुई थी, कि इससे देश की छवि खराब हुई। अब पालघर mob lynching पर शोर मचाने से देश की छवि खराब हो रही है या बेहतर? कुछ लोग पीड़ित का धर्म देखकर मुंह खोलते हैं, तो कुछ लोग मारने वाले का। खुद जो सूट करेगा उसपर एक पोस्ट लिखकर खुद को बेहद निष्पक्ष और महान साबित करेंगे। अब जरा उनके बारे में बता दूं।
अब आगे सुनो , उस वक्त पूरी भक्त ब्रिगेड उन लोगों को urban naxal, anti national, modi virodhi, क्या क्या कहने लगी थी। कानून आता तो सबके लिए आता । पर उस आवाज को जिन लोगों ने उस वक्त दबाया ही नहीं बल्कि उनके ऊपर केस तक कर डाला आज हमें कहते हैं पालघर पर आवाज उठाओ। उस वक्त इन्हें मज़ा आ रहा था ये देखकर कि इसकी चपेट में उस धर्म के लोग आ रहे हैं जिन्हें ये second class citizens बनाना चाहते थे।
पर जो लोग mob lynching के खिलाफ आवाज उठा रहे थे उनका हमेशा से ही यही मानना है कि आज भले ही किसी के साथ हो रहा हो ये एक बार कल्चर बन गया तो इसकी चपेट में कोई भी आ सकता है । आप , मैं , कोई भी। पर नहीं उस वक्त ये उन्हें भद्दे शब्दों से संबोधित कर रहे थे, जैसे लिब्रांडू। अंधभक्तों भूल गए क्या?
अब आते हैं पालघगर की घटना पर। जो हुआ दुखद और शर्मनाक तो है ही , बल्कि हैवानियत से भरा है।
पर जैसे ही ये मामला हुआ बीजेपी ने उद्धव ठाकरे पर अटैक शुरु कर दिया, हाई लेवल जांच की मांग की जबकि 100 से ऊपर लोग पकड़े भी जा चुके हैं , और उद्धव ने कहा है सख्त कार्रवाई की जाएगी। पर नहीं भक्तों का इससे पेट नहीं भर रहा । अब मुझे बताइए इन भक्तों ने अखलाक या पहलू खान की हत्या पर चुप्पी क्यों साधी? इन लोगों ने उन हत्याओं को न सिर्फ justify किया बल्कि उनके साथ खड़े दिखे।
अब मैं पूछना चाहती हूं बेशर्मों तुम इतने निर्लज्ज और बेईमान कैसे हो सकते हो। पालघर को भी हम justify नहीं करते और अख़लाक की हत्या को भी नहीं। पर तुम लोगों का selective outrage बेशर्मी भरा है। नर्क में जाओगे नर्क में
आज उन्हें सेक्युलर से पोस्ट चाहिए। भाई लोग हम तो चीख चीखकर थक गए। अब भी तुम सुधर जाओ। वरना कब ये धर्म के नाम पर हो रहा अधर्म तुम्हारी दहलीज तक पहुंचेगा पता भी नहीं चलेगा
नोट : यह लेख पत्रकार साक्षी जोशी की फ़ेसबुक वाल से लिया गया है