पेरिस,फ्रांस – एडविज डियाज़ ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार मरीन ले पेन के लिए “फार राईट” (सुदूर दक्षिणपंथी ) शब्द का इस्तेमाल किये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है । डियाज़, जोकि ले पेन के चुनावी अभियान के प्रवक्ता और गिरोंडे के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र की स्थानीय नगरपालिका के पार्षद हैं, उन्होंने कहा की यह एक अपमानजनक शब्द है जो यह नहीं दर्शाता कि रैसेम्बलमेंट नेशनल (आरएन) पार्टी किसके लिए है या क्या है। अलजज़ीरा से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम लोग इस शब्द (दक्षिणपंथी ) का सख्ती से विरोध करते हैं, हम आपसी बात चीत में खुद के लिए स्थानीय या राष्ट्रवादी शब्द का इस्तेमाल करते हैं।
जबकि आरएन पार्टी की पहचान, सुरक्षा और आप्रवासन (रिफ्यूजी संकट) जैसे दक्षिणपंथी विषयों पर अभियान चलाने की है, डियाज़ ने कहा कि ले पेन का अर्थव्यवस्था के संबंध में अपना एक पूरा एजेंडा है,जो कि पूर्व में फ्रांस में वामपंथी दलों की पेशकश के करीब है। यह वामपंथ के विरोध में दक्षिणपंथ नहीं है, बल्कि वैश्विकवादियों के विरोध में स्थानीय लोगों की लड़ाई है।
तीसरी बार राष्ट्रपति चुनावों में हिस्सा ले रहीं ले पेन ने अपनी पिछली गलतियों से सीखा है। आव्रजन ( इमिग्रेशन) पर उनकी कट्टर बयानबाजी को जिसने देखा है, वह बदलाव मेहसूस कर सकता है।
सीईवीआईपीओएफ (सेंटर फॉर पॉलिटिकल रिसर्च एट साइंसेज पो) के एक शोधकर्ता गिल्स इवाल्डी कहते हैं, “मरीन ले पेन जो कर रही है वह उनकी राजनीतिक छवि को बदल रही है, अब वह खुद को बहुत व्यावहारिक रूप से प्रस्तुत करती हैं और अपने सबसे चरम विचारों को उजागर नहीं करती हैं।” इवाल्डी ले पेन के दृष्टिकोण और तरीकों को “दक्षिणपंथ के सामान्यीकरण” के रूप में देखते हैं।
उन्होंने कहा, “इस रणनीति का उद्देश्य आरएन को अधिक विश्वसनीय और सामाजिक रूप से अधिक सम्मानजनक बनाना है,” उन्होंने कहा कि ले पेन जानती हैं कि अर्थव्यवस्था सबसे अधिक चिंता का विषय है। ” और उन्होंने अर्थव्यवस्था को अपने एजेंडे में सबसे आगे रखा है।”
इवाल्डी का मानना है कि अभी भी अधिकांश फ्रांसीसी मतदाता उन्हें दक्षिणपंथी के रूप में ही देखते हैं। ले पेन की राजनीतिक छवि में सुधार हुआ है जो पहले उनकी राजनीति से असहमत नज़र आते थे, अब उनके बीच में भी ले पेन ने काफ़ी जगह बना ली है।
दक्षिणपंथ की तरफ बढ़ता झुकाव
फ्रांस में एक और सुदूर दक्षिणपंथी नेता का उदय हुआ है, उनका नाम है “एरिक जेमर”। एरिक जेमर के उत्तेजक और विघटनकारी बयानों से ले पेन को व्यावहारिक राजनीति में बढ़ावा मिला है और उनकी स्वीकार्यता और बढ़ी है। अभद्र भाषा के दोषी और अप्रवासियों व इस्लाम के खिलाफ अपने तंज़ के लिए जाने जाने वाले, ज़ेमौर रिकोनक्वेट या “रिकॉन्क्वेस्ट” नामक पार्टी का नेतृत्व करते हैं। बताया जाता है की इस पार्टी का नाम जिसका नाम एक ऐतिहासिक काल के नाम पर रखा गया है, जिसे “रिकॉन्क्विस्टा” के रूप में जाना जाता है, जब ईसाई बलों ने मुस्लिम शासकों को इबेरियन प्रायद्वीप से बाहर निकाल दिया था।
ज़ेमौर न केवल ले पेन के कुछ मतदाता आधार को अपनी पार्टी की तरफ़ लाने में सफल रहे हैं, बल्कि उन्होंने मुख्यधारा के वामपंथी समर्थकों को भी साथ लाने में सफलता हासिल की है, जो परंपरागत रूप से लेस रिपब्लिकन पार्टी के साथ रहे हैं।
इवाल्डी कहते हैं “ज़मौर के लिए धन्यवाद, अब [ले पेन] अधिक उदार प्रतीत होती हैं” । उन्होंने कहा, “लोग अब सुदूर दक्षिणपंथ की तुलना सिर्फ ज़ेमौर से करते हैं, जोकि एक बड़ी गलती है क्योंकि ले पेन बिना किसी संदेह के अभी भी सुदूर दक्षिणपंथ से ही हैं”।
