सोनिया गांधी के पास तीन से अधिक ऑडियो और एक वीडियो है, जिसमें सचिन पायलट मीणा और विश्वेन्द्र सिंह के साथ मिल कर बात कर रहे हैं। जिसमें भा ज पा के साथ मिल कर गहलोत सरकार गिराने की बातचीत है। एक वीडियों में वे कांग्रेस आलाकमान को लगभग गाली देते दिखे हैं। वहीं राजस्थान पुलिस के पास भी सरकार गिराने की साज़िश के लगभग 5 ऑडिओ मौजूद हैं। इस मामले में दो लोगों को पकड़ा गया है, जो खरीद फरोख्त और पैसों के लेनदेन में इनवॉल्व थे। इस गिरफ़्तारी के बाद ही, पूछताछ के लिए SOG ने सचिन पायलट सहित 22 विधायकों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा था।
इसके बावजूद प्रियंका और सोनिया ने उनसे बात कर एक और मौका देने की बात कहीं। हालाँकि राहुल गांधी दृढ़ दिखे और उनका कहना था, कि इस तरह की साजिश करने वाले को पार्टी में रहने का कोई हक नहीं।
असल में सचिन पायलट को चने के झाड़ पर चढाने वाली उनकी माँ रमा पायलट हैं और उनकी महत्वाकांक्षा ने अपने बेटे को पर्याप्त विधायक ना होते हुए भी विद्रोह, जिद्द पर अड़ने को मजबूर किया। कांग्रेस आलकमान के पास इस बात के सुबूत हैं, कि रमा पायलट की दो बार मुलाक़ात जीपी नड्डा से हुयी और उसमें “डील” पक्की हुई। वह माल राजस्थान में न घुस पाए, इसके लिए राज्य की सीमायें सील की गईं।
अभी भी सचिन के ज़रिये निर्दलीय विधायकों पर डोरे डाले जा रहे हैं, अभी यह राजस्थान का सेमी फाईनल है, फायनल अभी बाक़ी है। यह करोड़ों का खेल है, इसके असल मोहरे हैं भारतीय ट्रायबल पार्टी और निर्दलीय। जिन पर दल बदल विरोधी कानून लागू होगा नहीं और इन्हें पैसे की ज़रूरत भी है। खबर थी कि गहलोत के भामाशाह भी पोटली खोले हैं, सो सीन में ईडी इंकमटैक्स आदि का प्रवेश हो गया। दुखद है कि देश में वैचारिक प्रतिबद्धता “सात शून्य ” के आगे कोई राशि लगते ही धेला हो जा रही है। फिलहाल आप सत्ता में संख्या के खेल में जीत पर गौरवान्वित हो सकते हो लेकिन आने वाले दशक में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र इस खेल के चलते “बिडीयाना ” बन जाएगा।
यह भी जान लें इन सबका उद्देश्य केवल सत्ता लूटना नहीं राहुल गांधी को नए से नकारा सिद्ध करना है। क्योंकि कोरोना और चीन मामले में वह अपनी उपयोगिता सिद्ध कर चुके हैं। कुछ “चुप्प संघी ” इसे – “ओल्ड गार्ड न्यू गार्ड ” का खेल बता रहे हैं। युवा का रोना रो रहे बताएं कि सिंधिया, सचिन, सुष्मिता देव, दीपेन्द्र हुड्डा सहित लगभग सभी युवा लोकसभा चुनाव क्यों हार गए? युवा प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट बीस विधायक नहीं जुटा पाया। राजनीति में कोई मैराथान दौड़ नहीं लगानी हैं। यहाँ आडवानी, मनमोहन सिंह भी उतनी ही ज़रुरी हैं, जितना अमित शाह या मिलिंद देवड़ा। फिर जो लोग यह भूल जाते हैं कि कांग्रेस जिसकी राज्य और संसद में ताकत है नहीं, उसका सामना अमित शाह से है। जो हर तरीका अपना कर , सभी तरह से सियासत की धारा मोड़ने में नैतिकता को कोई बाधा नहीं मानते। जो चाहते हैं कि कांग्रेस वही करे जो भा ज पा करती है, तो वे सियासत का ककहरा भी नहीं जानते।