तालिबान को लेकर अमेरिका में ये बहस छिड़ गई है

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तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद अपनी उदार छवि बनाने की जी जान से कोशिश कर रहा है, पर तालिबान के भीतर से ही इस कोशिश की धज्जियाँ उड़ा दी जाती हैं। यही नहीं तालिबानी संगठन ने अफगानी लोगों के मानवाधिकारों का हनन भी किया और महिलाओं के अधिकारों को भी छीना। फिलहाल अफगानिस्तान की जनता में भी तालिबान के खिलाफ आक्रोश का माहौल है क्योंकि कुछ दशक पहले भी तालिबानी संगठन का क्रूर चेहरा देख चुके हैं।

अमेरिका में आम जनता के सवाल-

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद ही टि्वटर पर अलकायदा समर्थक एक आतंकी समूह ने लिखा की, अफगानिस्तान की जमीन पर “अमेरिका कब्जे की हार “का जश्न मनाया। अमेरिका के नागरिकों ने कहा कि अमेरिका की तौहीन करने वाले तालिबानियों का ट्विटर अकाउंट बैन नहीं किया जा रहा, लेकिन हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक भाषण के आधार पर ही फेसबुक के सीईओ ने उनका अकाउंट बंद कर दिया था।

यह किस तरह का लोकतंत्र हैं। जिसमें एक आतंकवादी संगठन को सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं लगाई जाती है। लेकिन एक राष्ट्रपति के भाषण के आधार पर उसका फेसबुक अकाउंट बैन कर दिया जाता है। फ्रीडम ऑफ स्पीच के तहत ये कहां तक सही है?

कई डेमोक्रेटिक और उनके मीडिया सहयोगियों के लिए भी बाइडन प्रशासन की अक्षमता पर चिंताजनक है। अमेरिका के कई राजनीतिक नेताओं ने भी इस पर आपत्ति जताई है और इसका कड़ा विरोध किया है।

ट्विटर की निष्पक्षता पर उठे सवाल

रिपब्लिकन पार्टी के नेता मेडिसिन ने ट्वीट कर  सवाल पूछा कि ‘ऐसा क्या है कि तालिबान जैसे आतंकी संगठन का प्रवक्ता ट्विटर पर अकाउंट चला सकता है, तो फिर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि अमेरिका की शक्तिशाली टेक्नोलॉजी वाली कंपनियां आखिर किसकी तरफ है? हमेशा से यह निष्पक्षता का दावा करती रही है। अब कहां गई वो निष्पक्षता।’

जब तालिबान जैसे आतंकवादी संगठन टि्वटर अकाउंट का प्रयोग करके लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं। और दुनिया को अपनी आतंकी वर्चस्व स्थापित करने को लेकर दावा करता रहा है। साथ ही अफगानिस्तान में हो रहे जुल्मों सितम की लगातार वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं। जिसमें महिलाओं को प्रताड़ित करने की तस्वीरें भी सामने आती रहती हैं। मानवता की ऐसी तस्वीरें दिल को झकझोर देती हैं।

सोशल मीडिया का दुरुपयोग-

वही तालिबानी संगठन के प्रवक्ता जो कि हमेशा से ही अपनी नफरत भरी इस्लामिक विचारधारा को जबरदस्ती अफगानिस्तान पर थोपते रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए इस विचारधारा को दुनिया में फैला भी रहे फिर भी उनका अकाउंट बंद क्यों नहीं किया गया है ?

तालिबानी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद के ट्विटर अकाउंट पर 3 लाख 20,000 फॉलोअर्स हैं। सुहैल शाहीन भी ट्विटर पर एक्टिव रहते हैं। इन्होंने दर्जनों की तादाद में वीडियो पोस्ट किए हैं जिन्हें लाखों बार देखा जा चुका है। फिर भी सोशल मीडिया चुप है। ऐसी विचारधारा के लिए यह बहुत बड़ा मंच भी है, इसके लिए इनका एक पैसा तक भी खर्च नहीं होता है।

ट्विटर का दोहरा रवैया-

अमेरिका में इस वक्त मीडिया से लेकर राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने बाइडन की सरकार को घेरते हुए सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है और प्रशासन की सबसे बड़ी हार कहा है। क्योंकि तालिबान लगातार अमेरिका का अपमान कर रहा है। उस पर भी हम चुप हैं । यह कहां की निष्पक्षता है?

ट्विटर के एक प्रवक्ता ने कहा है कि अफगानिस्तान में स्थिति बहुत तेजी से बदल रहे हैं और हम देश में लोगों को मदद और सहायता देने के लिए ट्विटर का उपयोग करते हुए देख रहे हैं। ट्विटर की सर्वोच्च प्राथमिकता सबसे पहले लोगों की सुरक्षा है और जिससे हम सतर्क भी रहते हैं।

इस पर फेसबुक ने पहले ही साफ कर दिया था कि तालिबान के लिए फेसबुक किसी भी प्रकार से कोई सहायता नहीं करेगा। तालिबानी संगठन के प्रवक्ता हो या उनके कोई भी नेता उनको किसी भी प्रकार से फेसबुक पर अकाउंट बनाने की इजाजत नहीं होगी।

लेकिन ट्विटर का यह दोहरा रवैया है जिसमें वह एक तरफ तालिबान को आतंकवादी संगठन मानता है, और दूसरी तरफ टि्वटर भी बैन नहीं कर रहा है।

कब लगा था डोनाल्ड ट्रंप पर प्रतिबंध-

6 जनवरी को अपने प्रशंसकों के बीच भाषण दे रहे थे। इसी भाषण को आधार बनाकर डोनाल्ड ट्रंप के ट्विटर अकाउंट के सभी सोशल मीडिया अकाउंट को आजीवन के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस पूरे मामले में ट्विटर के प्रवक्ता का कहना है कि उनका भाषण हिंसा को बढ़ावा देने वाला था। जिसे पूरी दुनिया सुन रही थी। जो किए अमान्य है।

बता दे कि अमेरिका के कैपिटल हिल्स ( अमरीकी संसद) में जो दंगे हुए थे, इसमें ट्रंप के  समर्थकों ने संसद को घेर लिया था और जिसमें 6 पुलिस वाले भी मारे गए थे। जिसके बाद ट्रंप पर महाभियोग भी चलाया गया था परंतु सीनेट में पास नहीं हो पाया।

डोनाल्ड ट्रंप ने बनाया खुद का सोशल मीडिया प्लेटफार्म-

खबरों के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप का फेसबुक ,टि्वटर और यूट्यूब अकाउंट बंद होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपना नया प्लेटफार्म स्थापित किया है। जिसका नाम “from the desk of donald j.trump” रखा है। इसके जरिए डोनाल्ड ट्रंप अपने प्रशंसकों से बातचीत के जरिए अपने विचार और उनके विचारों को जानने का प्रयास करते हैं। जिसमें डोनाल्ड ट्रंप की टीम ने दावा किया है कि, ये प्लेटफॉर्म् फेसबुक ट्विटर और यूट्यूब से बेहतर है। जिसमें संवाद करना और भी आसान होगा।

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