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अखबार "The Tribune" के रिपोर्टर पर FIR, लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन

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कुछ दिन पहले एक अंग्रेज़ी के जाने माने अख़बार The Tribune ने आधार डेटा के साथ छेड़खानी की एक खबर छापी थी. अखबार ने अपनी रिपोर्ट के हवाले दावा किया था कि 500 रुपये देकर किसी का भी आधार डाटा देख सकते है और अगर आप 300 रूपये का अतिरिक्त भुगतान करे तो आप उनका आधार कार्ड प्रिंट भी करा सकते है.

फाइल फोटो

  • अखबार ने ये खबर पूरे फैक्ट्स के साथ छापी थी और आधार सिस्टम को निजी तौर असुरक्षित बताया था.
  • अखबार का दावा था की तकरीबन एक लाख लोग ऐसे है जो आधार सिस्टम को लोग इन कर सकते हैं.
  • ये रिपोर्ट सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुई और ट्विटर पर उस दिन का नंबर एक ट्रेंड रही, सोशल साइट्स पर लोग सरकार पर चुटकी कसते नजर आये.
  • आधार का जिम्मा सँभालने वाला संस्थान UIDAI ने, इस खबर और अख़बार को नोटिस थमाते हुए रिपोर्टर के खिलाफ FIR दर्ज करवा डाली है.
  • UIDAI ने लिखित पत्र में दावा किया है कि ऐसा संभव नही हैं क्योकिं लोग-इन करने के लिए फिंगर प्रिंट और आईरिस स्कैन जरूरी है.
  • फिंगर प्रिंट और आईरिस स्कैन का आधार देते हुए UIDAI ने इस रिपोर्ट को पूर्ण रूप से आधारहीन बताया.
  • UIDAI  के इस कदम के बाद लोग दुबारा सोशल साइट्स पर हरकत में आये और कई जाने माने पत्रकारों ने ‘The Tribune’ को सपोर्ट करते हुए टवीट्स किये.

द ट्रिब्यून के प्रधान सम्पादक हरीश खरे ने भी एक बयान सोशलमीडिया में जारी किया


इंडिया टुडे के journalist राहुल कवल ने लिखा कि “रिपोर्टर के खिलाफ FIR करना पूर्ण रूप से गलत हैं, अगर कोई आपकी गलती निकलता है तो उसको दूर करने की कोशिश करनी चाहिए न कि गलती निकलने वाले को डराने की. journalist को धमकाने की कोशिश मत करो”

राहुल कँवल ने इस मुद्दे पर अन्य ट्वीट किये –

सामने लाने वाले पत्रकार के ख़िलाफ़ UIDAI की ओर से FIR दर्ज कराना पूरी तरह गलत है. अगर एक खामी की ओर इशारा किया गया है तो सरकार को उसे दूर करने के लिए काम करना चाहिए ना कि मैसेंजर को ही शूट करने की कोशिश की जाए. पत्रकारों को मत धमकाइए. ये मंज़ूर नहीं

देखें इस FIR का विरोध दर्ज कराते अन्य ट्वीटस