पूर्व दूरसंचार मंत्री और टू जी घोटाले में आरोपी रहे ए राजा ने ‘2जी सागा अनफोल्ड्स’… नाम की एक किताब लिखी है. अपनी किताब में राजा ने 2जी घोटाले को ‘देश की प्रशासनिक प्रणाली की पवित्रता पर शर्मनाक धब्बा’ करार दिया है.
इस किताब में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लेकर पूर्व सीएजी विनोद राय और घोटाले को लेकर कई खुलासे किए गए हैं.
ए राजा ने अपनी किताब में पूर्व सीएजी विनोद राय पर खुलकर हमला बोला है. ए राजा ने किताब में लिखा है, ‘’विनोद राय का व्यवहार उस बिल्ली जैसा था जिसने अपनी आंखें बंद की और एलान कर दिया कि पूरे ब्रह्मांड में अंधेरा है. विनोद राय वैसे सूत्रधार की भूमिका में थे, जिसने काल्पनिक तस्वीर पेश की जिसके पीछे मीडिया और विरोधी पार्टियां लग गईं.’’
ए राजा ने किताब में लिखा है, ‘’यूपीए-टू की हत्या करने के लिए राजनीतिक साजिश रची गई जिसके लिए विनोद राय के कंधे पर बंदूक रखी गई.’’
किताब में ए राजा ने घोटाले पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं. किताब में ए राजा ने लिखा है, ‘’दूरसंचार मंत्रालय के हर फैसले की जानकारी मनमोहन सिंह को थी, लेकिन उन्होंने कभी मेरा बचाव नहीं किया. मनमोहन सिंह को उनके सलाहकार गलत जानकारी दे रहे थे और पीएमओ दूरसंचार लॉबी के दबाव में काम कर रहा था.’’
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चुप्पी के बारे में ए राजा ने लिखा, ‘’मेरी हर कार्रवाई जायज थी बावजूद इसके मनमोहन की चुप्पी ऐसी थी जैसी पूरे देश की अंतरआत्मा ने चुप्पी साध ली हो.’’
राजा ने आगे लिखा, ‘’22 अक्टूबर 2009 को सीबीआई ने दूरसंचार मंत्रालय और कुछ दूरसंचार कंपनियों के दफ्तरों पर छापे मारे थे. उसी शाम सात बजे मैं साउथ ब्लॉक में पीएम से उनके दफ्तर में मिला. पीएमओ में प्रधान सचिव टीके नायर भी मौजूद थे. लोगों को ये जानकर हैरानी होगी कि जब मैंने पीएम को सीबीआई छापों के बारे में बताया तो वो चौंक गए.’’
ज्ञात रहे कि, 2010 में CAG के खुलासे के बाद एक लाख छिहत्तर करोड़ रुपये का ये कथित घोटाला सामने आया था. 2008 में तत्कालीन यूपीए-2 की सरकार में टेलीकॉम कंपनियों को 2G स्पेक्ट्रम का आवंटन में नियमों की अनदेखी कर टेलीकॉम कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा था. साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 2G स्पेक्ट्रम के सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे.
2Gघोटाले में जेल जा चुके और अभी दिल्ली की निचली अदालत ने ए राजा समते सभी आरोपी को पिछले महीने ही बरी कर दिया था. घोटाले पर सुनवाई के दौरान ही ए राजा ने ये किताब लिखी है.