अपनों से नाराजगी झेल रही आम आदमी पार्टी के लिए लगता है कि विवाद रुकते ही नही है या यु कहे कि, चोली-दामन के साथ की तरह हो गये हैं.
अब आम आदमी पार्टी की ओर से राज्यसभा के लिए उतारे गए प्रत्याशियों को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.
शनिवार को दाखिल तीन नामांकन की स्क्रूटनी के बाद एक प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने का खतरा मंडराने लगा है.
रिटर्निंग ऑफिसर ने जहां दो प्रत्याशियों संजय सिंह और सुशील गुप्ता के नामांकन को हरी झंडी दे दी है.
वहीं एनडी गुप्ता के नामांकन को लेकर मिली शिकायत के बाद उस पर सोमवार को फैसला सुनाने की बात कही जा रही है.
ये है पुरा मामला,
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने गुप्ता को लाभ के पद पर काबिज करार देते हुए एक आपत्ति दायर कर उनके नामांकन को रद्द करने की मांग की.
उन्होंने आपत्ति में दावा किया कि गुप्ता वर्तमान में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली ट्रस्ट के ट्रस्टी का पद संभाल रहे हैं. उन्हें 30 मार्च को इस पद पर नियुक्त किया गया था.
कांग्रेस और आप आमने सामने
माकन ने दावा किया कि एनडी गुप्ता का नामांकन जनप्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 36 (जिसे संविधान के अनुच्छेद 102 के साथ पढ़ा जाए) के तहत खारिज होने योग्य है.
आप ने कहा कि कानून ट्रस्टियों को चुनाव लड़ने से नहीं रोकता. आप नेता राघव चड्ढा ने ट्वीट किया कि संसद (अयोग्यता रोकथाम) कानून, 1959 की धारा तीन, उपधारा (एल) ट्रस्टी को लाभ के पद के तहत अयोग्यता से छूट प्रदान करती है.
आप नेता राघव चड्ढा कहा कि इसके साथ ही निर्वाचन अधिकारी लाभ के पद पर निर्णय करने के लिए एक सक्षम प्राधिकार नहीं है, चुनाव आयोग है.
खुद गुप्ता ने दोपहर तीन बजे निर्वाचन अधिकारी के सामने अपना जवाब पेश करने के बाद कहा कि उन्होंने दिसंबर में ही नेशनल पेंशन स्कीम ट्रस्ट के ट्रस्टी के पद से इस्तीफा दे दिया था.
गुप्ता दावा किया कि उनका पद लाभ के पद के दायरे से बाहर है. उन्होंने जानकारी दी कि निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें इस मामले में 48 घंटे में फैसला लेने का आश्वासन दिया है.
जवाब में माकन ने ट्वीट किया कि एनडी गुप्ता नेशनल पेंशन स्कीम ट्रस्ट के महज एक ट्रस्टी ही नहीं, बल्कि उसके चेयरमैन भी हैं.