पाकिस्तानी पीेएम ने की थी इस भारतीय खिलाड़ी की तारीफ

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इंडिया-पाकिस्तान में क्रिकेट का एक अलग ही जूनून देखने को मिलता है, यहां क्रिकेट लोगों के लिए धर्म से कम नहीं। जहां एक तरफ इंडिया पाकिस्तान के मैच के बाद टीवी तोड़ दिये जाते हैं, वहीं एक बात यह भी हकीकत है कि इंडिया पाकिस्तान के खिलाड़ियों के चाहने वाले दोनों देशों में हैं। पाकिस्तानी खिलाड़ियों को भी भारत में उतना ही सराहा जाता है, जितना पाकिस्तान में। साथ ही भारतीय खिलाड़ियों को भी पाकिस्तान से भरपूर प्यार मिलता रहता है। 

ऐसे ही एक खिलाड़ी थे, मोहिंदर अमरनाथ भारद्वाज। जिन्हें न सिर्फ दोनों देशों से प्यार और सम्मान मिला बल्कि मौजूदा पाकिस्तानी पीएम ने भी उनकी तारीफ की थी। 

24 सितंबर 1950 में पंजाब के पटियाला में जन्मे मोहिंदर अमरनाथ भारद्वाज, भारतीय क्रिकेट को शीर्ष पर पहुंचने वाले खिलाड़ी में से एक हैं। उनका क्रिकेट करियर 1969 से 1989 तक चला, लेकिन इन 20 सालों में उन्होंने क्रिकेट के दीवानों के बीच अपनी अलग छवि बनाई।

उन्हें हमेशा एंड टाइम पर टीम में वापसी करने वाले खिलाड़ी के तौर पर जाना जाता है। वहीं 1984 के वर्ल्ड कप में भी उनके शानदार प्रदर्शन का लोहा माना जाता है।

मोहिंदर को “जिम्मी” नाम से भी बुलाया जाता है। जिम्मी स्वतंत्र भारत मे क्रिकेट टीम के पहले कप्तान लाला अमरनाथ के बेटे हैं। और उनके भाई सुरेंद्र अमरनाथ एक टेस्ट मैच खिलाड़ी थे। उनके दूसरे भाई राजिंदर भी प्रथम श्रेणी के खिलाड़ी रहे हैं। बता दें कि 20 क्रिकेट करियर जीने के बाद वर्तमान में मोहिंदर उर्फ जिम्मी क्रिकेट कोच हैं।

पाक-प्रधानमंत्री ने की थी प्रशंसा :

जिम्मी के खेल की तारीफ पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान ने  भी की थी। गौरतलब है कि इमरान खान खुद एक महान क्रिकेटर रह चुके हैं।   इमरान खान और मैल्कम मार्शल दोनों ने जिम्मी की बल्लेबाजी, साहस और खेल के दौरान दर्द सहने की प्रशंसा की थी।

भारत को 1983 का विश्व कप जीताने में मोहिंदर अमरनाथ की रही थी अहम भूमिका

इमरान ने कहा को मोहिंदर को 1982- 83 के सीजन में दुनिया का सबसे अच्छा बल्लेबाज कहा था। इमरान जिम्मी को ऑल राउंडर बताते हैं वहीं एक बार इमरान ने कहा था- ‘जिम्मी को 1969 में करियर की शुरुआत से लेकर सेवानिवृत्त होने तक खेलना चाहिए था।’

चेन्नई में खेला था पहला मैच

जिम्मी ने दिसंबर 1969 में अपना पहला मैच खेला था। ये मैच चेन्नई में हुआ था, इस मैच में भारत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल रहा था। अपने पहले ही मैच में जिम्मी ने शानदार प्रदर्शन किया था, जिसके बाद उन्हें तेज़ गति के साथ बेहतरीन खेलने वाले भारतीय क्रिकेटर के तौर पर देखा जाने लगा था।

जिम्मी ने 1982-83 में पाकिस्तान के खिलाफ 5 और वेस्टइंडीज के खिलाफ 6 मैच खेले थे। इन 11 मैचों में जिम्मी ने कुल 1 हज़ार रन बनाए थे। जिम्मी ने दुनिया के सबसे तेज़ और उछलकूद करने वाले खिलाड़ी जेफ़ थॉमसन के खिलाफ अपनी तेज़ बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया था।

सुनील गावस्कर के आदर्श हैं “जिम्मी”

जिम्मी को उनके क्रिकेट करियर में सबसे ज़्यादा बार टीम में वापसी करने वाला खिलाड़ी माना जाता है। बता दें कि भारीतय टेस्ट टीम में जिम्मी की स्थिति कभी भी स्थिर नहीं रही।

अपने करियर के दो दशकों में जब भी वो अपने शिखर पर होते तभी किसी मौके पर उन्हें टीम से निकाल दिया जाता। हालांकि, हर बार अपने बेहतर प्रदर्शन से जिम्मी ने टीम में वापसी की। इसके बावजूद भी, सुनील गावस्कर ने जिम्मी (मोहिंदर) को सबसे बेहतर बल्लेबाज़ों के तौर पर अपना आदर्श माना।

जिम्मी का क्रिकेट करियर

जिम्मी ने अपने करियर में 69 टेस्ट मैच और 85 एक दिवसीय अंतराष्ट्रीय मैच खेले। इनके अलावा 1983 में वेस्टइंडीज के खिलाफ विश्व कप खेला और जीता भी। टेस्ट मैच में जिम्मी ने कुल 4,378 रन बनाये। जिसमे रनों का औसत 42.50 रहा, इसमें 11 शतक और 24 अर्द्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 रन औसत के हिसाब से 32 विकेट भी लिए हैं।

एकदिवसीय मैचों में उन्होंने, 30.53 की औसत से 1924 रन बनाए। वहीं 42.84 की औसत से उन्होंने 46 विकेट लिए। 1983 के विश्व कप में 49 रन बनाकर उन्होंने भारतीय टीम को एक ठोस शुरुआत भी दी थी। हालांकि, 183 रनों पर सारी टीम आउट हो गई लेकिन वेस्टइंडीज को केवल 140 रनों रोक कर भारत ने 83 का विश्व कप अपने नाम किया।