किसी आरोपी पर बुलडोजर चलाना न्याय करने का क्रूर, अत्याचारी, बर्बर और मध्ययुगीन तरीका है। मध्य प्रदेश के बड़वानी में 10 अप्रैल को सांप्रदायिक झड़प, दंगा और आगजनी हुई। पुलिस ने तीन बदमाशों के खिलाफ FIR दर्ज की। पुलिस ने इनकी पहचान शहबाज़, फकरू और रऊफ के रूप में की। कहा गया कि इन तीनों ने दंगों के दौरान दो मोटरसाइकिलों को आग लगाई है। इनमें से एक शहबाज का घर भी तोड़ दिया गया। फिर पाया गया कि ये तीनों पांच मार्च से हत्या के प्रयास के मामले में जेल में बंद हैं।
पुलिस से पूछा गया कि जेल में बंद अपराधी बिना जेल से छूटे दंगा कैसे कर गए? पुलिस ने कहा, जांच करके बताएंगे। मजे की बात कि इन तीनों के खिलाफ दोनों मामले उसी थाने में दर्ज हैं।
यह सही है कि ये लड़के पहले से अपराध में लिप्त हैं और जेल में भी बंद हैं। लेकिन बुलडोजर न्याय के तहत क्या हुआ? पुलिस को यह भी नहीं मालूम है कि वह खुद उन्हें जेल में डाल चुकी है, लेकिन जाकर घर गिरा दिया।
3 men serving jail sentences in an attempt to murder case have been named in a police case in the recent communal clashes in Barwani One of the men had recently witnessed the wrath of the district administration, who allegedly demolished his house citing illegal construction. pic.twitter.com/cSoTAB9KAY
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) April 15, 2022
बिना जांच के, बिना अदालती प्रक्रिया के, बिना कानून का पालन किए अगर सुल्तानों की तरह न्याय किया जाएगा तो ऐसा करने वाले चौपट राजाओं की अंधेर नगरी में कोई सुरक्षित नहीं रहेगा। कल आप पर किसी ने दुर्भावनावश आरोप लगा दिया, आपका घर ढहा दिया, आपका एनकाउंटर हो गया और बाद में पता चलेगा कि आपको जिसकी सजा मिली, वह आपने किया ही नहीं था।
दुनिया भर में लोकतांत्रिक न्याय व्यवस्था सदियों की विकास यात्रा का परिणाम है जो कहती है कि 100 अपराधी छूट जाएं, लेकिन एक निर्दोष व्यक्ति को सजा नहीं मिलनी चाहिए। मौजूदा भाजपा सरकारें इस सार्वभौमिक सिद्धांत को ताक पर रखकर बेतहाशा दमन करना चाहती हैं। यह इस देश के हर नागरिक के लिए बेहद खतरनाक है।