अफगान तालिबान की नई अंतरिम सरकार की घोषणा हो चुकी है। इस सरकार में तालिबानी संगठन के कई अधिकारियों को प्रमुख मंत्रालयो का कार्यभार सौंपा गया है। दिए गए हैं। कई मंत्री तो ऐसे भी है जिनके नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आतंकी सूची में शामिल हैं। मगर ध्यान देने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकतर नेता एक ही मदरसे से वास्ता रखते हैं।
पाकिस्तान के अकोड़ा खटक के जामिया दारुल उलूम हक्कानिया को तालिबानियों का एक बड़ा नाम माना जाता है। इसके बारे में अक्सर कहा जाता है कि यहां से पढ़े हुए छात्र पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक, राजनीतिक और सैन्य आंदोलनों में सक्रिय रहते हैं। अफगानिस्तान के नए अंतरिम सरकार में भी कई बड़े नाम ऐसे हैं, जिनका सीधा संबंध इस मदरसे से है।
मौलाना शेख- उल -हदीस ने की थी इस मदरसे की स्थापना
जामिया दारुल उलूम हक्कानिया की स्थापना 23 सितंबर 1947 में की गई थी। पाकिस्तान को आजाद हुए महज एक महीने ही हुए थे। शेख- उल -हदीस मौलाना अब्दुल हक ने इसकी स्थापना की थी। यह मदरसा पेशावर से इस्लामाबाद की ओर जाने वाली जीटी रोड पर स्थित है। जमीयत उलेमा-ए -इस्लाम के पूर्व प्रमुख मौलाना समी-उल-हक के कारण यह मदरसा ज्यादा मशहूर है। समी-उल-हक अब्दुल हक के बेटे थे। उन्हें इंटरनेशनल मीडिया तालिबान का जनक बताती है।
पुराने समय में यह मदरसा अफगानिस्तान से व्यापार करने और आवागमन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान था। इसी कारण से उस समय लोग अफगानिस्तान से यहां धार्मिक शिक्षा लेने के लिए आते थे।
कुछ बड़े नाम जो अंतरिम सरकार में है शामिल
कुछ तालिबानी नेता जैसे मुल्लाह अब्दुल लतीफ मंसूर जिन्हें पानी और बिजली विभाग दिया गया है, अब्दुल बाकी जिन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया है, नजीबुल्लाह हक्कानी जिन्हें संचार विभाग दिया गया है, मौलाना नूर मोहम्मद साकिब को हज और जकात मंत्रालय दिया गया है। इसके अलावा अब्दुल हकीम सहराई को न्याय मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दारुल उलूम हक्कानिया ने इसी मदरसे से अपनी तालीम हासिल की है। इन सभी को नई अंतरिम सरकार में शामिल किया गया हैं।
साथ ही अफगान तालिबान के प्रवक्ता नईम शासिन भी इसी मदरसे के छात्र रह चुके है। हाल के आंकड़ों के अनुसार इस मदरसे में 4,500 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं।
पिछले सरकार में भी कई मंत्री इस मदरसे से थे – यूसुफ शाह
खबरों के मुताबिक नए अफगान तालिबान की अंतरिम सरकार में अब तक 5 से अधिक मंत्री या वरिष्ठ अधिकारी ऐसे है जो इस मदरसे के पढ़े हुए है। मदरसे के एक वरिष्ठ पदाधिकारी मौलाना यूसुफ शाह ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “अफगानिस्तान में तालिबान की पहली सरकार में भी जामिया हक्कानी के कई लोग शामिल थे।
इस मदरसे से ही पूर्व अफगान नेता मौलाना जलालुद्दीन हक्कानी, मौलाना यूनुस खालिस, मौलाना मोहम्मद नबी मोहम्मदी और अन्य ने शिक्षा प्राप्त की थी। ये सभी वही नेता है जिन्होंने सोवियत संघ को हराया था।”
उन्होंने आगे बताया, “इन अफगान नेताओं के बाद उनके बच्चे, नाती-पोते भी यही शिक्षा हासिल करते रहे है और अब वह विभिन्न पदों पर है। पाकिस्तान के संसद में भी हमारे मदरसे के कई लोग राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के तौर पर कार्यरत हैं।”