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भीमा कोरेगांव में दलितों एवं भगवा संगठनों के मध्य हिंसा

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महराष्ट्र में जगह-जगह दलितों एवं दक्षिणपंथी समूहों के बीच झड़प की ख़बर मीडिया में आ रही है. यह झड़प और हिंसा पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम के बाद हुई है. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई है और 40 से ज्यादा वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया है.

क्या है भीमा कोरेगांव की लड़ाई

  • भीमा कोरेगांव में पेशवा सेनाओं पर महार सेनाओं की विजय पर दलित समुदाय और दलित संगठन से जुड़े लोग प्रति वर्ष श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं.
  • युद्ध स्मारक में जाकर पेशवाई के खात्मे में महार रेजिमेंट के मात्र 500 सैनिकों के अहम योगदान को याद किया जाता है.
  • इस महार बटालियन में न सिर्फ दलित समुदाय बल्कि दलित, राजपूत, मराठा एवं मुस्लिम समुदाय के सैनिक भी थे. जिन्होंने पेशवा सैनिकों के विरुद्ध लड़कर विजय प्राप्त की थी, जबकि पेशवा सैनिक 25000 की संख्या में थे.
  • ऐसा माना जाता है, कि यह लड़ाई दलितों पर अत्याचार के ख़ात्मे की शुरूआत थी

अंग्रेजों के सैनिक होने के बावजूद दलित संगठन क्यों याद करते हैं इसे ?

एक सवाल संघ और दक्षिणपंथी समूहों द्वारा हमेशा उठता आया है, कि जब इस लड़ाई में अंग्रेजों के और से लड़ते हुए महार समुदाय के लोगों ने विजय प्राप्त की थी, तो क्यों इसका जश्न मनाया जाता है?

इसका जवाब देते हुए एक दलित चिन्तक कहते हैं-

कि पेशवाओं की ब्राम्हणवादी व्यवस्था से परेशान और शोषित दलित तबके ने अपने दमन और अत्याचार के विरुद्ध पेशवा सेनाओं को हराया था. यह जश्न अंग्रेजों की जीत का नहीं, बल्कि भीमा कोरेगांव की लड़ाई में अत्याचारी पेशवाई ताक़तों के दमन का जश्न है.

200 साल से हर साला दलित मनाते हैं जश्न, पर पहली बार हुई हिंसा

ज्ञात होकि भीमा कोरेगांव में 200 साल पूरे होने पर लाखों की संख्या में दलित इकठ्ठा हुए थे, जिसके बाद दक्षिणपंथी समूहों से विवाद के बाद हिंसक झड़पें हुई. इस हिंसा के बाद एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा- पिछले 200 साल से यह जश्न मनाया जाता है. पर यह हिंसा पहली बार इसी वर्ष क्यों हुई ?

दलितों पर अत्यचार के खात्मे की शुरुआत का प्रतीक है यह लड़ाई

  • ज्ञात हो की यह भीम-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह का साल है
  • सन 1818 में लड़ी गई इस लड़ाई में अंग्रेजों ने महार रेजिमेंट का गठन किया था
  • इसमें दलित जातियों में सर्वाधिक महार समुदाय के लोग थे
  • इस लड़ाई के बाद से ही दलितों को अत्याचार से बहुत हद तक छुटकारा मिला था.
  • महार रेजिमेंट के महज 500 सैनिकों ने पेशवाओं के 28,000 की फौज को धूल चटा दी थी.

इस कार्यक्रम में दलित नेता एवं गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवाणी, जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद, रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला, भीम आर्मी अध्यक्ष विनय रतन सिंह और डॉ. भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर भी उपस्थित थे.

राहुल गांधी ने किया ट्वीट

भीमा कोरेगांव विवाद पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया-

“भाजपा और आरएसएस की सोच दलित समाज के खिलाफ है, वो दलितों को हमेशा नीचे रखना चाहते है, पहले ऊना में दलितों पर हमला, फिर रोहित वेमुला विवाद और अब भीम-कोरेगांव विवाद इस प्रतिरोध का प्रतीक है।”

कई ट्रेन और बसें हुईं रद्द, दलित संगठनों ने किया महाराष्ट्र बंद का ऐलान

  • हिंसा के बाद महाराष्ट्र के मुलुंद, चेम्बुर, भांडुप, विख्रोली के रमाबाई आंबेडकर नगर और कुर्ला के नेहरू नगर में ट्रेनों को रोक दिया गया है. पुणे के हड़पसर और फुर्सुंगी में बसों के साथ तोड़फोड़ की गई है.
  • एहतियात के तौर पर अहमदनगर और औरंगाबाद जाने वाली बसों को रद्द कर दिया गया है. मामला में आठ दलित संगठनों ने महाराष्ट्र बंद का ऐलान किया है.
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