सेना के सम्मान को लेकर आये दिन बहस होती रहती है. लेकिन राजस्थान में टोल बूथ पर एक सैन्य अधिकारी के साथ मारपीट का मामला सामने आया है. यह घटना राजस्थान के ढाढ़सर (चूरू) टोल बूथ की है.
समाचार एजेंसी ANI ने इसका विडियो भी शेयर किया है.
#WATCH Dhadhar toll plaza employees in Rajasthan's Churu district thrashed an Army officer. Victim claimed that he was not given toll waiver in spite of presenting Army ID as proof and was instead attacked. pic.twitter.com/U8IDHPFup5
— ANI (@ANI) February 5, 2018
क्या है पूरी घटना?
जनसत्ता की खबर के अनुसार रविवार (4 फरवरी) को असम में पोस्टेड लेफ्टिनेंट विकास जाट अपने परिवार के साथ हरियाणा के सुदीबास से शेखसर (झुंझुनूं, राजस्थान) बारात में जा रहे थे. उनके परिजन तीन वाहनों में सवार थे। ढाढ़सर टोल बूथ पर उनसे टोल टैक्स मांगा गया था.
इस पर विकास ने अपना पहचानपत्र उन्हें दिखाया था. टोलकर्मियों ने बताया कि निजी वाहनों में आईडी कार्ड मान्य नहीं है। इसको लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई जो कुछ ही देर में मारपीट में तब्दील हो गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कार में सवार एक व्यक्ति ने फायरिंग कर दी थी. इससे हालत और बिगड़ गई। घटना में घायल दोनों पक्षों के लोगों को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया. गोलीबारी की घटना के बाद पुलिस ने नाकाबंदी कर कार को जब्त कर लिया। हालांकि, पुलिस ने फायरिंग से इनकार किया. इस बीच, दोनों पक्षों द्वारा लिखित में कार्रवाई न करने की बात कहने के बाद मामला दर्ज नहीं किया गया. मारपीट की पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई.
सैन्य अधिकारियों को छूट
नियमानुसार आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल ने वर्ष 2015 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सर्कुलर पर रोक लगाते हुए आर्मी और एयरफोर्स के अधिकारियों को टोल टैक्स देने से छूट प्रदान कर दी थी. सरकार द्वारा वर्ष 2014 में जारी सर्कुलर में सिर्फ ऑन-ड्यूटी अधिकारियों को ही टोल से छूट देने की व्यवस्था की गई थी. इसके बाद सैन्य अधिकारियों से टोल वसूलना शुरू कर दिया गया था। ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया था कि सैन्य अधिकारी ड्यूटी पर हों या न हों उनसे टोल नहीं वसूला जाएगा। पिछले साल एनएचएआई ने एक आदेश जारी कर कहा था कि सैन्य अधिकारियों के पहचानपत्र की पुष्टि सिर्फ वरिष्ठ अधिकारी ही करेंगे.