महाराष्ट्र के पालघर में हुई मोब लिंचिंग की घटना के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने हत्या के में शामिल 101 लोगों को को बतौर आरोपी गिरफ़्तार कर लिया है। इस घटना का एक पहलू जो आम जनमानस को ज्ञात होना चाहिए, वह ये है कि जिनकी हत्या हुई और जिन्होंने यह हत्या की, दोनों ओर के लोग स्वधर्मीय हैं, अर्थात दोनों का धर्म अलग – अलग नहीं है। हमने यह बताना इसलिए ज़रूरी समझा, क्योंकि सोशलमीडिया में एक बड़ा तबका इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश में लग गया है। जिसमें बड़े बड़े मीडिया समूहों के एंकर्स और राजनीतिक पार्टियों से जुड़े नेता व आईटी सेल के ट्रोल शामिल हैं।
गृह मंत्री के इस ट्वीट के बावजूद कुछ लोगों ने सोशल मीडिया में इस मामले को एक अलग ही एंगल देने की कोशिश की। जिसमें न्यूज़ नेशन के एंकर दीपक चौरसिया, सुदर्शन न्यूज़ के सुरेश चौहानके अग्रणी भूमिका में शामिल रहे हैं। वहीं एक तबका जैसे कि अशोक पंडित जैसे लोगों का भी है, जो इस घटना में प्रतिक्रिया देते हुये भारत से मुस्लिमों को साफ करने की बात कहते हैं। ज्ञात होकि अशोक पंडित फिल्म इंडस्ट्री में भले ही सफ़ल निर्देशक न रहे हों पर सोशल मीडिया में हिन्दू मुस्लिम नफ़रत फैलाने में वे बेहद सफलता से कार्य कर रहे हैं। इस बात को समझने के लिए उनका पालघर की घटना के बाद आया ट्वीट ही काफ़ी है, महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने अपने ट्वीट के ज़रिए ही इस घटना में किसी भी तरह के हिन्दू मुस्लिम एंगल होने से इंकार कर दिया है। उन्होंने साफ साफ कहा है, कि मृतक और मारने वाले दोनों अलग धर्मीय नहीं हैं। इसके बावजूद अशोक पंडित ने इस घटना को मुस्लिमों से जोड़ने की कोशिश करते हुये ट्वीट किया है।
अशोक पंडित अपने ट्वीट में लिखते हैं
आज पालघर में 3 साधुओं की हत्या सेकुलरिज़्म की हत्या है। अगर हम भारत को बचाना चाहते हैं तो अर्बन नक्सल, अवैध रोहिंग्या/ बांग्लादेशी और स्यूडो लिबरल्स व टुकड़े टुकड़े गैंग की मौजूदगी को मिटा देना चाहिए।
वहीं आज तक की एंकर श्वेता सिंह ने भी एक भड़काऊ ट्वीट करते हुये इस घटना में चोरी वाले एंगल को झूठा करार देते हुये इस घटना को प्रायोजित घटना बताया है, श्वेता सिंह का ट्वीट बेहद भड़काऊ है।
दीपक चौरसिया ने भी इस पर ट्वीट करते हुये लिखा है
हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे के राज्य में हिंदू संतों की मॉब लिंचिंग। सच में सवाल उठ सकता है कि क्या @OfficeofUT सेक्युलर हो गए ? दीपक चौरसिया के इस ट्वीट में उनकी मंशा इस मामले को हिन्दू मुस्लिम रंग देने की नज़र आ रही है। तभी तो वो ये सवाल कर रहे हैं, कि क्या उद्धव ठाकरे सेकुलर हो गए हैं। दीपक चौरसिया का ये सवाल उनकी घटिया मानसिकता को दर्शाता है।
अब देखना ये है, कि क्या महाराष्ट्र सरकार इन बड़े नामों पर कार्यवाही करेगी। आखिर एक ऐसा मामला जिसमें खुद महाराष्ट्र सरकार के गृहमंत्री ने इस बात की जानकारी दी है, कि इस मामले में आरोपी और मृतक दोनों एक ही धर्म के हैं, इसे हिन्दू मुस्लिम बनाने की कोशिश क्यों की जा रही है। आखिर इस मामले में क्यों इन बड़े नामों के द्वारा भड़काऊ ट्वीट किए जा रहे हैं।