एक पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक, जीन-यवेस कैमस के लिए, दक्षिणपंथी का सुदूर दक्षिणपंथ में विलय चुनाव के सबसे बड़े घटनाक्रमों में से एक है। कैमस ने समझाया कि ज़ेमोर ने पिछले महीने ट्रोकाडेरो स्क्वायर में एक रैली की मेजबानी की, यह जगह लेस रिपब्लिकन के लिए एक प्रतीकात्मक स्थान के रूप में जानी जाती है, उस स्थान पर ज़ेमोर का रैली करना कोई संयोग नहीं था।
इसके आगे कैमस कहते हैं कि, “एरिक सिओटी, नादिन मोरानो, [और] फ्रैंकोइस जेवियर बेलामी जैसे लेस रिपब्लिकन के महत्वपूर्ण लोगों को अपने चुनावी अभियान में शामिल होने का निमंत्रण देना एक बुद्धिमानी भरा क़दम है। यदि ज़ेमोर लेस रिपब्लिकन उम्मीदवार वैलेरी पेक्रेसे से अधिक मत हासिल करते हैं , तो वह अपने मुख्य लक्ष्य फ्रांस की दक्षिणपंथी पार्टियों का पुनर्गठन करने के करीब होंगे।
दक्षिणपंथ अपनी जगह बना रहा है
ले पेन और ज़ेमौर की संयुक्त सर्वेक्षण रेटिंग, – क्रमशः 24 प्रतिशत और 8.5 प्रतिशत है । मतलब फ्रान्स में धुर दक्षिणपंथ की रेटिंग अभूतपूर्व रूप से ३० प्रतिशत से अधिक है। केमस और इवाल्डी दोनों ही फ्रांस में दक्षिणपंथ के उदय की मुख्य वजह फ्रांस में “निराशावादी” और “गिरावटवादी” दृष्टिकोण को मानते हैं।
कैमस कहते हैं कि, “फ्रांसीसी लोगों को लगता है कि उनका देश बदल गया है और उसने अपनी शक्ति खो दी है,” उन्होंने कहा कि नवंबर 2015 में आईएसआईएल (आईएसआईएस) समूह द्वारा फ्रांसीसी धरती पर हमलों ने ऐसी भावनाओं में एक बड़ी भूमिका निभाई थी।
कैमस कहते हैं कि “आबादी का एक हिस्सा इस्लाम के खिलाफ युद्ध में विश्वास करता है, और यहां मुस्लिम समुदाय को भीतर से दुश्मन के रूप में देखा जाता है,” ज़ेमौर ने ऐसी ही भावनाओं को भुनाया है, और वह इस विचार को साझा करता है कि फ्रांस में मुसलमान सांस्कृतिक रूप से आत्मसात करने में सक्षम नहीं हैं।
आरएन पार्टी, जिसे 2018 तक नेशनल फ्रंट (एफएन) के रूप में जाना जाता है – लगभग 40 वर्षों से है, और इसके विचार एक फ्रिंज आंदोलन से मुख्यधारा के फ्रांसीसी समाज तक फैल गए हैं। सुदूर दक्षिणपंथी भी विभिन्न वाम दलों की तुलना में अधिक एकजुट हैं।
इवाल्डी कहते हैं, “कई दक्षिणपंथी पार्टियां, एफएन के कुछ पसंदीदा विषयों को अपना लेती हैं। “ज़ेमौर 1950 के दशक के फ्रांस की कल्पना करते हैं, जिस फ्रांस की पहचान ईसाई फ्रांस के रूप में थी, वहीं उनका कहना है की ज़ेमोर की पार्टी महिलाओं और एलजीबीटीक्यू अधिकारों के खिलाफ एजेंडा रखती है “। उन्होंने कहा कि ले पेन ने अपनी पार्टी का आधुनिकीकरण किया है और खुद को एक ऐसे उम्मीदवार के रूप में परिभाषित किया है जो महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देता है और उनकी रक्षा करता है। ज़ेमौर और ले पेन जिन मुख्य बिंदुओं पर सहमत हैं, वे मुख्य रूप से फ्रांस के लिए यूरोपीय संघ से अपनी पूर्ण संप्रभुता को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है; आप्रवास को सीमित या समाप्त करना; और यह विश्वास कि इस्लाम फ्रांसीसी गणराज्य के साथ असंगत है अर्थात फ्रांस में इस्लाम को नकारते हैं।
ले पेन के चुनावी अभियान के प्रवक्ता डियाज़ इस बात पर अड़े हैं कि ले पेन सुदूर दक्षिणपंथ से न केवल खुदको दूर करने में सफल रही हैं, बल्कि चुनौती देने वाले सुदूर दक्षिणपंथियों से खुद को अलग भी कर रही हैं। दूसरी पार्टियों से तुलना पर उन्होने कहा कि “हम एक ही मैदान पर नहीं खेलते हैं,” मतलब हम एक जैसे नहीं है, यह कहकर वो यह बताना चाहते हैं की लेपेन सुदूर दक्षिणपंथी नहीं हैं।
“ज़मौर ने अपनी उम्मीदवारी जिन मुद्दों पर आधारित की है, वो ये नहीं बताते कि उन्हें कैसे लागू किया जाए,” वह बातें तो करते हैं पर वह यह नहीं बताते हैं की आव्रजन को कैसे प्रतिबंधित करेंगे। दूसरी ओर, ले पेन ने जनमत संग्रह कानून का मसौदा लिखा है, “जो उनके चुने जाने के बाद, ठोस उपायों के साथ लोगों को प्रस्तुत किया जाएगा”। डियाज़ कहते हैं की “उनका चुनावी अभियान त्रुटिहीन रहा है,” और “वह बेहद तैयार हैं ।”